Page 44 - पूर्वांचल - गुवाहाटी क्षेत्रीय कार्यालय की पत्रिका
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अवाैतीहिनाका श्रम
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उसकी कद्र करा। लेनिक� पसा होमेशा मेहो�ते की कीमते चुका सकतेा
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होै? क ु छे चीज़ीं अ�मोले होोतेी हों, होज़ीारां शा� क बंरााबंरा । (उदेाहोरार्ण
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क निलेए) मा� लेीनिजए कोई व्यनिक्त गुाड़ेी चलेा राहोा होै, औरा अचा�क
बंीच सड़ेक परा उसकी गुाड़ेी खरााबं होो गुई ं , आस-पास कोई कारा रिरापेयरा
गुैरााज �हों होै। गुाड़ेी खरााबं होो� क ठीक पास, तेी�-चारा लेड़ेको कराम
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खेले राहोे था, उन्हों� देेखा निक कारा अचा�क रुक गुई। जबं कारा खरााबं
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होुई, वंे आगुे आए औरा घाटी�ा की जाच की औरा सभाी � कारा को पीछे े
श्रीीमती धरिरात्रीी मधी, की ओंरा धकले�ा शुरू करा निदेया, इससे कारा स्टीाटी होो गुई औरा एक
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प्रबंंधकु (निवंत्त) लेड़ेका कारा मं सवंारा होोकरा उसे उस गुैरााज तेक ले गुया । लेड़ेकं � े
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श्रृम वंहो होै जबं शराीरा औरा म� की ऊजा का उपयोगु कराक कोई काय � बंीच सड़ेक परा मुसीबंते मं फीसे व्यनिक्त की थाोड़ेी-सी मेहो�ते से मदेदे
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पूराा निकया जातेा होै। मजदेूराी वंहो होै जबं निकसी निवंशेषा श्रृम क निलेए की, होालेानिक उन्हों बंदेले मं कोई इ�ाम �हों निमलेा, लेनिक� उस व्यनिक्त
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एक निवंशेषा मूल्य नि�धारिराते निकया जातेा होै। श्रृनिमक को कायालेयं या की आँखं मं जो कृतेज्ञतेा थाी, उस� उन्हों क ु छे तेो निदेया। ऐसे अवंतेनि�क
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काराखा�ं या निकसी अन्य व्यावंसानियक प्रनितेष्ठाा� मं, बंगुीचं मं, खेतें काम का मूल्य अमूल्य होै। ऐसी कई घाटी�ाएँ होमारा देैनि�क जीवं� मं
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मं (निज� परा यनिदे वंे स्वंयं काम �हों करा सकते तेो देूसरा लेोगु खेतेी घानिटीते होोतेी हों। जबं होम सड़ेक पारा करा� मं निकसी वंृद्ध व्यनिक्त की मदेदे
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कराते हों) या घारालेू काम मं निकए गुए श्रृम क बंदेले भाुगुतेा� निकया जातेा करा�ा, फी ु टीपाथा परा अ�जा�ा वंृद्ध ब्यनिक्त क भााराी बंगु (थालेा ) उठाकरा
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होै। मजदेूराी एक श्रृनिमक को उसक श्रृम का देजा देेतेी होै। पारिराश्रृनिमक ऑटीो मं थामा देे�ा, तेो उ�की आखं मं जो अप�ाप� निदेखाई देेतेा होै,
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कभाी-कभाी मानिसक वंते� या देैनि�क क रूप मं निदेया जातेा होै। श्रृम उसे निकसी भाी मूल्य से मापा �हों जा सकतेा होै।
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क अ�ुसारा देी जा� वंालेी मजदेूराी रााहोते, खुशी प्रदेा� करातेी होै औरा इसनिलेए, होमं अप�ा जीवं� जाराी राख� क निलेए ध� की आवंश्यकतेा
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श्रृनिमक को अप�ी जरूरातें को पूराा करा� मं सक्षम बं�ातेी होै। चाहोे वंहो जरूरा होै लेनिक� होमं अप� म� औरा आत्मा को पु�जीनिवंते करा� क
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निदेहोाड़ेी मजदेूरा होो या मानिसक वंते� पा� वंालेा, श्रृम क बंदेले मं कमाया निलेए निकसी प्ररार्णा की आवंश्यकतेा होै। इ�मं से क ु छे अवंतेनि�क श्रृम
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गुया पसा उन्हों अप� परिरावंारा का भारार्ण-पोषार्ण करा� औरा अप�ी क ु छे होमारा जीवं� मं ऐसी होी प्ररार्णा का काम कराते हों। तेो क ु छे ऐसे अवंतेनि�क
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जरूरातें को पूराा करा� का अवंसरा देेतेा होै। श्रृम हों, निज�क निलेए कोई पसा �हों निमलेतेा, लेनिक� क ु छे ऐसे मूल्य हों
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जो होज़ीारा अ�मोले गुौरावंं से भाी ज़्यादेा मूल्यवंा� हों।
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आजकले, श्रृम क बंदेले पारिराश्रृनिमक प्राप्त करा� की प्रनि�या कवंले
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�ौकरिरायं या व्यवंसायं तेक सीनिमते �हों होै। �ई तेक�ीकं क इस *****
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आधुनि�क युगु मं, इंटीरा�टी क माध्यम से क ु छे पसे कमा� क तेराीक
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मौजूदे हों। आजकले बंहोुते से लेोगु यूटी्यूबं चै�ले, ब्लेॉनिगुंगु आनिदे क
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माध्यम से भाुगुतेा� प्राप्त कराते हों। उन्हों� सुंदेरा निदेमागु क साथा निमलेकरा
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सुंदेरा काम निकए हों निजससे उन्हों औरा देूसरां को फीायदेा होुआ होै। इंटीरा�टी
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की देुनि�या से अलेगु, जबं होम ग्रेामीर्ण जीवं� परा �ज़ीरा डालेते हों, तेो
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होम पाते हों निक उन्हों� कृनिषा से लेकरा मत्स्य पाले� तेक निवंनिभान्� तेराीकं
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को निकते�ी खूबंसूरातेी से अप�ाया होै। वंे श्रृम क बंदेले मूल्य अनिज�ते
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करा� मं सक्षम हों। इस श्रृम औरा पारिराश्रृनिमक की प्रनि�या नि�स्संदेेहो बंहोुते
संतेोषाज�क होै।
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क ु छे काम ऐसे भाी होोते हों निज�का मूल्य पसं से कहों ज़्यादेा होोतेा होै।
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आमतेौरा परा इंसा� चाहोतेा होै निक देूसरा उसकी मेहो�ते को सम्मा� दें औरा
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