Page 52 - संकल्प - दसवां अंक
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दसवी ं अंक
शहतूत पथ: पुरानी याद और ितिबंब का एक ण
कल म अपने पसंदीदा चौराहे से होकर घर वापस जा रहा था।
संकरे रा त म क छ खास बात होती है, मुझे वे बहुत पसंद ह ।
यह बहुत पतला है, जैसे िक िसफ़ एक य त ही चल सकता है
और घास और पेड़ दोन तरफ़ आपकी बाह को छ ते ह ।
एक जं शन है जो इस संकरे रा ते की ओर जाता है, इस जं शन क िकनारे एक शहतूत का पौधा है।
मुझे शहतूत बहुत पसंद है। यह बहुत पुरानी याद को ताज़ा करता है, य िक,
मेरे दादाजी क पास शहतूत हुआ करते थे और जब भी म अपने पैतृक थान पर जाता हूँ, तो
यह एक िमनी-ईडन की तरह होता है िजसे इस आदमी ने बनाया होगा और
यह एक िद य अनुभव की तरह लगता है, जब म अपने बगीचे से गुज़रता हूँ तब म
अपने पेट को सभी फल और जामुन से भर देता हूँ।
वैसे भी म आमतौर पर इस रा ते को पार करते समय एक या दो जामुन तोड़ लेता हूँ,
लेिकन इस बार यह थोड़ा दुभा यपूण था य िक दो मूल िनवासी (जज जम न) मेरे पीछ थे।
िपछली बार जब म ने ऐसा िकया था, तो मुझे देखा गया था और म मज़ाक म अपने दो त से कह रहा था जो
मुझे जामुन चुनने म मदद कर रहा था, "अगर वे हम देख भी ल , तो वे सोच गे िक हम गरीब भारतीय छा ह ,
जो अपने पेट म क छ जामुन डालने की कोिशश कर रहे ह "। दो सेक ड बाद म ने देखा िक मािलक मुझ पर हंस रहा
है और म ने माफ़ी मांगी, वह बहुत शिम दा थी और उसने अपने मोट जम न लहजे म कहा,
"कोई सम या नह है" और हम दोन शिम दगी क साथ भाग गए। म नह चाहता था िक इितहास खुद को दोहराए,
इसिलए म ने क छ जामुन का वाद लेने की अपनी इ छा को दबा िलया
और िनराशा क साथ संकरी पगड डी की ओर चल िदया। म ने ांड से बस एक बेर मांगा था।
इस बार म अपना िसर नीचे करक बहुत धीरे-धीरे चला य िक मेरा पहले से ही बुरा िदन था,
हर सुबह वाट र-लाइफ़ संकट क साथ जागना, हर िदन एक घिटया नौकरी बाजार म अ वीक ित का सामना
करना, म धीरे-धीरे संकरी पगड डी क अंत तक पहुँच गया, घर वापस जाने की मेरी या ा का
पसंदीदा िह सा शोक की सैर बन गया। लेिकन, मुझे आ चय हुआ िक वहाँ शहतूत से भरी एक मोटी झाड़ी थी
पूरी तरह से पकी हुई और आस-पास कोई नह था, देिखए म आपको बताता हूँ िक यह सब समय की बात है।
म ने मु ी भर जामुन उठाए और बड़ी मु कान क साथ घर चला गया।
क थरीन एले स
सुपु ी सुजा एस, संयु त
महा बंधक (प र)
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