Page 47 - आवास ध्वनि - सातवाँ अंक
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आवास न
2025-26
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आत रक लखापरी ा म ए आई का योग
प रचय
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ा आत रक लखापरी ा (आईए) वभाग आज क
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नई तकनीक को अपनान म पछड़ रह ह? इसम कोई
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सदह नह क आत रक लखापरी ा एक पव ापी,
अनुपालन-क त काय से रणनी तक मू के एक
दूरदश सचालक क प म वक सत हो रही ह। इस
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प रवत न के क म कृ म मेधा है—एक ऐसी
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तकनीक जो वशाल डटासट का कछ ही सकड म
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व षण कर सकती ह, छपी ई वसग तय का पता
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लगा सकती ह और सभा वत जो खम का उनक े
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सामन आन स पहल ही अनमान लगा सकती ह। ै
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लखापरी ा याओं म एआई को एक कत करक,
सगठन न कवल द ता और सटीकता बढ़ा रह ह,
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ब स य जो खम बधन और गहन
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सगठना क अत क नए अवसर भी खोल रह ह।
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नई तकनीक आत रक लखा परी ा को कस लाभ
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प चा सकती ह ै
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आत रक लखापरी ा म एआई और डटा एना ल ट
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क इ माल क फायद आसानी स दख जा सकत ह। य े
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सगठन को ादा कशलता स काम करन, याओं
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म तज़ी लान, उ ादकता बढ़ान और लखापरी ा को
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ादा सटीक बनान म मदद करत ह। हाला क लागत
तरंत कम नह हो सकती ह—श आत म इस सही
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ठहराना म ल होगा—ल कन समय क साथ इनक े
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कम होन क सभावना ह क य तकनीक ब त
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साधारण हो जाएगी। यह तकनीक पारंप रक तरीक
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क तलना म बड़ी मा ा म डटा को कई अ धक तज़ी स े
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और अ धक सटीकता स ससा धत कर सकती ह। यह
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ज टल झान और पैटन का पता लगा सकती है,
जसस सम ाओं क मल कारण का पता लगान और
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उ बड़ी सम ा बनने से पहले ही कार वाई करने म
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मदद मलती ह। एआई, द ावज़ क समी ा और
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व षण भी कर सकता ह, जसस उन जो खम का
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पता चलता ह जो पहल नज़रअदाज़ हो गए ह ग। इसक े
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अ त र , यह रपोट लखन, तयाँ तयार करन े
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और व र नताओं व नयामक क लए अ सचार
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तयार करन जस काय को तज़ कर सकता ह। ै
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