Page 21 - चिरई - कोलकाता क्षेत्रीय कार्यालय की पत्रिका
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                                                                                              ं
                                                                                             ं
                                                                                ं
                                                                   वंीरतीा और स्वतीत्रीतीा सग्राम से सबंश्चि�ती प्रेरका काफिवंतीाए
                                                                                                             ं
                                                                   ही श्चिलखी लफिकाना उनाकाी काफिती कााव्य नााटका ‘उवंषसी’ इंस
                                                                             े
                                                                                       ृ
                                                                   फिनायोंम काा अपवंादे मात्री थी। योंह पुस्तका मानावंीयों सबं�ंं
                                                                                                          ं
                                                                                                           ं
                                                                         े
                                                                                               ं
                                                                   का बंार मं थी और इंसका श्चिलए उन्हो प्रफितीफिष्ठती ज्ञाानापीठ
                                                                     े
                                                                                      े
                                                                   पुरस्कूार फिदेयोंा गायोंा था। ‘सस्कूफिती का चार अध्यायों’ काा
                                                                                               े
                                                                                           ृ
                                                                                        ं
                                                                   प्रकााशीना 1956 मं हुआ श्चिजसे 1959 मं साफिहत्य अकाादेमी
                                                                   पुरस्कूार से सम्मााफिनाती फिकायोंा गायोंा। 1959 मं ही भाारती
                                                                   सरकाार  नाे  उन्हो  “पद्म”  फिवंभार्षणा’  से  सम्मााफिनाती  फिकायोंा।
                                                                                         ू
                                                                               ं
                                                                   उनाका रक्ट्श्मीरथी, कारूक्षत्री, उवंषशीी, हुकाार, परशीुराम काी
                                                                                               ं
                                                                       े
                                                                                     े
                                                                                  ु
                                                                   प्रतीीक्षा जसी काई अमर रचनााए ह जं आज भाी पाठकांं का
                                                                           ै
                                                                                            ं
                                                                                          ं
                                                                                                             े
                                                                                                   े
                                                                                                ं
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                                                                                                           ृ
                                                                   बंीच काा�ी पसदे ह। रक्ट्श्मीरथी कााव्यखड का फिहस्संे ‘काष्ण
                                                                               ं
                                                                   काी  चतीावंनाी’  काा  पाठ  भाी  वंतीषमाना  मं  काई  साफिहश्चित्यका
                                                                        े
                                                                   काायोंषक्रमंं मं फिकायोंा जातीा ह। 24 अप्रैल 1974 कां उनाकाा
                                                                                       ै
                                                                   फिना�ना हं गायोंा।
                                                 ं
               भाावंनाा कां अपनाी काफिवंतीा का माध्यम से पहुचानाे काा कााम    राष्टािकाफिवं राम�ारी श्चिसह “फिदेनाकार” का साफिहश्चित्यका
                                     े
                                                                                                    े
               फिकायोंा।  1935  मं  पहला  काफिवंतीा  सग्रह  “रणाुकाा”  प्रकााश्चिशीती   काायोंो का स्वणाष जयोंतीी समारंह मं 22 मई 2015 कां प्र�ानामत्रीी
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                                                                                                           ं
               हुआ श्चिजसकाी एका प्रफिती महात्मा गाां�ी कां भाी भांट काी गाई थी।   नारन्द् मंदेी नाे काहा था फिका फिदेनाकार जी काा भाी सपनाा फिबंहार
                                                                  े
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               उनाकाी रचनााए ना कावंल राष्टािभाफि� काी भाावंनाा से ओंती-प्रंती थी   आगाे बंढ़ा, फिबंहार तीेजस्वी, ओंजस्वी, योंे फिबंहार, सपन्ना भाी हं।
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                                                                       े
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                                  ै
               बंक्ट्� जफिटल फिवंर्षयोंंं मं नाफितीका देुफिवं�ाओंं पर भाी गाहना फिवंमशीष   फिबंहार कां तीेज और ओंज फिमले योंह सबं फिकासी से फिकाराए पर
                  ु
                                 े
               प्रस्तती कारतीी थी। उनाका शीब्दी, फिवंचार और लेखना काा आम   लनाे काी जरूरती नाहीं, उसका पास ह। उसे सपन्नातीा का अवंसर
                                                                                          ै
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               जनातीा का साथ बंफिढ़ायोंा तीालमेल था। ऐसा ही एका उदेाहरणा   चाफिहए, उसका आगाे बंढ़ानाे काा अवंसर चाफिहए और फिबंहार मं वंं
                                                                          े
                                                ै
               “श्चिसंहासना  खाली  कारं  फिका  जनातीा  आतीी  ह”  नाामका  उनाकाी   तीाकाती ह, अगार एका बंार अवंसर फिमल गायोंा तीं फिबंहार औरंं कां
                                                                      ै
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               काफिवंतीा ह, श्चिजसनाे ना कावंल उनाका पाठकांं और अनायोंाफियोंयोंंं का   पीछ छंड़ाकार आगाे फिनाकाल जाएगाा। हम फिदेनाकार जी का सपनांं
                                                     ु
                                                            े
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               बंीच लंकाफिप्रयोंतीा हाश्चिसल काी बंक्ट्� योंह जनासा�ारणा का श्चिलए   कां परा कारनाे का श्चिलए प्रफितीबंद्वा ह और उनाकाी साफिहत्य रचनाा
                                                        े
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               राजनाीफितीका नाारा भाी बंना गाई। उन्होंंनाे समाज मं प्रचश्चिलती जाफिती   काी 50 साल काी योंात्रीा आज भाी हमं काछ कारनाे काी, काछ कार
                                                                                                        ु
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               और वंगाष सबं�ी पवंाग्रहंं काी आलंचनाा कारनाे का श्चिलए कालम   फिदेखलानाे काी प्रेरणाा देतीी ह।
                                                   े
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               काी शीफि� काा इंस्तमाल फिकायोंा।
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                                                   े
                    राम�ारी श्चिसंह “फिदेनाकार” काा परा साफिहत्य खती-खश्चिलहाना,
               गाांवं और गारीबं से फिनाकाला ह। बंहुती सी साफिहश्चित्यका रचनाा ऐसी
                                    ै
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               हंतीी ह, जं फिकासी ना फिकासी कां स्पशीष कारतीी ह। काभाी कांई
               योंवंा कां स्पशीष कार तीं काभाी बंड़ांं कां स्पशीष कार। काभाी पुरूर्ष
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               कां स्पशीष कार, काभाी नाारी कां स्पशीष कार, काभाी फिकासी भाू-भाागा
                         े
               कां तीं फिकासी  घोटनाा कां स्पशीष कारतीा ह। फिदेनाकार काी रनाचाए
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                                                            ं
                            ं
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               ऐसी ही सौगााती ह और वंं हमं तीाकाती देतीी ह।
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                              ं
                     1952 मं उन्हो राज्यसभाा काा सदेस्य मनांनाीती फिकायोंा गायोंा
               और 12 साल तीका इंस सदेना का सदेस्य रह। आमतीौर पर उन्हो  ं
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                               "अहिंहंदेी भााषाा-भााषाी प्रातं कें लोग भाी सारलता साे टुूटुी-फ ू टुी हिंहंदेी बोलकेंर अपना केंाम
                                                       ं
                                                     े
                                                चाला लते ह।" - अन�तशायनम् आय�गार
 चि�रई, अंंक-4                                                                                हााउसिं�ंग एण्ड अंर्बन डेवलपमांट कॉपोरेशन सिंलसिंमाटडे े
                                                                                                       ष
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 वर्षष : 2024-25, माा�ष, 2025                                                                  क्षेेत्रीीय कााया�लय, काोलकााताा काी वाार्षि�िका हि�न्दीी पत्रित्रीकाा
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