Page 9 - आवास ध्वनि - सातवाँ अंक
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आवास   न
               2025-26































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                                                                        ँ
                भारत  व वधताओं का दश ह, जहा भाषा, स  त और परंपराए  मलकर हमारी पहचान को सश  बनाती
                                                                          ु

                                                                                             ं
                                                                   ै
                                                                                                         ै
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                                            े
                ह। इन  व वधताओं म  ह दी न कवल सवाद का मा म ह, अ पत रा ीय एकता क  सवा हका भी ह। हडको

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                                                                           े
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                                                                                                              ू


                म हम इस दा य  को न कवल भाषा क      स, ब   रा  क  वकास क   दशा म भी एक मह पण
                                                                                                            े

                                                      े
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                कड़ी मानत ह। "आवास   न" प  का न कवल हडको क  योजनाओं, पहल  और उपल  य  को दशान का

                एक  भावी मच ह, ब   यह राजभाषा  ह दी क  चार- सार का भी एक सश  मा म ह।  इस प  का क               े
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                                                                         े
                मा म स हम यह  यास करत ह  क हमारे पाठक  को न कवल आवास व शहरी  वकास क  अ तन
                                                                                      ु
                जानकारी  मल, ब   व  ह दी भाषा क  ग रमा और  भावशीलता का भी अनभव कर ।
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                राजभाषा अनभाग, हडको क    श ण, कायशालाए,   तयो गताए और तकनीक  ससाधन  का  ह दी म
                                                                             ँ


                                                                                         े

                 वकास  इन  सभी  पहलुओं  पर  कायनी त      ह।  राजभाषा  म  काय  करना  कवल  औपचा रकता  नह ,
                                                              ै
                ब   कत   और गव  क  अनुभू त है। आज जब भारत " वक सत रा " होने क   दशा म  अ सर है, तब
                यह और भी आव क हो जाता है  क हम अपनी भाषा, सं ृ  त और मू   के  साथ इस  वकास या ा म

                सहभागी बन। हडको इस  दशा म अपनी भ मका को सजग, सक  त और सम प त भाव स  नभा रहा ह।
                                                                                                            ै

                                                                       ं
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                "आवास   न" का यह अक सभी पाठक  को हडको क  ग त व धय , उपल  य  एव सक   स अवगत
                कराएगा, साथ ही  ह दी के  मा म से सश  भारत क  प रक ना को भी नई ऊजा  देगा। आइए, हम सब
                                                                                               ै

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                 मलकर  ह दी को कमभ म क  भाषा बनाए,    क यही भाषा रा  क  आ ा स जड़ी ह।
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                शभकामनाओ ं स हत,
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                                                                                   कायकारी  नदशक (राजभाषा)

                                                                                                 े
                                                                                                                 9
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