Page 46 - पूर्वांचल - गुवाहाटी क्षेत्रीय कार्यालय की पत्रिका
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काहिवातीाए �
अहिवावााहिहती महिहला
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संुश्रीी चंंद्रकुला क्षत्रीी अनिवंवंानिहोते होँ�, निफीरा भाी जी जातेी होँं,
प्रबंंधकु (ए/एचं)
खुदे को होरा निदे�, �या देेख�ा चाहोतेी होँं ।
उम्मीदें क साथा लेहोराातेी होँं,
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जिंजदेगुी एका नााटीका हं कभाी देदे� की गुहोराी खामोशी मं खो जातेी होँं।
सप�ं मं बंसा कोई अप�ा �हों,
निजंदेगुी एक �ाटीक होै, रांगुमंच का जीवं�,
ख्वंाबंं का सप�ा सजाए जातेी होँं।
होरा निदे� एक �ई भाूनिमका, होरा पले एक �या तेमाशा,
होरा निदे� ते�ावं सा,एक �ई तेलेाश मं,
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सप�ं की देुनि�या मं खोकरा, होम चलेते हों आगुे,
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निदेले की वंदे�ा छेुपाए राहोतेी होँं ।
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कभाी होँसते, कभाी राोते, नि�भााते हों अप� रिराश्ते ।
समाज की �जरां मं, एक सवंाले बं� जातेी होँं,
कभाी खुनिशयं का मेलेा, कभाी गुम की छेाया,
क्यं �हों बंंधी बंंध� निवंवंाहो का
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होरा निकरादेारा म निछेपी होै, एक �ई पहोेलेी,
यहो समाज, होरा कदेम परा चु�ौतेी देे जातेा होै,
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साज-श्रृृंगुारा मं होरादेम राहोते, चेहोरा परा लेकरा मुस्का�,
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क्या अकले जी� की इजाजते �हों ?
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लेनिक� निदेले क भाीतेरा छेुपा होै, एक अ�कहोा तेूफीा� ।
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मं खुदे को कमजोरा �हों मा�तेी,
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कभाी देोस्ते, कभाी देुश्म�, होरा एक प्रकारा क हों यहोा लेोगु,
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सच क साथा अप� जख्मं परा मराहोम लेगुाए जातेी होँं
क ु छे पले क �ाटीक मं, निमलेतेा सबंको मा�,
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होरा निदे� जीतेी होँं एक �ये संघाषा� के साथा,
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निजंदेगुी की इस रांगुभाूनिम परा, खुदे को करा तेयारा,
अनिवंवंानिहोते होँं, परा अपूर्ण� �हों
होरा निदे� �या सृज�, होरा रााते क बंादे �ई सुबंहो ।
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अप� देदे� मं शानिमले �ई शनिक्त को ढंूंढ़तेी होँं ।
जसे होी �ाटीक का निगुरातेा पदेा�, खत्म खेले होो जातेा,
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इ� सबंका कोई मोले �हों, यहो अप�ा अनिधकारा होै ।
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निसफी राहो जातेी हों यादें , करातेा होै म� निमले�,
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�ाटीक मं अप�ी भाूनिमका नि�भााते राहोो सबं,
निजंदेगुी की कहोा�ी को, सजातेे राहोोे सबं ।
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