Page 23 - चिरई - कोलकाता क्षेत्रीय कार्यालय की पत्रिका
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ईशिशताा मण्डले
वरिरष्ठ प्रबंधक (परिरयीोजेनंा)
क्षेेत्रीीयी कायीाबलेयी, कोलेकाताा
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78वां स्वतात्रीताा हिंदेवसं : क्याा महिंहालेाए वास्तव मं स्वतात्री हा?
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स्वतीत्रीतीा फिदेवंस काी पवंष सध्या मं, मर मना मं योंह सवंाल उठा मफिहलाओंं काी क्ट्स्थाफिती मं स�ार नाहीं हंतीा, तीबं तीका काल्याणाकाारी
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फिका क्याा भाारतीीयों मफिहलाए वंास्तवं मं स्वतीत्री ह? शीब्दीकांशी मं राज्य काी कांई संभाावंनाा नाहीं है। फिकासी पक्षी काे श्चिलए एका पंख पर
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'स्वतीत्रीतीा' काा अथष आत्मफिनाभाषरतीा, स्वायोंत्ततीा और स्वावंलबंना ह। उड़ानाा संभावं नाहीं है।" योंह काथना आज भाी प्रासंफिगाका है, क्यांंफिका
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लफिकाना वंास्तफिवंकातीा योंह ह फिका मफिहलाए आज भाी राती मं फिनाभाषयों मफिहलाओंं काे श्चिखला� फिहंसा लगाातीार बंढ़ा रही है। बंलात्कृार,
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हंकार सड़ाकांं पर चलनाे से डरतीी ह। उनाकाा पीछा फिकायोंा जातीा ह, कान्या भ्रणा हत्या, एश्चिसड हमले, घोरेलू फिहंसा, देहेज उत्पाीड़ाना,
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उन्हो छड़ाा जातीा ह, अश्लेील और अभाद्रु शीब्दींं काा सामनाा कारनाा ऑनार फिकाश्चिलंगा, योंौना फिहंसा जसी समस्याएं समाज मं गाहराई तीका
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पड़ातीा ह, और काभाी-काभाी क्ट्स्थाफिती इंससे भाी आगाे बंढ़ा जातीी ह। �ै ली हुई हं, और देुभााग्य से इंना अपरा�ंं काा प्रफितीशीती हर साल
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हाल ही मं आरजी कार अस्पतीाल काी घोटनाा बंढ़ातीा ही जा रहा ह।
नाे योंह स्पष्टा कार फिदेयोंा फिका इंना सवंालंं काा स्वतीत्रीतीा फिदेवंस काी पवंष सध्या मं,
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उत्तर 'नाा' ह। आइंए हम योंह सकाल्प लं फिका मफिहलाओंं कां
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लड़ाफिकायोंा अपनाे काायोंषस्थाल पर भाी हर क्षत्री मं स्वतीत्रीतीा प्राप्ता हं। हमं अपनाी
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असुरश्चिक्षती महसूस कारतीी ह, और उन्हो ं परानाी संच से बंाहर आकार, उन्हो स्वतीत्री
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अपनाी पसदे का कापड़ा पहनानाे काी आज़ादेी और सुरश्चिक्षती माहौल देनाा हंगाा। फिकासी भाी
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भाी नाहीं ह। क्याा श्चिस� सवंै�ाफिनाका रूप देशी काा सावंषभाौफिमका फिवंकाास मफिहलाओंं का
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से स्वतीत्री देशी हंनाा पयोंाषप्ता ह? क्याा हम फिबंनाा अ�रा ह। जसा फिका नाेल्सना मडला नाे
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सचमुच स्वतीत्रीतीा का साथ जी रह ह? योंह काहा था, "जबं तीका मफिहलाओंं कां सभाी
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सवंाल हमं बंार-बंार संचनाे पर मजबंूर कार देतीा ह। प्रकाार का उत्पाीड़ाना से मफि� नाहीं फिमलतीी, तीबं तीका आज़ादेी परी
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भाारती कां फि�फिटशी शीासना से स्वतीत्री हुए काई वंर्षष हं गाए ह। नाहीं हं सकातीी।"
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लफिकाना आज भाी, जबं हम योंह सवंाल पूछतीे ह फिका क्याा हमारी इंस फिनाबं� काा मख्या उद्देश्य समाज कां इंस सच्चााई से
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मफिहलाए खदे कां स्वतीत्री महसूस कारतीी ह, तीं उत्तर शीायोंदे ‘नाा’ अवंगाती कारानाा है फिका जबं तीका मफिहलाएं वंास्तवं मं स्वतींत्री नाहीं
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ही हंतीा ह। क्याा वंे उत्पाीड़ाना और अन्यायों से म� ह? शीायोंदे नाहीं। हंतीीं, तीबं तीका एका समर्द् और सुरश्चिक्षती समाज काी काल्पनाा कारनाा
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स्वामी फिवंवंेकाानादे का शीब्दींं कां योंादे कार : "जबं तीका काफिठना ह।
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"हिंहंदेी उन साभाी गणं साे अल�केंत ह शिजनकें बल पर वह निवश्व केंी सााहिंहत्यित्याकें भााषााओं केंी
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अगली श्रेेणी मं साभाासाीन हो साकेंती ह।" - मधिथलीशारण गुप्त
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चि�रई, अंंक-4 हााउसिं�ंग एण्ड अंर्बन डेवलपमांट कॉपोरेशन सिंलसिंमाटडे े
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वर्षष : 2024-25, माा�ष, 2025 क्षेेत्रीीय कााया�लय, काोलकााताा काी वाार्षि�िका हि�न्दीी पत्रित्रीकाा