Page 48 - संगम - चेन्नई क्षेत्रीय कार्यालय की पत्रिका
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सगम - ततीय स�रण / �सतबर - 2025
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जयश्री श्रीिनवासन
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वही ह, जो पीटती ह मझ, मरी गलितयों पर
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.........और दद महसस करती ह �य ं
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वही ह, जो डाटती ह मझ, रखा खाना थाली म ठडा होन पर
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.........और करती ह कामना मरी �ा� की
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वही ह, जो चम लती ह मझ, सोती �ई को
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.........और मन ही मन मसकराती ह
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वही ह, जो झूम उठती ह, मझ बढ़ता दख
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.........और होती ह प्रस�
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वही ह, जो मर साथ खड़ी ह, मरी हर मसीबत म �
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.........और मर सार क� सहन को रहती ह त�र
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वही ह, जो खश होती ह, मरी सफलता पर
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.........और मानती ह उस जीत अपनी
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वही ह, जो मझ आज भी समझती ह, ब�ा
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.........और करती ह �ोछावर स�ण �ार
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वही ह, जो आज भी खड़ी ह, मर समथन म �
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.........और खड़ी ह मजबत चट्टान बनकर मर साथ
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वही ह, �जसक िदल म मर �लए आज भी ह, िवशाल जगह
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.........और अथाह प्रम
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यह वही ह, �जस हम मा कहत ह...........
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यह वही ह, जो यहा स चल जान क बाद भी, मन स नहीं जाती
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यह वही ह, जो आज भी मर मन, मरी आ�ा म बसी ह, ै
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यह वही ह, �जस म आज भी याद करती �............
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