Page 57 - संगम - चेन्नई क्षेत्रीय कार्यालय की पत्रिका
P. 57

ृ
                          ं
            ं
          सगम - ततीय स�रण /  �सतबर - 2025
                                       ं
                                                          ु
                                                     काबलीवाला

                                         (रवी�नाथ ठाकर की कहानी)
                                                              ु
                                                                                                   सी पलानी



                                                                                               े
                                                                                                े
                                          े
                                                          े
            े
                 ँ
           मरी पाच बरस की लड़की िमनी स घड़ीभर भी बोल िबना नहीं रहा जाता I  एक िदन वह सवर-सवर ही बोली,
                                                                                                    े
                                                                                                     े
                                                                                                      ु
                                                                         ु
                                                                 ै
           “बाबजी, रामदयाल दरबान ह न, वह काक को कौवा कहता ह I  वह कछ जनता नहीं न बाबजी I” मर कछ कहन           े
               ू
                                                                                                   े
                                                                                                    े
                                                                                            ू
                                    ै
                                                                                                         ै
           स पहल ही उसन दसरी बात छड़ दी I  “दखो बाबजी भोला कहता ह आकाश म हाथी सड स पानी फकता ह, इसी
                                               े
                  े
                          े
                                                      ू
                                                                      ै
                                                                                                  �
                            ू
                                                                                �
                                                                                        ूं
                                      े
            े
                                                                                            े
                                                         ै
                       ै
           स वषा होती ह I   अ�ा बाबजी भोला झूठ बोलता ह न ? और िफर वह खल म लग गई I
            े
                                                                            े
                �
                                                                                �
                                    ू
                                                      े
                                   ै
                          े
                                                     े
           मरा घर सड़क क िकनार ह I एक िदन िमनी मर कमर म खल रही थी I अचानक वह खल छोड़कर �खड़की क
                                 े
                                                              �
                                                                                                              े
                                                                                          े
                                                                 े
            े
                                                           े
                                                        ु
                                                                       ु
                                              े
                                                                             े
           पास दौड़ी गई और बड़ ज़ोर स िच�ान लगी, “काबलीवाल, ओ काबलीवाल !”
                                                               े
                               े
                                      े
                                                                                   ु
                                                                         ं
                                                   ू
                    े
           कधों पर मवों की झोली लटकाए, हाथ म अगर की िपटारी �लए एक लबा सा काबली धीमी चाल स सड़क पर जा
                                                 ं
                                               �
            ं
                                                                                                  े
                                                े
                                                                                                      े
                                                                              े
                     ै
                      े
           रहा था I जस ही वह मकान की ओर आन लगा, िमनी भीतर भाग गई I  उस डर लगा िक कहीं वह उस पकड़ न
                                        ै
                                                                                           े
            े
                                                         ु
                              �
                                                                          े
                       े
                                                                                                     ै
           ल जाए I उसक मन म यह बात बठ गई थी िक काबलीवाल की झोली क अदर तलाश करन पर उस जस और भी
                                                               े
                                                                                                       े
                                                                             ं
                                  �
                                े
           दो-चार ब� िमल सकत ह I
                      े
                      ु
                   े
                                                    �
                                                     े
                                                                                                ू
                                                             ु
               ु
                                                           े
                                    े
                            े
                                  ु
           काबली न म�रात �ए मझ सलाम िकया I म�न उसस कछ सौदा खरीदा I िफर वह बोला “बाब साहब आप की
                     ँ
           लड़की कहा गई ?”
              े
                     े
                                         े
                                                                                े
                                 ू
                           े
                                                                        े
                                                  े
           म�न िमनी क मन स डर दर करन क �लए उस बलवा �लया I  काबली न झोली स िकशिमश और बादाम िनकालकर
            �
                                       े
                                                                    ु
                                                    ु
                                                             े
                    े
                                                                      े
                                    े
                                                              े
                                      ु
                                                                 ु
           िमनी को दना चाहा पर उसन कछ न �लया I डरकर वह मर घटनों स िचपट गई I  काबली स उसका पहला प�रचय
                                                                                           े
                                                                                      ु
                          ु
                                                                                                  े
                                                                                                          �
                                                                             े
                                                                                                     ू
                                                                                             ु
           इस तरह �आ I कछ िदन बाद िकसी ज�री काम स म बाहर जा रहा था I दखा िक िमनी काबली स खब बात कर
                                                           �
                                                         े
           रही ह और काबली मसकराता �आ सन रहा ह I िमनी की झोली बादाम-िकशिमश स भारी �ई थी I  म�न काबली
                ै
                                                    ै
                              ु
                                                                                                       े
                                 ु
                                                                                      े
                                                                                                      �
                                                                                                            ु
                         ु
                                             ु
           को अठ�ी दत �ए कहा, “इस यह सब �ों िदया ? अब मत दना I” िफर म बाहर चला गया I
                                                                            �
                      े
                                                                 े
                       े
                                     े
                                         �
                                                                                        �
                 े
                                                         े
                                     े
           कछ दर तक काबली िमनी स बात करता रहा I  जात समय वह अठ�ी िमनी की झोली म डालता गया I जब म घर
                           ु
                                                                                                           �
            ु
                                  ँ
                                                                                        ै
                                           े
                                       ु
           लौटा तो दखा िमनी की मा काबली स अठ�ी लन क कारण उस पर खब ग�ा हो रही ह I
                                                    े
                                                                            ु
                    े
                                                      े
                                                       े
                                                                         ू
           काबली प्रितिदन आता रहा I उसन िकशिमश बादाम द-दकर िमनी क छोट स �दय पर काफी अिधकार जमा �लया
                                                                              े
                                                            े
               ु
                                                                            े
                                                                      े
                                                          े
                                        े
                                                े
                                    �
                                                                                                          ू
                                                  ू
                                                                                      े
                                                                                       े
                                                         े
                      �
                                                                      ु
                                                                              े
                                                                                 े
           था I  दोनों म ब�त-ब�त बात होतीं और व खब हसत I  रहमत काबली को दखत ही मर लड़की हसती �ई पछती,
                                                                                                ँ
                                                      ं
                              ु
                                                    �
                ु
                                    े
           “काबलीवाल, ओ काबलीवाल ! त�ारी झोली म �ा ह ?”
                                        ु
                      े
                                                          ै
                                                                                                  57
   52   53   54   55   56   57   58   59   60   61   62