Page 20 - चिरई - कोलकाता क्षेत्रीय कार्यालय की पत्रिका
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                                                 ै
                                           ‘‘सच ह, फिवंपफित्त जबं   कां आ�फिनाका योंगा का वंीर रस काा श्रीष्ठ काफिवं मानाा जातीा ह।
                                                                           ु
                                                                                                            ै
                                                                                           े
                                                                               े
                                                ै
                                                                                ं
                                          आतीी ह, काायोंर कां ही   वंर्षष 1929 मं जबं उन्हो पटनाा काॉलेज मं देाश्चिखला फिमला तीं वंह
                                                                          े
                                                                 े
                                               देहलातीी ह       देशी मं आ रह बंदेलावंंं का साथ सफिक्रयोंतीा से जड़ातीे चले गाए।
                                                       ै
                                                                                  े
                                                                                                  ु
                                                                              ं
                                                                                    ं
             देबजेनंी मोहारार            सूरमा नाहीं फिवंचश्चिलती हंतीे,   उना फिदेनांं स्वतीत्रीतीा आदेंलना अपनाे चरम पर था। पटनाा
              े
                                                                                े
                      वरिरष्ठ प्रबंधक (संचि�वीयी)  क्षणा एका नाहीं �ीरज   मं साईमना कामीशीना का श्चिखला� प्रदेशीषना मं उन्होंंनाे भाागा श्चिलयोंा।
                      क्षेेत्रीीयी कायीाबलेयी, कोलेकाताा
                                                खंतीे।’’        फि�फिटशी  प्रशीासना  का  लाठीचाजष  मं  लाला  लाजपती  रायों  काी
                                                                              े
                                                       े
                    वंीर  रस  काी  अपनाी  इंना  पफि�योंंं  और  शीब्दींं  का  जरिरए   मौती  काी  खबंर  नाे  फिदेनाकार  कां  आक्रंशी  से  भार  फिदेयोंा।  उसी
                                        ं
                                                                                        े
                                                                                                       ं
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               देशीवंाश्चिसयोंंं कां नाए उत्सााह और उमगा से सराबंंर कारनाे वंाले   देौराना राम�ारी श्चिसंह फिदेनाकार नाे देशीभाफि� काी काफिवंतीाए श्चिलखनाी
                                          ं
                                                                                                          े
                                                                                     े
               राष्टािकाफिवं राम�ारी श्चिसंह ‘फिदेनाकार’ नााम का अनाुरूप साफिहत्य जगाती   शीुरू काी। उन्होंंनाे सरदेार पटल द्वाारा फिकासाना सत्याग्रह नातीृत्व
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                                                                                            ं
                                                                                             े
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               मं सयोंष काी तीरह चमकातीे रह। स्वतीत्रीतीा आदेंलना मं उन्होंंनाे   काी सराहनाा और सम्मााना मं फिवंजयों सदेशी शीीर्षषका से काफिवंतीा
                                          ं
                                                                                                        ं
                                                                                                   ं
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               कालम  काी  शीफि�  से  अग्रजंं  का  श्चिखला�  फिवंद्रुंह  फिकायोंा  और   श्चिलखी थी। फिदेनाकार नाे शीुरूआती मं भाारतीीयों स्वतीत्रीतीा सग्राम मं
                                 ं
                                      े
                                                                                                 े
                                                                         ं
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               आजादेी का बंादे राष्टाि का नावंफिनामाषणा मं योंंगादेाना फिदेयोंा। देशी और   क्रांफितीकाारी आदेंलना काा समथषना फिकायोंा था लफिकाना बंादे मं वंह
                                                        े
                                                                               े
               समाज कां राह फिदेखानाे वंाली राष्टािीयों भाावंनााओंं से ओंती-प्रंती   गाां�ीवंादेी आदेशीां का समथषका हं गाए।
                                                                          े
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               उनाकाी रचनााए और काफिवंतीाए सदेवं बंनाी रहगाी प्रेरणाास्रोंती।  समयों का साथ-साथ फिदेनाकार काी ख्यााफिती एका सशी� काफिवं
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                                                                                               ं
                                                                                                          ं
                                                                 े
                    राष्टािफिहती कां सवंोपरिर मानानाे वंाले राम�ारी श्चिसंह “फिदेनाकार”   का रूप मं स्थााफिपती हं गाई। उनाकाी रचनााए स्वा�ीनातीा सग्राम
                                                                                                ं
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               काा जन्म फिबंहार का बंगाूसरायों श्चिजले का गाॉवं मं 23 श्चिसतीबंर 1908   काी �ड़ाकाना बंना कार पाठकांं का हृदेयों मं गाुजनाे लगाे। उन्होंंनाे
                              े
                                                     ं
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                                                                                      ै
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               काा हुआ था। एका फिकासाना परिरवंार मं जन्म लनाे वंाले ‘फिदेनाकार’   बंहुती ही सरल और सी�ी शीली मं लंगांं तीका देशीभाफि� काी
           20                                                                                                                                                                                                                            21
                                                                        े
                                                                                       े
                                  "जब हम अपना जीवन, जननी हिंहंदेी, मातृभााषाा हिंहंदेी कें शिलये सामपवण केंर दे तब हम
                                                      े
                                                   े
                                              द्विकेंसाी कें प्रमी केंह जा साकेंते ह।"- साठी गोनिवंदेदेासा
                                                          े
                                                                        े
                                                                   ं
                                                                                                                                                                                                                                  ष
                                                                                                                                                                                                                                    े
           चि�रई, अंंक-4                                                                                                                                                                                                 हााउसिं�ंग एण्ड अंर्बन डेवलपमांट कॉपोरेशन सिंलसिंमाटडे े
        वर्षष : 2024-25, माा�ष, 2025                                                                                                                                                                                      क्षेेत्रीीय कााया�लय, काोलकााताा काी वाार्षि�िका हि�न्दीी पत्रित्रीकाा
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