Page 52 - संगम - चेन्नई क्षेत्रीय कार्यालय की पत्रिका
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सगम - ततीय स�रण / �सतबर - 2025
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“समिपत आख : क��ा की कहानी”
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पा�म �रणी गौड़
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श्रीकालह�ी क िनकट घन जगलों म ित�ाड नाम
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का एक खतरनाक �शकारी रहता था I यह बाद म �
क��ा क नाम स प्र�सद्ध �आ। िवद्वान पजा�रयों
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या ऋिषयों की तरह वह कमकाडों या वदों का
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�ाता था, िफर भी उसका �दय भगवान �शव क
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प्रित प्रम स ओतप्रोत था।
एक िदन घन जगल म उस एक �शव�लग िदखाई
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िदया। उस मित �ान नहीं था, उसन अपन िववक क
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अनसार �शव�लग को जीिवत प्राणी समझ उसपर
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जगली सअर का मास, अपन बालों म लग फल
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और मह म भर जल को समिपत िकया ।
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उसन �शव�लग को एक मित मात्र न मानकर
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उसकी एक जीिवत प्राणी की तरह अपन �दय स े
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उसकी पजा की।
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मिदर का पजारी यह सब दखकर भयभीत हो
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गया। उसन िवरोध करत �ए कहा, “�शव की पजा ऐस नहीं की जाती !” लिकन भगवान �शव तो भीतर ही भीतर
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यह सब दखकर म�रा रह थ, �ों�िक यह भ�� अपरपरागत ज�र थी, परत शद्ध थी।
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एक िदन क��ा न दखा िक �लग की एक आख स खन बह रहा ह। िबना िकसी िहचिकचाहट क उसन खन को
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बहन स रोकन क �लए अपनी एक आख िनकालकर �लग पर रख दी। जब तभी �लग की दसरी आख स खन बहन े
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लगा I अब वह अपनी दसरी आख भी उसपर रखन क �लए तयार हो गया I लिकन तभी उस महसस �आ िक दसरी
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आख िनकालन पर तो वह अधा हो जाएगा और िफर वह अपनी दसरी आख �लग पर कस रखगा ? इस�लए उसन े
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दसरी आख रखन क �लए िनशाना साधन हत �लग क उस जगह पर अपना पर रख िदया।
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जस ही वह अपनी दसरी आख का ब�लदान दन वाला था, तभी उसक िन�ल प्रम को दखकर भगवान �शव अपन े
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िद� �प म प्रकट �ए और उस अपन गल लगाकर बोल “व�, तमन पजा स बढ़कर समपण िदया ह—तमन तो
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�य को ही समिपत कर िदया ह।”
भगवान �शव न क��ा को अन� कपा का आशीवाद िदया तथा कहा िक कोई भी भ� ऐसी भ�� नहीं कर
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सकता।
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(कहानी म िदखाया गया फोटो ल�खका का बनाया �आ ह)
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