Page 15 - आवास ध्वनि - सातवाँ अंक
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आवास न
2025-26
ह दी भाषा का मह
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ह दी भाषा न कवल भारत म, ब व क कई दश
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म बोली जाती ह। इसका मह कई म दखा जा
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सकता ह :-
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स त और परंपरा: ह दी भारतीय स त क
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आ ा ह। यह ोहार , सगीत, न , सा ह और
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धा म क थ स गहराई स जड़ी ई ह। रामायण,
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महाभारत, वेद और उप नषद जैसे प व ंथ का
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भाव ह दी भाषा पर प स दखा जा सकता
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ह। ह दी भाषा लोककथाओं, कहावत और महावर
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क मा म स भी भारतीय जीवनशली को दशा ती
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श ा और अनसधान: ह दी भाषा म अनक
श ा द थ, शोध प और अ यन साम ी
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उपल ह। भारत क कई व ालय और व क र पर ह दी क बढ़ती लोक यता: आज
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व व ालय म ह दी भाषा क अ यन को ह दी सफ भारत तक सी मत नह ह, ब
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बढ़ावा दया जा रहा ह। नई श ा नी त क तहत नपाल, मॉरीशस, फजी, द ण अ का, सरीनाम
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ह दी म उ श ा को भी बढ़ावा दया जा रहा ह। ै और अमे रका म भी लाख लोग ह दी बोलते ह ।
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ह दी सा ह और भाषा अनसधान क म व क कई व व ालय म ह दी भाषा पढ़ाई
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नरंतर नए आयाम जड़ रह ह। जाती ह और सय रा सघ म ह दी को
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आ धका रक भाषा बनान क माग भी क जा रही
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आ थ क और ावसा यक : भारत म कई ह। ह दी फ , गीत और वब सीरीज क
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सरकारी और नजी नौक रय म ह दी का योग लोक यता क कारण भी ह दी व क र पर
आव क है। कई कं प नयाँ ह दी म व ापन और एक मह पूण भाषा बन गई है।
चार करके भारतीय बाजार म वेश करती ह ।
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भारत म ह दी भाषा को समझन वाल क स ा ड जटल यग म ह दी क भ मका: इटरनट क े
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करोड़ म ह, जसस यह एक भावी ावसा यक बढ़त भाव क कारण ह दी ॉ ग ग, य ब,
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भाषा भी बन गई ह। ब क ग, बीमा, ई-कॉमस और पॉडका ग और सोशल मी डया पर तजी स फल
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ड जटल माक ट ग जस म ह दी का उपयोग रही है। गूगल, फे सबुक, टर और अ ड जटल
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तजी स बढ़ रहा ह। टफॉम ह दी भाषा को बढ़ावा दन क लए
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वशष स वधाए दान कर रह ह। ऑनलाइन
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श ा, ड जटल ज़ और ई-ब क मा म स े
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भी ह दी का उपयोग बढ़ता जा रहा ह।
रा ीय एकता और सामा जक समरसता: भारत
एक ब भाषी देश है, ले कन ह दी पूरे देश को
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एकता क स म बाधन का काम करती ह। ह दी
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भाषा उ र स द ण और पव स प म तक
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व भ समदाय क बीच सवाद का एक भावी
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मा म ह। ह दी न ीय भाषाओं और स तय
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को जोड़न का काय कया ह और दश क एकता व
अखंडता को बनाए रखा है।
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