Page 45 - चिरई - कोलकाता क्षेत्रीय कार्यालय की पत्रिका
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देुखी मनाष्यंं और सकाटग्रस्त जीवंना-
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रूपं काी सवंा कारनाी चाफिहए। योंही
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ईश्वर काी वंास्तफिवंका उपासनाा ह।
स्वामी फिवंवंेकाानादे पश्चि�मी देशीषना सफिहती
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फिवंश्चिभान्ना फिवंर्षयोंंं का ज्ञाातीा हंनाे का साथ-
साथ एका बंहुमखी प्रफितीभाा का �नाी थे।
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वंह भाारती का पहले फिहंदेू सन्यासी थे,
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श्चिजन्होंंनाे फिहंदेू �मष और सनाातीना �मष
काा सदेशी फिवंश्व भार मं �लायोंा ह।
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स्वामी फिवंवंेकाानादे चाहतीे थे फिका योंवंा
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अश्चि�का से अश्चि�का सख्याा मं सामाश्चिजका
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हं गायोंा। तीीना वंर्षष तीका वंे अमेरिरकाा मं रह और वंहां लंगांं
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गाफितीफिवंश्चि�योंंं मं शीाफिमल हं, श्चिजससे ना कावंल समाज बंेहतीर
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कां भाारतीीयों तीत्वज्ञााना काी अदेभाती ज्यंफिती प्रदेाना कारतीे रह।
बंनाेगाा, बंक्ट्� इंससे व्यफि�गाती फिवंकाास भाी हंगाा।
अध्यात्म-फिवंद्युा और भाारतीीयों देशीषना का फिबंनाा फिवंश्व अनााथ
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4 जलाई 1902 कां उन्होंंनाे देह त्यागा फिकायोंा। वंे सदेा
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हं जाएगाा योंह स्वामी फिवंवंेकाानादेजी काा दृढ़ा फिवंश्वास था।
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अपनाे कां गारीबंंं काा सवंका काहतीे थे। भाारती काा गाौरवं देशी-
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अमेरिरकाा मं उन्होंंनाे रामकाष्ण फिमशीना काी अनाका शीाखाए
देशीांतीरंं मं उज्जवंल कारनाे काा उन्होंंनाे सदेा प्रयोंत्न फिकायोंा।
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स्थााफिपती काी। अनाका अमेरिरकाना फिवंद्वाानांं नाे उनाकाा श्चिशीष्यत्व
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वंतीषमाना मं भाारती का योंवंा श्चिजस महापुरूर्ष का फिवंचारंं कां
ग्रहणा फिकायोंा।
आदेशीष मानाकार उससे प्रेरिरती हंतीे ह, योंवंाओंं का वंे मागाषदेशीषका
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स्वामी फिवंवंेकाानादे भाारती का एका फिहंदेू श्चिभाक्षु थे। उनाकाी
और भाारतीीयों गाौरवं ह स्वामी फिवंवंेकाानादे। भाारती काी गारिरमा
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श्चिशीक्षाए और देशीषना फिहंदेू फिवंचारंं का फिवंश्चिभान्ना पहलुओंं, फिवंशीर्ष
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कां वंश्चिश्वका स्तर पर सम्मााना का साथ बंरकारार रखनाे का श्चिलए
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रूप से शीास्त्ीयों योंंगा और अद्वाती वंदेांती काा पनाव्याख्याा और
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स्वामी फिवंवंेकाानादे का काई उदेाहरणा इंफितीहास मं फिमलतीे ह।
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सश्लेेर्षणा ह। उन्होंंनाे �मष कां राष्टािवंादे का साथ फिमश्चिश्रीती
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फिकायोंा, और इंस
पनाव्याख्याा कां श्चिशीक्षा, आस्थाा, चरिरत्री
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फिनामाषणा का साथ-साथ भाारती से सबंश्चि�ती
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सामाश्चिजका मद्देंं का फिवंश्चिभान्ना पहलुओंं पर लागाू
फिकायोंा। उनाकाा प्रभाावं पश्चि�म तीका भाी �ला
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और उन्होंंनाे योंंगा कां पश्चि�म मं पशी कारनाे मं
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महत्वपणाष भाफिमकाा फिनाभााई। स्वामी फिवंवंेकाानादे
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नाे मानावंतीा कां ऐसी राह फिदेखाई जं सभाी �मं
काी एकातीा और परस्पर सम्मााना पर आ�ारिरती
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ह। स्वामीजी नाे �मष काी बंहुती साथषका व्याख्याा
कारतीे हुए काहा फिका ईश्वर सभाी प्राश्चिणायोंंं
मं ह और ईश्वर काी सवंा कारनाी ह तीं
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"मं देुनिनया केंी साब भााषााओं केंी इज्जत केंरता हूँ, परन्तुु मर देशा मं हिंहंदेी केंी इज्जत न हो,
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यह मं नहं साह साकेंता।" - निवनोबा भााव े
चि�रई, अंंक-4 हााउसिं�ंग एण्ड अंर्बन डेवलपमांट कॉपोरेशन सिंलसिंमाटडे े
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वर्षष : 2024-25, माा�ष, 2025 क्षेेत्रीीय कााया�लय, काोलकााताा काी वाार्षि�िका हि�न्दीी पत्रित्रीकाा