Page 35 - गुज गरिमा
P. 35
ृ
अपनी मातभाषा बोलने म� क ै सी िझझक
ुं
मानव कई प्रकार क� कठाओं क साथ जीता है, अपने हृदय में कई प्रकार क� हीन भावनाए पालता है । उ�ी
ं
े
हीन भावनाओं में से एक है, िहंदी बोलने में श�मर्�गी महसूस करना । उसे लगता है िक िह�ी अनपढ़ या कम
�लखे-पढ़ लोगों या िपछड़ गवार लोगों क� एक िनक� दज� क� भाषा है ! आज क� पीढ़ी अंग्रेजी को �ास
े
े
ं
ृ
समझती है । उ�ें िह�ी बोलने में शमर् महसूस होती है । वह सोचते हैं िक अगर वह िहंदी बोलगे तो लोग उ�ें
ें
गवांर समझेंगे । यिद कोई आप से िहंदी में प्र� करता है तो उसको गवर् से अंग्रेजी में जवाब �मलता है और उ�र
े
े
दने वाला अपने आप को �ादा सुपी�रयर समझता है । हम अंग्रेज़ो क सामने अभी भी अपने आप को छोटा
मानते है । �ों िक यह अब हमारी मान�सकता बन गई हैं । हमारी अपनी िहंदी भाषा चाहे अंग्रेजी क� अपे�ा
िकसी भी हाल में कम नहीं हो, पर िफर भी उसे ही �ादा अह�मयत दी जाती है, ये एक िवडबना है ।
ं
हम पर अंग्रेजो ने 200 साल राज िकया, और वह तो चल गए पर हम पर अपनी भाषा, आिद क� एक गहरी छाप
े
े
छोड़ गये । आज हालत यह है िक जो ��� अंग्रेजी बोल, पढ़ या �लख नहीं सकता, उसे हीन दृि� से दखा जाता
ु
है । लोगो को अपनी मातृभाषा िहंदी का प्रयोग करने में शमर् आती है । कछ लोगों क� सोच है िक िह�ी बोलने
से उनक� काब�लयत पर दाग लग जाएगा या उनक� काब�लयत में कमी आ जाएगी वगैरह वगैरह । गुलामी क�
मान�सकता इतने अंदर तक समायी है िक अपना ह�ा�र तक आप अंग्रेजी में करते हैं । �जस मातृभाषा ने हमे
े
पाला-पोसा है, �जसने हमे खाने-पीने, सोने-रहने और बैठने क श� �सखाए हैं, �जसने हमे बचपन में मां से
भात-रोटी मांगने क वा� �सखाए हैं, उसक� अवहेलना करने में हमे तिनक भी लाज नहीं आती है । यह हमार े
े
�लए शमर् क� बात है ।
े
ं
अपनी मातृभाषा को हम �य मान दते नही और अपनी हीन भावना व कठा क �लए भाषा को दोष दते हैं । ऐसी
ुं
े
े
हीन भावना से ग्र�सत लोगो को यह बात �� होनी चािहए िक सु�र वा� व िवचार िकसी भाषा, िकसी ज़बान
क मोहताज नहीं होते बशत� प्र�ुितकरण प्रभावी हो । एक बात और �ा आपने हमार प्रधानमत्री मोदीजी को
े
े
ं
े
े
ं
िकसी भी वै��क मच पर िह�ी क अित�र� िकसी अ� भाषा में बोलते हुए दखा है? नही ना । तो �ा इससे
उनका कद कम हो जाता है?
यिद वो कर सकते हैं तो हम और आप �ों नहीं? प्रधानमत्री श्री नर� मोदी जी ने हर वै��क मच पर गौरव क
ं
े
ं
े
ं
े
ं
साथ िहंदी में पूर िव� को सबो�धत िकया है, वै��क मच पर सबसे �ादा अगर िकसी को सुना गया है तो हमार े
दश क प्रधानमत्री श्री नर� मोदी जी को सुना गया है । मोदी जी ने अपनी भाषा में अपनी बात रखी,उनक�
े
ं
े
े
ृ
अ�भ��� सटीक होती है और मन क� गहराइयों से आती है इस�लए इसक� �ीकित भी �ादा है ।
33