Page 57 - लक्ष्य - चंडीगढ़ क्षेत्रीय कार्यालय की पत्रिका
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laHya
                                                                                                      laHya










                                                   खुश  क मत    म




                                               खुश  क मत    म , जो जी रहा   ,

                                               जीवन क  खु शय  को महसूस कर रहा   ।




                                               हर सुबह एक नई उ मीद लेकर आती,
                                               हर रात एक नया सपना  दखाती।




                                               मेर  जीवन म  खु शय  क  कमी नह ,

                                               मेर   दल म  दुख  क  जगह नह ।



                                               म  खुश  क मत   , जो मुझे  मल गया,

                                               जो जीवन  मला, वो मेर   लए सही ह ।



                                               म  अपने जीवन को जीने का तरीका ढ  ढता,

                                               हर पल को खुशी से भरने का  यास करता।




                                               खुश  क मत    म , जो मुझे  यार  मला,

                                               जो जीवन म  अपन  का साथ  मला।



                                               म  अपने जीवन को ध यवाद देता   ,

                                               जो मुझे इतनी खु शयाँ देता ह  ।



                                                                                             संजीव क मार

                                                                                          बंधक (आई टी)








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