Page 22 - गुज गरिमा
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             (2) िदनाक 02.08.2024 को डेिडयापाड़ा, नम�दा म� डेिडयापाड़ा और सागबारा बलॉक क े
                     िवशेष �प से स�म लाभािथय� क े  िलए।

                  श्री  राजीव  शमार्,  कायर्कारी  िनदशक  (प�र.)-  सीएसआर,
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                  हडको और श्री चैतरभाई वसावा, िवधायक, डिडयापाड़ा ने
                  िवतरण  �शिवर  का  उद्घाटन  िकया ।  अहमदाबाद  �ेत्रीय
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                  कायार्लय क �ेत्रीय प्रमुख, सयु� महाप्रबधक (प�र.) और
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                  �ानीय प्रा�धकरण क प्रितिन�ध भी �शिवर में मौजूद थे । कल
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                  289 सहायक उपकरण �जनक� क�मत 28.11 लाख रुपये है,
                  163 िवशेष रूप से स�म लाभा�थर्यों को िवत�रत िकए गए ।


            (3) 03.08.2024 को नम�दा म� ितलकवाड़ा और ग�ड़े�र बलॉक क े  िवशेष �प से स�म

                    लाभािथय� क े  िलए ।


                 श्री  राजीव  शमार्,  कायर्कारी  िनदशक  (प�र.)-सीएसआर,
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                 हडको और डॉ. दशर्नाबेन दशमुख िवधायक, नादोद ने िवतरण
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                 �शिवर  का  उद्घाटन  िकया ।  अहमदाबाद  क  �ेत्रीय  प्रमुख,
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                 सयु�  महाप्रबधक  (प�र.)  और  �ानीय  प्रा�धकरण  क
                 प्रितिन�ध भी �शिवर में मौजूद थे । कल 197 सहायक उपकरण
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                 �जनक� क�मत 15.70 लाख रुपये है, 115 िवशेष रूप से स�म



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                 हडको क� सीएसआर पहल क एक भाग क रूप में, ये �शिवर सगठन क� सामा�जक �ज�ेदारी क प्रित प्रितबद्धता
                                                                                                े
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                 तथा िवकलांग लोगों क उ�ान एव सश��करण क �लए उसक सतत प्रयासों का प्रतीक है ।
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                                           �ेरणा दीप - किठन डगर पर मसत चाल

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                   पाठकों इस �चत्र में द�खए । इसमें एक िब�ी िकतनी सहजता से नुक�ली
                   सलाखों पर चहलकदमी करती हुई िदखाई द रही है! एकदम आराम से चल
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                   रही है । िवचार क��जए िक �ा हम ऐसा कर पाते हैं? मतलब िक �जंदगी कई
                   बार हमार पथ पर भी कटक िबखेरती है । प�र��ितयों क रूप में हमार सामने
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                   कटील रा�े पेश करती है । �ा ऐसे में हम इस िब�ी क� भाँित नुक�ल पथ
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                   पर आराम से कदम बढ़ा पाते हैं? �ा हमार पास किठन डगर पर म� चाल
                   चलने क� कला है? यिद नहीं, तो हमें भी यह यो�ता अ�जर्त करनी चािहए ।
                   ऐसी कशलता होनी चािहए िक हम भी दुगर्म पथों पर धीरता से आगे बढ़
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                   सक ।
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                   जीवन जीने क� इसी कशलता को भगवद्गीता में 'योगः  कमर्सु कौशलम्' से
                   स�ो�धत िकया गया । माने िक ई�र से िकया आत�रक योग ही हमार हर कमर्
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                   में िनपुणता भर सकता है । योग यु� अव�ा हमें प्र�ेक कायर् को कशलता
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                   से से पूणर् पूणर् करने का हुनर दती है । इस योग का आधार है-बह्म�ान क�
                   �ान-साधना । इस�लए िदन भर में कछ समय िनकाल कर साधना क�रए
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                   और अपने कम� में प्रवीणता का रग भ�रए ।
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