Page 5 - आवास ध्वनि - सातवाँ अंक
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आवास   न
               2025-26































                  य सा थय ,


                                      े
                                                              ृ
                                                                                              ं
                                                                                                 ं
                                                                                                         े
                 ह ी पखवाड़ा, 2025 क दौरान हडको क   ह ी गह प  का 'आवास   न' का सातवा अक आपक सम
                                                                                                 ृ
                                   े
                  त करत  ए मझ अपार हष क  अनभ त हो रही ह।  ह दी हमारे रा  क  आ ा, स  त और सवदना
                            े
                    ु
                                  ु
                                                     ु

                                                      ू
                                                                                                            े
                                                                 ै
                                                                                              ं
                                                                                                          ं
                                                                 ै
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                                                                          ं
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                                                                                                         ृ
                                                                                                       ं

                क  सवाहक ह। यह न कवल अ भ    का मा म ह, ब   सगठना क एकता और काय स  त को
                                                                                                     ं
                                 ै
                                                                           े
                                                                                                         ै
                                                                ृ
                भी स ढ़ करती ह। 'आवास   न' हडको क   ह दी गह प  का क  प म एक ऐसा सश  मच ह, जो न

                     ु
                                                                          ु

                                                                                           ु
                  े
                कवल  हमारी  काय णाली,  उपल  य   और  नवाचार   को    त  करता  ह,  अ पत  हमारे  सहक म य   क
                                                                                    ै
                सजना कता,  वचारशीलता और अत न  हत   तभा को भी उजागर करता ह।           ै
                                                 ं
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                मझ अ त  स ता ह  क 'आवास   न' का यह सातवा अक भी पववत  अक  क  तरह राजभाषा क                      े
                  ु
                                      ै
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                         ं
                                                                                        ं

                                                                                ू
                                                                         ं
                                                                      ँ
                                                                          े
                                                      ु
                                                                                                  ै


                                                              े
                                                                                                         ं
                                ू


                 चार- सार म पण समपण, उ ाह एव गणव ा क प रचायक क  प म  का शत हो रहा ह। इस अक म न
                                                    ं

                  े
                                                                                             ै
                                                           ं
                                                                                         े
                कवल हडको क  योजनाओं, प रयोजनाओं एव सामा जक सरोकार  का समावश ह, ब   यह आ ीय
                                  ं
                                   े

                  ं
                         ं
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                सवाद एव  वचार स षण का भी सश  मा म ह। हडको सदव रा   नमाण, आवासीय  वकास एव शहरी
                                                                                                          ं
                                                                        ै
                                                                                              े
                        ू
                                       े
                                                                                                              ु
                            ं

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                                                                       ै
                                                                                                         े
                आधारभत सरचना क    म अ भनव  यास करता रहा ह। ऐस  यास  को श   क मा म स   त
                                                                           े
                करना अ ंत सराहनीय काय  है। इस  दशा म  'आवास   न' गृह प  का का  काशन एक अनुकरणीय
                 यास है।
                म  सपादक य  टीम  क  इस  सतत   यास  क    शसा  करता     और  सभी  लखक ,रचनाकार   पाठक   को
                     ं

                                                                        ँ
                                                             ं
                                    े
                                                                                     े
                                   ँ
                हा द क शभकामनाए दता  । आशा ह  क  वगत अक  क  भा त यह अक भी न कवल  ानवधक होगा,

                                                                         ं
                                     े
                                                                                            े
                         ु
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                                                               ं
                                                                                 ं
                                          ँ
                ब    ेरणादायक एवं पठनीय भी  स  होगा। आइए, हम सभी  मलकर  ह दी भाषा को अपने काय  े  म
                                                                                  े
                                   े
                                                                                े
                                                                           ँ
                अ धक  भावी बनात  ए हडको को  ग त क नए आयाम  तक प चान क  लए  नरंतर अ सर रह।
                                                        े
                शभकामनाओ ं स हत,
                  ु
                                                                                                            े
                                                                                                 ं
                                                                                                       ु
                                                                                               सजय कल
                                                                                                    ं
                                                                                     अ   एव  बध  नदशक
                                                                                                ं
                                                                                                           े
                                                                                                                 5
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