Page 12 - चिरई - कोलकाता क्षेत्रीय कार्यालय की पत्रिका
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हिंहा ं देी नंोडीले अधिधकारी एवं नंोडीले संहाायीक की कलेम सं           े





















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                                                        �
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                   लक्ष् प्राफिप्ता एका फिवंश्चिशीष्टा, वंांछनाीयों लक्ष् तीका पहुचनाे काी प्रफिक्रयोंा ह। लक्ष् प्राफिप्ता का मख्या घोटका योंंजनाा, प्रयोंास एवं
                                                                                 े
                                                                     ै
                                                                                            ं
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                                                                                               ं
                   फिनाष्पाादेना ह। योंंजनाा मं एका स्पष्टा दृफिष्टा बंनाानाा शीाफिमल ह फिका आप क्याा हाश्चिसल कारनाा चाहतीे ह एवं एका योंंजनाा
                   फिवंकाश्चिसती कारनाा चाहतीे ह। उपायों मं आपका सपनाे कां साकाार कारनाे का श्चिलए आवंश्यका काायोंष कारनाा शीाफिमल ह।
                                                                         े
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                                                     े
                                                                                                   ै
                   फिनाष्पाादेना मं आपकाा लक्ष् लेनाा, उसे फिक्रयोंा मं बंदेलनाा और अपनाी प्रगाफिती काी फिनागारानाी कारनाा शीाफिमल ह।
                                                                                               े
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                        हमं योंह घोंर्षणाा कारतीे हुए खुशीी हं रही ह फिका काड़ाी मेहनाती, समपषणा, लगाना, प्रफितीबंर्द्तीा का बंादे, क्षेत्रीीयों
                                                                                         े
                                                                                                    े
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                   काायोंालयों, कांलकाातीा अपनाा वंांश्चिछती लक्ष् तीका पहुच पायोंा ह योंानाी फिहंदेी पत्रीाचार मं ना कावंल 80% का लक्ष्
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                   कां पार कार श्चिलयोंा ह बंक्ट्� फिपछले तीीना फितीमाही मं 84% तीका पहुच गायोंा ह। योंह हमार क्षेत्रीीयों प्रमुख (प्रभाारी)
                                                                    े
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                   श्रीी देवंशी चक्रवंतीी काी दृढ़ा प्रफितीबंर्द्तीा, समथषना और प्रंत्सााहना का काारणा हं पायोंा। उनाका मागाषदेशीषना नाे हमं लक्ष्
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                   प्राफिप्ता काी चनाौतीी काा सामनाा कारनाे काा साहस फिदेयोंा।
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                                                                                                         े
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                        मझे योंह बंतीातीे हुए खुशीी हं रही ह फिका अपनाे फिपछले अनाभावं, मागाषदेशीषना और शीुभाश्चिचंतीकांं का प्रंत्सााहना का
                                                                                               े
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                   साथ, हम कांलकाातीा क्षेत्रीीयों काायोंालयों का फिहंदेी गाृह पफित्रीकाा "श्चिचरई" काा चतीथष सस्कूरणा प्रकााश्चिशीती कारनाे जा रहा
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                                                                                  ं
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                   ह। अपनाी पफित्रीकाा काी गाणावंत्ता कां बंनााए रखनाे का श्चिलए, हमनाे बंहुती प्रयोंास काी ह। योंह हमार सहयोंंफिगायोंंं का
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                   सामफिहका समथषना से हुआ ह।
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                        मझे आशीा ह फिका सम्मााफिनाती वंरिरष्ठ अश्चि�काारी, सहकामी, पाठका का सहयोंंगा से हम आगाे भाी एका उत्पाादेका,
                                                                          े
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                   चनाौतीीपणाष और स�ल प्रकााशीना कार पाएगाे। फिनारतीर स�ार काी भाावंनाा मं, हमार अगाले प्रकााशीना कां सुव्यवंक्ट्स्थाती
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                   और गाणावंत्ता-उन्मुख बंनाानाे का श्चिलए फिकासी भाी रचनाात्मका फिनावंशी काा अत्यश्चि�का स्वागाती ह।
                                                                                      ं
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                        हडकां क्षेत्रीीयों काायोंालयों, कांलकाातीा काी ओंर से, हम सभाी लेखकांं, सरक्षकांं एवं पाठकांं कां शीुभाकाामनााए
                                                                              ं
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                   देनाा चाहगाे।
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                       जयंत भट्टााचाय  य                                                    स्वरुप दासं
                   वंरिरष्ठ प्रबं�का (आईटी)                                              प्रबं�का (आईटी)
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                                                                                            ं
                    फिहंदेी नांडल अश्चि�काारी                                           फिहंदेी नांडल सहायोंका
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                                 "उसाी हिंदेन मरा जीवन साफल होगा शिजसा हिंदेन मं साार भाारतवाशिसायं कें सााथ शाुद्ध हिंहंदेी मं
                                                                                 े
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                                                  वातावलाप केंरूँगा।" - शाारदेाचारण धिमत्र
                                                           �
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           चि�रई, अंंक-4                                                                                                                                                                                                 हााउसिं�ंग एण्ड अंर्बन डेवलपमांट कॉपोरेशन सिंलसिंमाटडे े
        वर्षष : 2024-25, माा�ष, 2025                                                                                                                                                                                      क्षेेत्रीीय कााया�लय, काोलकााताा काी वाार्षि�िका हि�न्दीी पत्रित्रीकाा
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