Page 38 - मारू संदेश
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मगल और गुरुवार को िाल न धोन होन क कारण यह अप्रासगगक हो चुका ह, और
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आपने अक्सर दखा होगा अक्सर मएहिाए मंगि इसक कोई मायने नहीं ह |
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और गुरूिार को बाि धोन स परहज करती ह।
क्योंकक उन्ह िगता ह कक इस एदन बाि धोने से दही खाकर घर से िाहर ना ननकलना
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बुर िक्त की शुरूआत होती ह। ककसी भी शुभ काम पर जान स पहि घर स
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दही खाकर ननकिना शुभ माना जाता ह। िककन
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िककन आपको बता द कक पुरान िक्त म िोग इसक पीछ िॉजजक ह कक गमम मौसम क कारण
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अपने घरों म पानी स्टोर करक रखते थे। दही खाने से पट ठडा रहता ह। साथ ही दही म
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सप्ताह क 2 एदन बाि धोने, कपडे धोने, बाि चीनी लमिाकर खान स शरीर म ग्िूकोज की
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काटने आएद का ननषेध ककया गया जजससे पानी मात्रा सही बनी रहती ह।
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को बचाया जा सक | कािांतर म इस प्रथा ने
अंधविश्िास का रूप िे लिया | दरवाज पर नीिू समची लटकाना
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दरिाज पर नीबू लमची िटकान पीछ िोगों का
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गर्भवती महहला क िाहर जाने पर पािदी अंधविश्िास ह कक ऐसा करने से बुरी ताकतो का
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बुरी आत्मा का साया मा और होन िाि बच्चे पर साया दूर रहता ह। इसक पीछ असिी िॉजजक ह
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पड सकता ह। ऐसा करने क पीछ िॉजजक ह कक कक नीबू लमची म सायएटक एलसड मौजूद होता ह
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पहिे क िक्त म आने-जाने क साधनों की कमी जो कीडे-मकौडों को घर म घुसन स रोकता ह।
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थी और गभमिती मएहिाओं को पदि चिने की
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समस्या होती थी। हािांकक ितममान समय म यह उपरोक्त सभी उदाहरणों से लसद्ध होता ह, कक
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अधविश्िास बन चुका ह | कहाित अनुभि क आधार पर और सामनयक
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आिश्यकता क अनुरूप ही बनती ह, परतु समय
रात म नाखून नही काटना क साथ य परपरा और कफर अंधविश्िास का रूप
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िोगों म रात म नाखून ना काटन को िकर धारण कर िेती ह। अत: समय की मांग ह कक
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अंधविश्िास ह कक रात म ऐसा करने से ककस्मत हर अंधविश्िास या ररिाज क पीछ क तक को
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पर बुरा प्रभाि पडता ह। जबकक पुरान िक्त म जानने की कोलशश की जाए एि ितममान
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बबजिी नही होन क कारण रात म नाखून नही पररजस्थनतयों क अनुसार ही इन पर विश्िास या
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काट जाते थे। उस िक्त नाखून काटन क लिए अविश्िास ककया जाए |
भी औजारों का इस्तेमाि ककया जाता था। इससे
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अंधर म उगलियों क कटने का डर भी होता था।
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परतु आज साधन और बबजिी दोनों उपिब्ध ofj- izcU/kd ¼lfp-½
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