Page 48 - संगम - चेन्नई क्षेत्रीय कार्यालय की पत्रिका
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                                                                        ं
                                                                      सगम - ततीय स�रण /  �सतबर - 2025
                                                                                                   ं
                                                                               ृ






                                                                          माँ

                                                                                              जयश्री श्रीिनवासन












                                                    ै
                                                      ु
                                                        े
                                                           े
                                       ै
                                  वही ह, जो पीटती ह मझ, मरी गलितयों पर
                                              �
                                  .........और दद महसस करती ह �य    ं
                                                    ू
                                                              ै
                                  वही ह, जो डाटती ह मझ, रखा खाना थाली म ठडा होन पर
                                       ै
                                                         े
                                              ं
                                                       ु
                                                    ै
                                                                           �
                                                                                    े
                                                                             ं
                                  .........और करती ह कामना मरी �ा� की
                                                   ै
                                                             े
                                  वही ह, जो चम लती ह मझ, सोती �ई को
                                                  े
                                                      ै
                                              ू
                                                         ु
                                       ै
                                                          े
                                                       ु
                                                                  ै
                                  .........और मन ही मन मसकराती ह
                                                             े
                                       ै
                                                                     े
                                                        ै
                                  वही ह, जो झूम उठती ह, मझ बढ़ता दख
                                                           ु
                                                  ै
                                  .........और होती ह प्रस�
                                                                      ु
                                                              े
                                       ै
                                                           ै
                                              े
                                  वही ह, जो मर साथ खड़ी ह, मरी हर मसीबत म      �
                                               े
                                                            े
                                                                        ै
                                                  े
                                             े
                                              े
                                  .........और मर सार क� सहन को रहती ह त�र
                                              ु
                                                       ै
                                                          े
                                       ै
                                  वही ह, जो खश होती ह, मरी सफलता पर
                                                        े
                                  .........और मानती ह उस जीत अपनी
                                                   ै
                                              ु
                                       ै
                                  वही ह, जो मझ आज भी समझती ह, ब�ा
                                               े
                                                                  ै
                                  .........और करती ह �ोछावर स�ण �ार
                                                   ै
                                                                 ू
                                                                   �
                                                                     �
                                                           ै
                                                               े
                                  वही ह, जो आज भी खड़ी ह, मर समथन म       �
                                                              े
                                       ै
                                                  ै
                                  .........और खड़ी ह मजबत चट्टान बनकर मर साथ
                                                                         े
                                                                          े
                                                        ू
                                                      �
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                                                         े
                                                          े
                                                                         ै
                                  वही ह, �जसक िदल म मर �लए आज भी ह, िवशाल जगह
                                       ै
                                  .........और अथाह प्रम
                                                   े
                                           ै
                                                        ँ
                                  यह वही ह, �जस हम मा कहत ह...........
                                                                �
                                                              े
                                                 े
                                                                                े
                                                          े
                                  यह वही ह, जो यहा स चल जान क बाद भी, मन स नहीं जाती
                                                   ँ
                                                      े
                                                                 े
                                                               े
                                           ै
                                           ै
                                                                             �
                                  यह वही ह, जो आज भी मर मन, मरी आ�ा म बसी ह,       ै
                                                           े
                                                                  े
                                                          े
                                  यह वही ह, �जस म आज भी याद करती �............
                                                   �
                                                                         ँ
                                           ै
                                                 े
                                                                                                  48
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