Page 5 - चंदन वाणी - बेंगलुरु क्षेत्रीय कार्यालय की पत्रिका
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                  त्रिश्व प्रयसद्ध पयाटन स्र्ल – बलूर और  लबीड, कनााटक
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             बलूर और  लबीड,  ोयसला राजििंश की राजधानी  ुआ करती र्ी। बलूर और  लबीड 16िीिं
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                                                                                 े
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             शताब्दी क े सबस प्रयसद्ध मिंहदरों में से र्ा और बार िीिं (12 ) और तर िीिं (13 ) सहदयों का
                                                                                े
             िास्तुयशट्कपक कद्र भी र्ा | य  आज भी अपनी नक्काशी और शानदार िास्तुकला क े यलए
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             प्रयसद्ध  ैं| शुऱू में बलूर को िलापुरी क े नाम से जाना जाता र्ा और  ोयसला राज्यििंश की
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             प ली राजधानी र्ी| बाद में  लत्रबड जो िारसमुद्र क े नाम से जाना जाता र्ा िो  ोयसला
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             राज्य की राजधानी बनी|  ोयसला ने कनााटक क े कई ह स्सों में दीिारों, छतों, घुमािदार
                                                                 ृ
             स्तिंभों और कई अन्य मूयतायों क े यलए अत्यिंत अलिंकत मिंहदरों का यनमााण करक चालुक्या
                                                                                            े
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             शैली की िास्तुकला में सुधार हकया| उन् ोंन द्रत्रिड शैली, िास्तुकला की िसरा शैली का
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             अनुसरण हकया| बलूर की चेन्नकशिस्िामी मिंहदर, राजा त्रिष्णुिधान का चोला राजा क े ऊपर
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             त्रिजय का प्रतीक  ै| उसक बाद  लबीड में  ोयसालस्िर मिंहदर का यनमााण हकया गया जो
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             भगिान यशि को समत्रपात र्ा|









































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