Page 29 - गुज गरिमा
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इस िनरी�ण कायर्क्रम में अहमदाबाद �ेत्रीय कायार्लय द्वारा राजभाषा प्रदशनी भी लगाई गयी थी �जसमें
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                        े
             राजभाषा क सुद्रढ़ प्रगामी प्रयोग हेतु िनधार्�रत जॉंच िब�ूओं क� अनुपालना िदखाते हुए कायार्लय में प्रयु�
                                                                                    ै
                                                                                                            े
                                                        े
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             िद्वभाषी नामपट्ट, िद्वभाषी साईन बोड एव बैनरों क फोटाग्राफस, िद्वभाषी मोहर, लटर हैड, सेवा पु��काओं क
                                                                                               ें
             प्रारुप, लाग बुक, फाईलों पर िद्वभाषी शीषर्क, कायार्लय द्वारा क्रय क� गई िह�ी पु�क, श�ाव�लयां,
             कायार्लय द्वारा प्रका�शत िह�ी पित्रका “गुज ग�रमा”, राजभाषा नीित क उ�� कायर् िन�ादन हेतु नराकास से
                                                                           े
                                                                               ृ
             प्रा� ट�ाफ�ज एव प्रमाण पत्र एव अ� उपल��यों को दशार्या गया ।
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                           ं











             स�मित सद�ों द्वारा अहमदाबाद �ेत्रीय कायार्लय क� राजभषा प्रदशर्नी एव क्रय क� गई पु�कों क� िवषय
                                                                               ं
             व�ु एव अ� उपल��यों क प्र�ुतीकरण क� भी सराहना क� गई ।
                                      े
                   ं








                                                     हसी क े  फववारे
                                                      ं
                 बटू : वेटर, ऐसी चाय िपलाओ िजसे पीकर मन झम उठे और बदन नाचने लगे
                                                         ू
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                 वेटरः सर हमारे यहा भ�स का दूध आता है, नािगन का नह�
                                      ं
                                                                       ं
                 सज : पिडत जी, िकसी सुदर लड़की का हाथ पाने क े  िलए कया क�?
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                 पिडत जीः िकसी मॉल क े  बाहर मेहदी लगाने का काम शु� कर दे...
                                                                                               ँ
                 बीवी मिदर गयी और म�त का धागा बाधने क े  िलए हाथ ऊपर उठाया िफर कछ सोचकर धागा बाधे
                                                                               ु
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                 िबना ही हाथ नीचे कर िलया
                                        ं
                 पित : ये कया? म�त नह� मागी
                         ं
                 पतनी : मागने ही वाली थी िक हे ई�र आपकी तमाम मुिशकल� दूर कर दे िफर सोचा िक...
                 कह� म� ही ना िनपट जाऊ
                                     ं
                  गम� का कहर शु� ।।
                  एक औरत अक े ले कि�सतान म� एक क� पर बैठी थी।
                  एक राहगीर ने पछा: डर नह� लगता ?
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                  औरत : कय� ? इसम� डरने की कया बात है..... अदर गम� लग रही थी तो बाहर आ गई।
                  राहगीर अब कौमा मे है।
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