Page 48 - चिरई - कोलकाता क्षेत्रीय कार्यालय की पत्रिका
P. 48

पसिं�में र्बगाल औरे सिं�क्कि�में मेंं हाडेकॉो द्वाारेा निवत्तपोनि�ता योोजेंनाओंं कॉी झलकिकॉयोा           �
                      ं













































































           48                                                                                                                                                                                                                            49
                                                            ै
                                             े
                                  "सााहिंहत्या केंी सावा भागवान केंा केंायव ह, आप केंाम मं लग जाइए आपकेंो भागवान केंी
                                                                      ू
                                                                                  े
                                                           े
                                      साहायता प्राप्त होगी और आपकें मनोरथ परिरपणव हंगे।" - चा�द्रीशाखार धिमश्रे
                                                                                                                                                                                                                                  ष
                                                                                                                                                                                                                                    े
           चि�रई, अंंक-4                                                                                                                                                                                                 हााउसिं�ंग एण्ड अंर्बन डेवलपमांट कॉपोरेशन सिंलसिंमाटडे े
        वर्षष : 2024-25, माा�ष, 2025                                                                                                                                                                                      क्षेेत्रीीय कााया�लय, काोलकााताा काी वाार्षि�िका हि�न्दीी पत्रित्रीकाा
   43   44   45   46   47   48   49   50   51   52   53