Page 7 - आवास ध्वनि - सातवाँ अंक
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आवास   न
               2025-26































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                                        ै

                यह अपार हष का  वषय ह  क  ह ी पखवाड़ा, 2025 क दौरान हडको क   ह ी गह प  का 'आवास   न'
                                                                  े
                                                       े

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                                                                ै
                                                                            ु
                                                                                                  ं
                का सातवा अक आपक पठनाथ जारी होन जा रहा ह ।  व ीय अनशासन, उ रदा य  एव नवाचार  कसी
                                                                                         े
                                                                             ै
                                                                                               ू
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                     ं
                भी स ा क  स ढ़ न व होत ह, और मझ यह कहत  ए गव हो रहा ह  क हडको न इन म   को आ सात
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                               े
                           े

                                                                                                ै
                करत  ए दश क आवास एव इ ा   र  वकास म एक  व श   ान  ा   कया ह। हडको क  या ा
                                          ं
                                                                                      े
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                कवल  आ थ क   नवश   तक  सी मत  नह   रही,  ब    यह  सामा जक  समावश,  पयावरणीय  सतलन  एव           ं
                                                                                                       ं
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                सतत  वकास क आदश  स भी जड़ी रही ह। हमारी  व ीय योजनाए इस बात को स न  त करती ह  क दश
                                                                                          ु
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                                                                            ँ
                                                                                                              े
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                                                      ै
                                                              ँ
                क   क वग तक  कफायती आवासीय स वधाए प च, और शहरी एव  ामीण     म सत लत  वकास

                                                                 ँ
                                                                                 ं
                                                        ु
                                                                                                    ु
                                                                                                  ं
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                                                                                           े

                                                                                          े
                को  ो ाहन  मल। "आवास   न" कवल एक प  का नह , ब   यह हडको क भीतर क  रचना क
                                 े
                                                   े
                ऊजा , नवाचार और  व वध  यास  का दप ण है। यह न के वल हमारे का म क  को अ भ    का मंच देती है,
                ब   पाठक  को हमारी नी तय , प रयोजनाओं और उपल  य  से जोड़ती है। म  इस अंक के  मा म से
                                                         ँ
                अपन सभी सा थय  को हा द क बधाई दता  ,  ज  न क ठन प र म और   तब ता क साथ हडको क                  े
                     े
                                                                                                 े
                                                     े
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                                                                                                            े
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                                                                                          ँ
                 व ीय ढाच को स ढ़ बनाया। साथ ही सपादक य टीम को भी मरी शभकामनाए,  जनक  यास  स यह
                                                                                ु
                                                      ं
                                                                               े
                                     ै
                अक  का शत हो रहा ह। आशा ह  क "आवास   न" का यह अक न कवल पठनीय होगा, ब   यह हडको
                                             ै
                  ं
                                                                        ं
                क   वकास या ा का  रणा ोत भी  स  होगा।
                                     े
                 शभकामनाओ ं स हत,
                   ु

                                                                                              दलजीत  स ह खतरी
                                                                                                   नदशक ( व )
                                                                                                     े
                                                                                                                 7
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