Page 7 - पूर्वांचल - गुवाहाटी क्षेत्रीय कार्यालय की पत्रिका
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संम्‍ पाादेकाीय






                                                                               �
                                    भााषाा का संबंंध संस् कृनिते औरा संस् कारां से राहोतेा होै। ‘पूवंाचले’ गुृहो पनित्रीका होमाराा एक माध् यम
                                                                                                        े
                                       ं
                                होै निजसम निहोन् देी भााषाा स् थाा�ीय संस् कारां औरा संस् कृनितेयं की खुशबंू निबंखेरातेी होै। इस निहोन् देीतेरा क्षत्री मं
                                                                                            े
                                    �
                                                                                े
                                ‘पूवंाचले’ क जरिराए � कवंले होम रााजभााषाा निहोन् देी को बंढ़ावंा देे� का प्रयास कराते हों बंनिल्क इस म�ोराम
                                                  े
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                                स् वंगु� समा� भाूनिम की खुशबंू को भाी भााराते भारा मं निबंखेरा देे�ा चाहोते हों।
                                    भााषाा-संस् कृनिते की प्रगुनिते रााष् ट्री की प्रगुनिते क समा�ुपानितेक होोतेी होै। 79 वंषां मं होमारा रााष् ट्री � जो
                                                                                                         े
                                                                    े
                                                                                                   े
                                                                                                        े
                                प्रगुनिते होानिसले की होै उसकी तेुले�ा मं 75 वंषां की रााजभााषाा की प्रगुनिते कहों ज् यादेा होै। बंातेचीते क रूप
                                मं पूरा देेश मं संवंादे स् थाानिपते करा�वंालेी निहोंदेी देेश की सवं�साधारार्ण लेोगुं की एकमात्री संपक भााषाा बं�
                                    े
                                                         े
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                                                                                           े
                                चुकी होै। क ु छे देशक पूवं� निहोंदेी को लेकरा क ु छे प्रांतें मं जो निवंराोध क स् वंराउभारा था आज उ�की मुखरातेा
                                                                                  े
                                                   े
                                �हों राहोी। मीनिडया जगुते � निहोंदेी को मीलें पहोुंचा निदेया होै। इसनिलेए अबं यहो सोच भाी अप्रासंनिगुक बं�
                                                                      े
                                गुई होै निक भाूमंडलेीकरार्ण, उदेाराीकरार्ण, नि�जीकरार्ण क कारार्ण भाारातेीय भााषााओंं परा प्रनितेक ू ले प्रभाावं पड़ेा
                                होो बंनिल्क भाारातेीय भााषााओंं को निवंकास की गुनिते औरा तेज होो चलेी होै।
                                                                          े
                                                                  े
                                                                                    ँ
                                                                                                           े
                                                           �
                                    रााष् ट्रीभााषाा, रााजभााषाा औरा संपक भााषाा क रूप मं निहोन् देी  को यहोा की धरातेी मं पूराा सम्‍ मा� निमले,
                                                                             ँ
                                                 ँ
                                                                                ं
                                यहोा की अनिभाव् यनिक्तया रााष् ट्री की मुख् यधाराा की अनिभाव् यनिक्तया बं�, यहोी इस प्रयास का ऊवं�रा निचंते� होै।
                                   ँ
                                                                          े
                                इसनिलेए होम सभाी का कतेव् य बं� जातेा होै निक होम इसक कायान् वंय� क निलेए समुनिचते ढंंगु से निदेशा-
                                                                                     े
                                                                               �
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                                                                                         े
                                नि�देेशं का पाले� निकया जाए। लेोगु निहोन् देी क निलेए करा�ा तेो बंहोुते क ु छे चाहोते हों परा कहों � कहों निहोन् देी
                                                                े
                                मं कामकाज करा� को होी�तेा की प्रवंृनित्त समझकरा बंच�ा भाी चाहोते हों। कभाी-कभाी क ु छे लेोगु नि�यमं से
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                                                                                 े
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                                अ�निभाज्ञ भाी होोते हों। अते: नि�यमं को जा�करा होेय प्रवंृनित्त से ऊपरा उठकरा होी होम अप�ी रााष् ट्री की भााषाा
                                को समुनिचते स् थाा� निदेलेा सकते हों।
                                                       े
                                                        े
                                                                                      �
                                                                      े
                                    इसी बंाते को ध् या� मं राखते होुए होडको निपछेले ग् याराहो वंषां से ‘पूवंाचले’ को नि�रांतेरा औरा नि�वंाध
                                                                                                          �
                                                                          े
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                                                                   े
                                                                                                    �
                                रूप से प्रकाश� कराते आ राहोा होै।  भााराते भारा मं फीले होमारा होडको परिरावंारा क अनिधकारिरायं/कमचारिरायं �  े
                                                                     े
                                इस पनित्रीका को गुले लेगुाया होै औरा इस निदेशा मं होमारा उत् साहो को औरा बंढ़ाया होै। मं उ� सभाी सुधीज�ं
                                              े
                                                                       े
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                                की शुभाेच् छेा क निलेए होमेशा �तेमस् तेक होँँ तेथाा उन् हों की प्ररार्णा से यहो ग् याराहोवंां अंक आज नि�काले पायी
                                                                          े
                                                                                    े
                                होँँ। मुझे गुवं� होै निक यहो पनित्रीका अप�ी मधुरातेा, सरालेतेा औरा सहोजतेा क साथा निहोन् देी को प्रगुनिते पथा परा
                                            े
                                अग्रेसारिराते करा� मं अप�ी महोतेी भाूनिमका का पाले� करा राहोी होै।
                                                                                    �
                                                            े
                                    इस पनित्रीका क निलेए अप�ा आलेख निहोंदेी भााषाा मं निलेखकरा ‘पूवंाचले’ को राोचक औरा तेथ्‍ यपराक
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                                                                           े
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                                वं ज्ञा�वंध�क बं�ा� तेथाा आकषा�क रूप से सजा� सवंारा� मं होमारा कायालेय क सभाी अनिधकाराी औरा
                                                                                 े
                                                                         ँ
                                                                                             े
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                                कम�चाराी � होमं भारापूरा सहोयोगु निदेया होै। मं इस होडको परिरावंारा क सभाी सुधीज�ं क प्रनिते होमेशा कृतेज्ञ
                                                                               े
                                                                े
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                                                               े
                                औरा ऋर्णी होँँ। आशा होै, ‘पूवंाचले’ अप� बंहोतेराी� कलेवंरा मं होमेशा प्रकानिशते होोतेी राहोेगुी औरा होडको
                                                                         े
                                को यहो श्रृेय निमलेतेा राहोेगुा, यहोी श्रृेयस होै, यहोी प्रयस होै।
                                                                   े
                                    शुभाकाम�ाओंं सनिहोते!
                                                                                                         े
                                                                                              (संुश्रीी चंंद्रकुला क्षत्रीी)
                                                                                                   प्रबंंधकु (ए/एचं)
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