Page 48 - संगम - द्वितीय अंक
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अनरोध - जी नागराजन .(िव )
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भीख मागकर भी खद को िशि त कर
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लिकन
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िश ा ा करन और पद ा करन क बाद िभ ा
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( र त) न माग।
िवषय - लोमड़ी और सारस - आर मालती, व. . (सिचवीय)
एक वाथ लोमड़ी ने एक बार एक सारस को रात क खाने क लए कहा। नमं ण ने
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टॉक को बहत खुश कया, और वह समय पर लोमड़ी क घर पहची, अपनी लंबी च च
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क साथ दरवाजा खटखटाया। लोमड़ी उसे रात क खाने क मज पर ल गई और उन
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दोन को उथल कटोर म सूप दया। वह कोई सूप नह ं खा सकती थी य क कटोरा
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उसक लए बहत उथला था। दूसर ओर, लोमड़ी ने ज द स अपना सूप लया। सारस
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परशान और चढ़ गया था, ल कन उसने इसे नह ं दखाया। उसने लोमड़ी को सबक
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सखाने क लए अगले दन रात का खाना खाने क लए कहा। उसने दो लबे पतल े
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फ ू लदान म सूप भी परोसा। सारस ने फ ू लदान से सूप पया, ल कन लोमड़ी अपनी
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छोट गदन क कारण ऐसा करने म असमथ थी।
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लोमड़ी को एहसास हआ क उसने गलती क ह | कहानी का नै तक: कभी वाथ मत बनो।
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िणम श - ि ंसली रचड स. (आईटी)
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ीक राजा मडास ने एक सैटायर क लए एक अ छा काम कया। इसने
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शराब क दवता डायो नसस को उसक इ छा पूर करने क लए रत कया।
मडास ने कहा क वह िजस कसी चीज को छ ु ए वह सोने म बदल जाए।
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डायो नसस न उसे ऐसा न करने क चेतावनी द , ल कन मडास को भा वत
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नह ं कया जा सका। मडास ने उ साह म आकर हर चीज को छ ू ना और उसे
सोने म बदलना शु कर दया। ज द ह , उस भूख लगने लगी। ल कन वह
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क ु छ भी नह ं खा सका य क उसका खाना भी सोने म बदल गया था। उसक यार बेट ने उसे संकट
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म दखा और उसे गले लगाने क लए दौड़ी। हालाँ क, वह भी सोने म बदल गई। तब उस एहसास हआ क
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सुनहरा पश कोई आशीवाद नह ं था। नै तक: लालच यि त को पतन क ओर ले जाता ह।
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