Page 44 - चिरई - कोलकाता क्षेत्रीय कार्यालय की पत्रिका
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                                                                                                ं
                                                                आत्म-साक्षात्कृार  हुआ।  �लस्वरूप  नारद्रु  परमहसजी  का
                                                                                                       ं
                                                                                            े
                                                                श्चिशीष्यंं मं प्रमुख हं गाए। सन्यास लनाे का बंादे इंनाकाा नााम
                                                                                                े
                                                                      ं
                                                                फिवंवंेकाानादे  हुआ।  स्वामी  फिवंवंेकाानादे  अपनाा  जीवंना  अपनाे
                                                                                           ं
                                                                                        ं
                                                                                ृ
                                                                                                             े
                                                                                                            ु
                                                                गाुरूदेवं स्वामी रामकाष्ण परमहसजी कां समफिपती कार चका
                                                                                                     ष
                                                                    े
                                                                                      े
                                                                       े
                                                                           े
                                                                थे। गाुरूदेवं का शीरीर-त्यागा का फिदेनांं मं अपनाे घोर और काटूम्ब
                                                                                                          ु
                                                                                                       े
                                                                       ु
                                                                काी नााजका हालती काी परवंाह फिकाए फिबंनाा, स्वयों का भांजना
                                                                                                     ं
                                                                                                            े
                                                                                      े
                                                                काी परवंाह फिकाए फिबंनाा गाुरू सवंा मं सतीती हाश्चिजर रह। गाुरूदेवं
                                                                                                      े
                                                                                               ं
                                                                काा शीरीर अत्यती रूग्ण हं गायोंा था। कासर का काारणा गाले
                                                                                                    े
                                                                           ं
                                                                मं थका, र�, का� आफिदे फिनाकालतीा था। इंस सबंकाी स�ाई
                                                                    ू
                                                                    ू
                                                                                          े
                                                                वंे खबं ध्याना से रखतीे थे। गाुरू का प्रफिती ऐसी अनान्य भाफि�
                                                                                                             े
                                                                          े
                                                                और फिनाष्ठा का प्रतीाप से ही वंे अपनाे गाुरू का शीरीर और उनाका
                                                                                                े
                                                                                               े
                                                                फिदेव्यतीम आदेशीं काी उत्तम सवंा कार सका।
                                                                                       े
                                                                                         ं
                                                                     25 वंर्षष काी अवंस्थाा मं नारद्रु देत्त नाे गाेरूआ वंस्त् पहना
                                                                                             ू
                                                                                              े
                                                                श्चिलए। तीत्पा�ाती  उन्होंंनाे पदेल ही पर भाारतीवंर्षष काी योंात्रीा
                                                                                     ै
                                   अजेनंा भट्टाा�ायीब           काी। सना 1893 मं श्चिशीकाागां (अमेरिरकाा) मं फिवंश्व �मष परिरर्षदे
                                     ं
                                  पत्नीी:-जेयीता भट्टाा�ायीब
                                         ं
                                                                                                     े
                                                                                      ं
                                               वरिरष्ठ प्रबन्धक   हं रही थी। स्वामी फिवंवंेकाानादेजी उसमं भाारती का प्रफितीफिनाश्चि�
                                            क्षेेत्रीीयी कायीाबलेयी, कोलेकाताा
                                                                          ं
                                                                               ू
                                                                                          े
                                                                 े
                                                                का रूप मं पहुचे। योंरंप-अमेरिरकाा का लंगा उस समयों परा�ीना
                                                                भाारतीवंाश्चिसयोंंं कां बंहुती हीना दृफिष्टा से देखतीे थे। वंहां लंगां नाे
                                                                                             े
                                                                बंहुती प्रयोंत्न फिकायोंा फिका स्वामी फिवंवंेकाानादे कां सवंष�मष परिरर्षदे
                                                                                             ं
                                                                मं बंंलनाे काा समयों ही ना फिमले। एका अमेरिरकाना प्रं�सर का
                                                                                                             े
                                                                                                        े
                                                                                                  े
                                                                           ं
                                                                प्रयोंास से उन्हो थंड़ाा समयों फिमला, फिका ं तीु उनाका फिवंचार सनाकार
                                                                                                          ु
                    स्वामी  फिवंवंेकाानादे  काा  जन्म  12  जनावंरी  1863  कां   सभाी फिवंद्वााना चफिकाती हं गाए। फि�र तीं अमेरिरकाा मं उनाकाा
                                ं
                हुआ था। उनाकाा घोर काा नााम नारद्रु देत्त था। उनाका फिपतीा   बंहुती स्वागाती हुआ। वंहां इंनाका भा�ंं काा एका बंड़ाा समदेायों
                                          ं
                                                        े
                                                                                                          ु
                                                                                       े
                श्रीी फिवंश्वनााथ देत्त पा�ात्य सभ्यतीा मं फिवंश्वास रखतीे थे। वंे
                अपनाे पत्री नारद्रु कां भाी अग्रजी पढ़ााकार पा�ात्य सभ्यतीा का
                          ं
                                    ं
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                 ं
                ढांगा पर चलानाा चाहतीे थे। नारद्रु काी बंफिद्वा बंचपना से बंड़ाी
                तीीव्र थी और परमात्मा कां पानाे काी लालसा भाी प्रबंल थी।
                                                        े
                    े
                इंस हतीु वंे पहले �ह्म समाज मं गाए फिका ं तीु वंहां उनाका श्चिचत्त
                कां सतींर्ष नाहीं हुआ।
                    ं
                     रामकाष्ण परमहस काी प्रशीसा सनाकार नारद्रु उनाका पास
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                                        ं
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                                                         ं
                पहले तीका कारनाे का फिवंचार से ही गाए थे। फिका ं तीु परमहसजी
                       ष
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                नाे देखतीे ही पहचाना श्चिलयोंा फिका योंे तीं वंही श्चिशीष्य ह श्चिजसकाा
                                                      ै
                                                   ृ
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                उन्हो काई फिदेनांं से इंतीजार ह। परमहसजी काी कापा से इंनाकां
                              ं
           44                                                                                                                                                                                                                            45
                                 "आज केंा लखाकें निवचाारं और भाावं कें इनितहासा केंी वह केंड़ाी ह शिजसाकें पीछो शाताब्दिब्दयं
                                          े
                                                            े
                                                                             ै
                                                                                  े
                                                                                      े
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                                                केंी केंद्विड़ाया� जड़ाी ह।" - माखानलाल चातवदेी
                                                                             े
                                                                            ु
                                                             ै
                                                                                                                                                                                                                                  ष
           चि�रई, अंंक-4                                                                                                                                                                                                 हााउसिं�ंग एण्ड अंर्बन डेवलपमांट कॉपोरेशन सिंलसिंमाटडे े
                                                                                                                                                                                                                                    े
        वर्षष : 2024-25, माा�ष, 2025                                                                                                                                                                                      क्षेेत्रीीय कााया�लय, काोलकााताा काी वाार्षि�िका हि�न्दीी पत्रित्रीकाा
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