Page 12 - आवास ध्वनि - सातवाँ अंक
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आवास न
2025-26
सच प छए तो भाषा क उ धानतः सामा जकता नकल , जनस ह दी भाषा का नमाण आ। ह दी
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क नवाह क लए ही ई ह। भाषा का वकास व भ कालखड म आ और इस े
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दश क मख भाषाओं म ान मला। म काल म
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ज, अवधी और अ ीय बो लय क प म ह दी
भाषा का वाह अ व ह।
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का व ार आ, जसम सत कबीर, तलसीदास और
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भाषा सामा जक व ह।
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सरदास जस क वय न मह पण योगदान दया।
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भाषा सव- ापक ह।
भाषा स षण का मौ खक साधन ह।
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भाषा अ ज त व ह।
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म काल
भाषा प रवतनशील ह ै
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क भाषा का ढाँचा त होता ह।
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10व स 14व शता ी क बीच ह दी भाषा का
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भाषा भौगो लक प स ानीयकत होती ह।
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प वक सत आ। इस काल म ह दी क कई
बो लया उभरकर सामन आ , जनम मख थ :
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अवधी (तलसीदास क ‘रामच रतमानस’)
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ह दी भाषा का इ तहास ज भाषा (सरदास क रचनाए)
राज ानी (वीर रस क क वताए)
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इस काल म कबीर, मीरा, रहीम और तलसीदास
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ह दी भाषा का इ तहास अ त सम और ाचीन ह। ै
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जस महान क वय न ह दी सा ह को सम
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इसक उ सं ृ त भाषा से ई मानी जाती है। यह
कया।
भाषा व भ कालखड म वक सत होती रही ह और
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इसके वकास म अनेक भाषाओं और बो लय का
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योगदान रहा ह। ाचीन काल म अप श और ाकत
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भाषाओं क मा म स ह दी न अपना प हण
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कया। म काल म यह ज, अवधी और अ
लोकभाषाओं क प म च लत रही, जसम
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भ काल क सत और क वय न मह पण योगदान
दया।
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आध नक ह दी का प 19व और 20व शता ी म
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गढ़ा गया, जब इस सा ह , प का रता और शासन
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म ापक प स अपनाया जान लगा। आज ह दी न
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कवल भारत क राजभाषा ह, ब यह व भर म
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करोड़ लोग ारा बोली और समझी जाती ह। इसक
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सा ह क और सा तक धरोहर इस अ भाषाओं
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स व श बनाती ह। ै
ाचीन काल
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स त, जस दववाणी कहा जाता ह, भारत क सबस े
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ाचीन भाषा मानी जाती ह। व दक काल म सभी
धा म क थ स त म ही लख गए थ। स त स े
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ाकत और फर अप श भाषाए ँ
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