Page 25 - गुज गरिमा
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शात मन की शि�
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एक बार क� बात है, एक छोट से गाँव में एक महा�ा रहते थे । वे बहुत �ानी और शांत �भाव क ��� थे ।
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गाँव क लोग हमेशा उनक पास अपनी परशािनयाँ लकर जाते थे और महा�ा से सलाह लते थे । लोग उ�ें अपनी
सम�ाओं क बार में बताते और महा�ा उ�ें चुपचाप सुनते रहते ।
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गाँव में एक ��� था जो बहुत बातूनी और गु�े में आकर अपनी सम�ाओं का समाधान चाहता था । वह
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महा�ा क पास गया और उ�ें अपनी सारी सम�ाए बताने लगा, लिकन महा�ा कछ नहीं बोल । वह बस
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चुपचाप सुनते रहे । कछ समय बाद, उस ��� ने गु�े में आकर महा�ा से कहा, "आप मुझे कछ �ों नहीं
कहते? �ा आपको मेरी परशािनयाँ समझ में नहीं आ रही हैं?"
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महा�ा मु�राए और बोल, "तु�ारी परशािनयाँ सुलझाने क �लए मुझे श�ों क� नहीं, चुप रहने क� श�� क�
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आव�कता है ।"
��� ने आ�यर्चिकत होकर पूछा, "�ों?"
महा�ा ने कहा, "जब हम शांत रहते हैं, तो हम अपने भीतर क� आवाज सुन सकते हैं । हमें अपने मन क� शांित
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से सही िनणर्य लने क� श�� �मलती है । श�ों से �ादा प्रभाव चु�ी और शांित में होता है । जब हम शांत रहते
हैं, तो हमारी सोच �� होती है, और हमें अपने जीवन में सही रा�ा चुनने क� समझ आती है ।"
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महा�ा ने एक उदाहरण िदया: "समझो, अगर तुम एक झील में प�र फको, तो पानी उथल-पुथल हो जाएगा ।
लिकन अगर तुम उस पानी को कछ समय तक शांत रहने दोगे, तो वह िफर से साफ और ��र हो जाएगा । वैसे
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ही, जब हम शांत होते हैं, तो हमारी सोच साफ और सही हो जाती है ।"
��� को समझ में आ गया िक शांित और चु�ी क� अपनी श�� है । उसने महा�ा क� बातों पर �ान िदया
और अपने जीवन में शांित बनाए रखने क� को�शश क� ।
सीख: इस कहानी से हमें यह �सखने को �मलता है िक शांित और चु�ी क� श�� बहुत बड़ी होती है । जब
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हम शांत रहते हैं, तो हम अपने भीतर क� आवाज सुन सकते हैं और सही िनणर्य ल सकते हैं । कभी-कभी,
श�ों से �ादा प्रभाव हमारी चु�ी में होता है ।
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राजेश चदीरामानी
उप �बधक (िव�)
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