Page 21 - HUDCO Darpan October2025
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ऐ वतन....                                         ज दा रहना ह तो …
                                                                                       ै



                                                                                      ै
                     ु
             ऐ वतन कछ ऐसा कर,                                   हक कत मौत क  लटक  ह पीठ पर हरदम
                                                                     े
                                                                                       े
                                                                                         ै
                         े
                  े
              क मरा लहू तरे काम आ जाए,                          सामन आए तो  ज दा  दली स तयारी रखो
                                                                        े

                      ु
             जब जब तझको जरूरत पड़,  े                             ज दा रहन क  तरक ब बहुत सारी रखो
                       ु
             मरे लहू स तझको स चा जाए।
               े
                     े
                                                                             े
                                                                                े
                                                                रक्त -मास -स्वद स सजाई  जसन श  यत त ारी
                                                                                                      ु
                                                                       ं
                                                                                            े
                                                                आ खरी सफर म कध  क   ज दारी रखो

                                                                               ं
                                                                                           े
                      ँ
                          ु
                              े
             जब जब मा त बलायगी,                                  ज दा रहन क  तरक ब बहुत सारी रखो
                        ू

                                                                        े

             तरे  लए म आऊगा,
              े
                          ं

                                                                      े
                                                                              ं
                                                                                े
                                                                                   ु
             तझको कछ न होन दूगा,                                लील लता घोर अधरा त  पल-पल हरपल
                              ं
                             े
              ु
                    ु

                                                                            े
                                                                                              े
                                                                                     ु
                                                                                 े
                       ु
              फर चाह खद शहीद हो जाऊगा,                          रौशनाती राह क  दय म कछ तो साझदारी रखो
                    े
                                   ं

                                                                        े
                       ु
                    े
                                   ं
              फर चाह खद शहीद हो जाऊगा।                           ज दा रहन क  तरक ब बहुत सारी रखो
                                                                                            ू
                                                                                    े
                                                                हक का मीठा द रया पीत हो भरे-परे हाथ  स  े
             लक्ष् अपना साध  लया ह, ै                           फ़ज़ क खारे समदर क  भी जवाबदारी रखो
                                                                              ं

                                                                     े

                                        ै
                                                                        े
              नशाना लगान क  करनी अब तयारी ह,                     ज दा रहन क  तरक ब बहुत सारी रखो
                         े
             दूरी क  कोई परवाह नह ,
                                                                              ु
                                                                                                े
                                                                            े
                                                                                           े
                                                                      े
                                 े
                            े
             पथ पर पत्थर चाह  जतन भी भारी ह ै                   न जान  कतन मखौट  क  आड़ म डसत ह

                                                                आस्तीन क साप  को परखन म समझदारी रखो
                                                                            ं
                                                                                       े
                                                                         े

                                                                 ज दा रहन क  तरक ब बहुत सारी रखो
                                                                        े

                ं
             काटो को भी अब चीर दग, े
                    े

             कलम स जो तीर चलग,  े                               घटन टकना, जोड़ -तोड़ करना, ह तौहीन हुनर
                                                                      े
                                                                 ु
                                                                    े
                                                                                           ै
                                                                                                 े
             आकाश भी अब शखनाद करेगा,                            इ ान हो कछ तो ख ारी रखो
                            ं
                                                                          ु
                                                                                 ु
                                                                        े

                 ं
             स्वय महश भी धरती पर उतरेगा,                         ज दा रहन क  तरक ब बहुत सारी रखो
                    े
                    ु
                                     े
             जब धनष पर मरी प्र चा चढ़गी,
                          े
                                ं
                                                                                            े
                                                                                                 े
                                                                                 े
              बजली घनघोर आ तशबाज़ी करेगी,                         नराशा क  लपट  स ख़ाक ह  चाह सपन सारे
                                                                           े
                                                                             े
                                                                 दल म अपन महनत कश - सी  च गारी रखो

                                  े
               ू
             भतल भी तब कपकपा उठगा,                               ज दा रहन क  तरक ब बहुत सारी रखो .
                                                                        े

                                े
                      े
             जब जब मरा कमाण उठगा
                                                                                           े
                                                                ज़म  -जायदाद, धन - दौलत चाह बटोर लो  जतनी
                                                                    ं
                                                                                     े

                                ं
                             े
             और जब म लक्ष् भद दूगा,                             पर स ार  क  गठरी हमशा भारी रखो
                                                                        े


                                  ं
             रक्त क  वषा म  ान करूगा,                            ज दा रहन क  तरक ब बहुत सारी रखो

             ससार भी तब सर झकायगा,                              मत इ ाम दो दश- दु नया और हालात  को
                             ु
                                 े
               ं
                                                                              े
             समस्त ब्र ाड भीषण भयभीत हो जाएगा,                  अपन ह सल  क  बलदी म ईमानदारी रखो
                        ं
                                                                                ु
                                                                    ै
                                                                                 ं

             न रुद्र, न काल, न नर स ह, न दशावतार,                ज दा रहन क  तरक ब बहुत सारी रखो
                                                                        े

                        े
             तब कौन मझ ललकारेगा,
                       ु

                                                                    े
                                                                                            े
                                                                      े



                                  ृ
             म अमर, म अजय, म ही म , ु                           पराय दश  क  चकाच ध म भटकत  चराग !
                                                                   े
                                                                                     ु
                                                                               े
                े
             मझ कौन मारेगा?                                     स्वदश क   म ी क  लए कछ तो वफादारी रखो
               ु
                                                                        े

             मझ कौन मारेगा?                                      ज दा रहन क  तरक ब बहुत सारी रखो
                े
               ु
                                                                                          ु
                                        ऋषभ चौधरी                                        कलदीप कौर
                                         ु
                                                                                     ृ
                                    प्र श  अ धकारी ( वत्त)                           क त वा लया क  माताजी
                 हडको दपण                                   21                           HUDCO DARPAN
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