Page 57 - मारू संदेश
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इस अवसर् पर् श्रआ िुधआि क ु माि भर्नागि द्वरर्र ववद्यरर्थायों को सम्बोधन म बतरयर की
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ववद्यरथी ककसी भी र्रष्ट्र कर भववष्ट्य ह और् ककसी र्रष्ट्र कर भववष्ट्य सुर्क्षक्षत व स्वस्थ र्खने क
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शलए ववद्यरथी जीवन म योग क महत्व को समझनर बेहद अतनवरया ह। योग ववद्यरर्थायों की
मरनशसक और् िरर्ीरर्क जस्थतत को जटिल से आसरन बनरतर ह, सरथ ही उनकी सोच कर
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सकरर्रत्मकतर क सरथ ववस्तरर् व व्यरपक ववकरस भी कर्तर ह। योग को टदनचयरा कर अंग
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बनरने से कई प्रकरर् क लरभ प्ररप्त होते ह जैसे - योग ववद्यरर्थायों क मनोबल को बढरने कर
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करम कर्तर ह। योग ववद्यरर्थायों को िरर्ीरर्क और् मरनशसक तौर् पर् मजबूत बनरतर है। योग
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क शलए आयु की कोई सीमर नही ह क्योंकक यह िर्ीर् को लचीलर, तनर्ोगी, स्वस्थ और् तनरव
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मुक्त बनरतर ह।
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ववद्यरर्थायों को योगर क मरध्यम स योग की जरनकरर्ी प्रदरन कर्ने हतु श्ीमती रूर्च िमरा,
योग अनुदिक (Yoga Instructor) को वविेष अततर्थ क रूप म आमंत्रत्रत ककयर गयर। इनक
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द्वरर्र बतरयर गयर की योग तन और् मन दोनों से स्वस्थ र्खने म मदद कर्तर ह। योग कर्ने
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से िर्ीर् क तमरम अंग स्वस्थ तर्ीक से करम कर्ते हैं और् पूर् िर्ीर् पर् इसकर व्यरपक असर्
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होतर ह। ववद्यरर्थायो म स्रस को दूर् कर्ने हतु योग अतत आवश्यक ह। अगर् आप 10 - 15
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शमनि र्ोजरनर योग कर् तो आप खुद को कई बीमररर्यों स बचर सकते ह और् मन भी स्वस्थ
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र्हतर ह। ववद्यरर्थायों एवं अध्यरपकों द्वरर्र इस करयाक्रम कर अतत उत्सरह क सरथ बररर्ि की
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बूदर बरदी क मध्य आनंद शलयर गयर।
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अंत म प्रधरनरचरया द्वरर्र योग करयाक्रम आयोजजत कर्ने तथर ववद्यरर्थायों को योग पर्
जरनकरर्ी प्रदरन कर्ने पर् हडको कर आभरर् प्रकि ककयर।
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