Page 39 - पूर्वांचल - गुवाहाटी क्षेत्रीय कार्यालय की पत्रिका
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पात्री णिलखानाे काा महत्वा



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                                                                                                     ं
                                                                                                                   े
                                                                 औरा सामूनिहोक जीवं� मं पत्रीं क महोत्वं को पहोचा�। निडनिजटीले संचारा क
                                                                 प्रभाुत्वं वंाले युगु मं, पत्री एक तेाज़ीगुी भाराी रााहोते प्रदेा� कराते हों, निजससे
                                                                                                            े
                                                                         े
                                                                                 े
                                                                                                   े
                                                                 होम स्वंयं औरा देूसरां क साथा निफीरा से जुड़े सकते हों।
                                                                                                  े
                                                                 निडनिजटीले युगु मं पत्रीं क महोत्वं को कम कराक �हों आंका जा सकतेा।
                                                                                  े
                                                                 वंे अनिभाव्यनिक्त का एक ठोस साध� प्रदेा� कराते हों, साथाक रिराश्तें को
                                                                                                    े
                                                                                                          �
                                                                         े
                                                                 बंढ़ावंा देेते हों औरा संज्ञा�ात्मक निवंकास को बंढ़ावंा देेते हों। आइए होम
                                                                                                         े
                                                                                                                   े
                                                                     े
                                                                                                          े
                              श्रीी �ीरावं कुाश् यर्पो, (कुक्षा XI - निवंज्ञाा�)   पत्री-लेख� की कलेा को संजोएं औरा भाावंी पीनिढ़यं क निलेए इसक
                        संुर्पोुत्री - श्रीीमती रूमी देासं, उर्पो प्रबंंधकु (निवंत् त)   महोत्वं को संरानिक्षते करा। ं
                                                                 आइए होम उ� भाावं�ाओंं को, उस देेखभााले को, उस तेाज़ीगुी, उस
                   े
           “निप्रय संहली कु ृ निशकुा,                            भाावं�ा को एक साथा लेाएं... औरा पत्री निलेख� का अभ्यास करा। ं
                                                                                                  े
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           संबंसं र्पोहल ढ़ारा संाराा प्‍यारा ल�ा, कुसंी हो?? जबं म ठीकु हँ�,  अंते मं मं बंस इते�ा होी कहो�ा चाहोँँगुा -
                                 े
                                   ं
           आशा कुराती हँ� तुम भाी मज़े म हाइ हंगी ................”
                                                                 “कलेम को कागुज परा राखो, निकसीक निदेले को गुहोरााई तेक छेू लेो”
                                                                                           े
           क्या क ु छे यादे आया आप लेोगुं को? जी होा आज क निडनिजटीले युगु मं              *****
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           पत्री-लेख� एक खोई होुई कलेा बं� गुई होै। होालेानिक, पत्री देूसरां से जुड़े�  े
                                              ँ
                                                             �
                                            े
           का एक अ�ूठा औरा ठोस तेराीका प्रदेा� कराते हों। पत्री-लेख� एक देुलेभा
                                                   े
           आ�ंदे बं� गुया होै। पत्री देूसरां से जुड़े�, साथाक रिराश्तें को बंढ़ावंा देे�  े  “
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           औरा संज्ञा�ात्मक निवंकास को बंढ़ावंा देे� का एक अ�ूठा औरा ठोस
           तेराीका प्रदेा� करातेी होै।
                     े
           पत्री एक संवंदेी अ�ुभावं प्रदेा� कराते हों निजसका निडनिजटीले संसारा मं
                                      े
           अभाावं होै। कागुज का एहोसास, निलेर्फ़ार्फ़ की आवंाज़ी औरा स्याहोी की   मेराा होाले क ु छे ऐसा होै
                                        े
                े
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           गुंध � होमेशा एक संबंंध बं�ाया होै निक ईमेले औरा टीक्स्टी पाठक क   निजन्देगुी होरा पले सजा की तेराहो होै ।
                                                   े
           क ं पक ं पी अ�ुभावं को देोहोराा �हों सकते हों।                   होम होंसते तेो राहोते हों
                                       े
                                                                                          े
                                                                                   े
                                                                            निदेले मं गुम का साया होमेशा होै ।
                े
           पत्री-लेख�  आत्मनि�राीक्षर्ण,  आत्म-निचंते�  औरा  राच�ात्मकतेा  को
           सुनिवंधाज�क बं�ातेा होै। निलेनिखते पत्रीाचारा क माध्यम से निवंचारां औरा
                                            े
           भाावं�ाओंं को व्यक्त करा� से निवंचारा स्पष्ट होोते हों, लेख� कौशले
                               े
                                                     े
                                                े
                                     ै
           निवंकनिसते होोतेा होै औरा सहोा�ुभाूनिते पदेा होोतेी होै।
           पत्री व्यनिक्तगुते अ�ुभावंं, सांस्कृनितेक मा�देंडं औरा सामानिजक दृनिष्टकोर्ण
                                    े
                           �
           का ऐनितेहोानिसक रिराकॉड प्रदेा� कराते हों। वंे अतेीते मं एक अ�ूठी निखड़ेकी
           प्रदेा�  कराते  हों,  निजससे  भाावंी  पीनिढ़यं  को  अंतेदृ�निष्ट  प्राप्त  करा�  की            “
                    े
                                                           े
           अ�ुमनिते निमलेतेी होै। पत्री पढ़ते समय लेखक क प्यारा औरा देेखभााले को
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           महोसूस निकया जा सकतेा होै।
                                                       े
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           आइए होम निलेख� क आ�ंदे को पु�जीनिवंते करा औरा अप� व्यनिक्तगुते
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