Page 33 - चिरई - कोलकाता क्षेत्रीय कार्यालय की पत्रिका
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               और उत्सााह से रगाे हुए थे, और उन्होंंनाे पर सकाल्प से साथ डंरिरयोंा  सभाी अलगा-अलगा तीरीकांं काे  बंारे मं संचा जं मनाे देेखं थे। ख़ुुशीी
                                                                                           ष
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               पकाड़ा रखी थी। जबं वंे प्रत्यका जीती काा जश्न मनाा  रह थे तीं उनाकाी  मानावंीयों संबंं�ंं और जीवंना काे  रंजमरा काे  आ�योंं काी सराहनाा काे
               हसी हवंा मं गाूज रही थीं, उसी जंशी का साथ हार काा मजा भाी ले  तीानाे-बंानाे मं बंना गायोंा है।
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               रह थं। उस देौरना मझे एहसास हुआ फिका मं सवंोत्तम बंनानाे काी देौड़ा   मरा साहश्चिसका काायोंष कावंल नाए क्षत्रींं काी भाौफितीका खंज नाहीं
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               मं हमशीा अपनाे जीवंना का फिपराफिमड का शीीर्षष मं रहनाे का बंावंजदे   था बंक्ट्� साथ ही सचतीनातीा और अवंलंकाना काी शीफि� का प्रफिती
                                                                                                         े
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               जीवंना जीनाा भाूल गाए ह। मझे योंह देख कार आ�योंष हुआ फिका उना   गाहना जाग्रफिती भाी थी। मझे पतीा चला फिका ख़ुुशीी श्चिस� गाहर पर ही
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               बंच्चांं काा योंह लापरवंाह रवंैयोंा उनाका वंजना का फिबं�ल फिवंपरीती   नाहीं बंक्ट्� काहीं भाी फिमल सकातीी ह। एका काफिठना योंात्रीा काा अती
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               था जं अक्सीर वंयोंस्कूतीा का साथ हंतीा ह। बंच्चाे श्चिजम्मादेारिरयोंां और   योंा भाव्य सरचनााओंं काी छायोंा मं भाी। योंह हर चीज़ मं पायोंा जा
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               व्यस्त जीवंना काी जफिटलतीाओंं से अनाजाना थं। वंे स्वतीत्री थे उना   सकातीा ह..। बंातीचीती, मस्कूराहट और साझा अनाभावं जं हमार  े
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               श्चिचंतीाओंं से जं हमारी उम्र बंढ़ानाे का साथ बंढ़ातीी ह। बंच्चांं का खेल   जीवंना काी रगाीफिनायोंंं मं रगा भार देतीे ह।
                                                                        ं
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               नाे ऐसा पाठ प्रस्तती फिकायोंा श्चिजसे हममं से काई लंगा योंादे रखनाे काी
                                                                      ै
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                                                                    जसे ही मं घोर वंापस आयोंी, योंे योंादे मर रास्ते मं मागाषदेशीषका
                                                                                                े
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               कांश्चिशीशी कारतीे ह...। मौजदे रहनाे और उस पल कां उसका पर रूप
                                                                 े
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                                                                का रूप मं बंनाी रहीं। मझे इंस योंात्रीा नाे योंादे फिदेलायोंा फिका देुफिनायोंा
               मं स्वीकाार कारनाे काा मूल..। खाफिमयोंां और सुन्दरतीा। योंह हमार  े
                                                                                     ै
                                                                छंटी-छंटी खश्चिशीयोंंं से भारी ह जं बंस उना लंगांं द्वाारा खंजे जानाे
                                                                          ु
               श्चिलए अपनाी श्चिचंतीाओंं कां देूर कारनाे और जीवंना मं छंटी-छंटी चीजंं
                                                                काी प्रतीीक्षा कार रह ह जं इंन्हो असश्चिलयोंती मं जीतीे ह। जी तीं हम
                                                                               ं
                                                                                     ं
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               काा आनादे लनाे मं शीाफिमल हंनाे काा आह्वााना ह।
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                                                                सभाी रह ह, लफिकाना जीवंना कां असल मायोंनाे मं जीनाा हम भाूल गाए
                                                                     े
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                    जीवंना बंाजार, सगाक्ट्�ती रसंई और साझा भांजना काी योंादे  ं  ह। छंटी-छंटी चीजंं कां देखनाे, महसूस कारनाे और उनामं आनादे
                                                                                   े
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               मर मना मं अफिकाती हं गाई। भाारती का व्यजनांं नाे मझे पंर्षणा से   ढांूंढांनाे काा समयों। इंसश्चिलए जसा काी मनाे अपनाी योंात्रीा पर फिवंचार
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               काहीं अश्चि�का प्रदेाना फिकायोंा ह, इंसनाे मझे एका गाहना उपहार फिदेयोंा   कारतीी हूँ। श्चिजना अनाभावंंं नाे मर फिदेल कां छू श्चिलयोंा, मं खदे से एका
                                                                     �
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               था..। इंसका लंगांं, इंसका इंफितीहास और इंसकाी आत्मा काी समझ।   वंादेा कारतीी हूँ। मं छंट खश्चिशीयोंंं कां सजंनाे काी प्रफितीज्ञाा कारतीी हूँ  �
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                                                                                े
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                                                                                   ु
                                                                         �
                  े
               प्रत्यका फिनावंाले का साथ मनाे भाारती का सर काा स्वादे चखा- स्वादेंं   और जीवंना मं उना सामान्य क्षणांं मं ख़ुुशीी ढांूंढांनाा श्चिजना पर अक्सीर
                           े
                                         े
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                              ं
                                ृ
               काी एका श्चिसम्फनाी, सस्कूफितीयोंंं काी एका टप�िी और कानाेक्शना काी   फिकासी काा ध्याना नाहीं जातीा।
                                             े
                                            े
               एका योंात्रीा जं सीमाओंं कां पर कार गाई। जबं मं हलचल बंहर  े
                                                                                            ु
                                                                        संफ़रा कुी संफ़रा नाे बेहुत कुछ सिंसंखाया
                                      ं
               बंाजारंं मं घोूमतीी रही, तीं मरी सवंेदेनााए जागा उठीं, जहा फिवंक्रतीा
                                   े
                                           ं
                                                           े
                                                       �
                                                                                           ु
                                                                           जहाँ भी गया �हाँ कुछ पाया
                                                ं
                                                        ु
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                      ू
                                       ं
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                                                         ं
               काशीलतीापवंषका तीयोंारी कारतीे ऐसे व्यजना काी जं रगांं और सगा�ंं का
               साथ नाृत्य कारतीे प्रतीीती हंतीे थे। इंस छंट से शीहर काी तीगा गाश्चिलयोंंं   कुहं धाुप कुी गमी, कुहं ह�ाओंं कुी नामी कुो
                                            े
                                                      ं
                                      े
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               मं कारकारी जलफिबंयोंा काी महका मर काानांं से टकाराई, जबंफिका फिमटटी   जिज ं दगी संे जुड़ाा पाया
                  ु
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               काी काप मं सगाक्ट्�ती चायों नाे मर हाथंं कां गामष कार फिदेयोंा।   संफ़रा कुी संफ़रा नाे बेहुत कुछ सिंसंखाया
                                     े
                                                                                            ु
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                     ु
                    मझे देूर-देराज का इंलाका मं फिदेना भार मछली पकाड़ानाे का बंादे   चाहे �ह पत्थरा हो हाथ मं या विफूसंलती हुई राेत
                                          ु
                          े
                                 ु
                                                  े
               लौटतीे मछुआर और समद्रु तीटीयों समदेायों कां देखनाे काा अवंसर   हरा कुदरात नाे जिज ं दगी कुो महसंसं कुरााया
                                                                                              ू
                                                                           ु
                                   ु
               फिमला। जैसे ही उन्होंंनाे समद्रुी भांजना से भारी टंकारिरयोंा फिनाकाालीं,   संफ़रा कुी संफ़रा नाे बेहुत कुछ सिंसंखाया
                                                      �
                                                                                            ु
                                                 े
               श्चिजनाकांं उन्होंंनाे पानाी मं इंकाट्ठाा फिकायोंा था, उनाका चेहर ख़ुुशीी और
                                                     े
                                                                     संमंदरा कुी लहरां हो या ख़ुामोशी राेविगस्तााना कुी
                                                  े
               उत्सााह से भार गाए। वंे कारीबं नाजर आए देंस्तंं का साथ फिमलकार
                                                                      पहाड़ां कुी गूंज हो या विफूरा ह�ाओंं कुा शोरा
               कााम कार रह ह और अपनाी उपलक्ट्ब्धयोंंं पर गावंष कार रह ह। इंसनाे
                        े
                          ं
                                                      े
                                                        ं
                                                                          हरा आ�ाज नाे जिज ं दगी संे मिमलाया
                             ै
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                                   े
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                                                      ं
               प्रदेश्चिशीती फिकायोंा फिका कासे उनाका सामान्य अनाभावंंं नाे उन्हो एका साथ
                                                                        संफ़रा कुी संफ़रा नाे बेहुत कुछ सिंसंखाया
                                                                                            ु
                             ु
               बंां� फिदेयोंा। इंसनाे मझे योंादे फिदेलायोंा फिका ख़ुुशीी बंार-बंार फिमलतीी ह  ै
                                                                               ृ
                                                            ू
                                   ं
                                             े
               जबं व्यफि� सहयोंंगा कारतीे ह और समूह का रूप मं काायोंष कां परा   जन्म संे मत्यु तकु जिज ं दगी एकु संफ़रा है
                                                                                               ँ
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                              ं
               कारनाे मं आनादे लतीे ह।                                 गम संे ख़ुुशी पानाे तकु राोनाे संे हसंानाे तकु
                    जैसे-जैसे मं अपनाी योंात्रीा का अती का कारीबं आयोंा, मनाे उना   संबे एकु संफ़रा है जी�ना
                                                         ं
                                       े
                                         ं
                                            े
 32                                                                                                            33 33
                                                ह
                                                                                  ा पर न
                                        ी
                                           ो भााषाा
                                         ज
                                   र
                                                                                          प

                               " "जब एकें बार यह निनश्चय केंर शिलया गया द्विकें सान् १९६५ साे साब केंाम हिंहंदेी मं होगा, तब ा
                               शिजसा
                                                                                          ो
                                                                                       ं
                                                                                      ह
                                                                                        थ
                                    ाष्ट्
                                       कें
                                                        र
                                                          देू
                                                                         ो साा
                                                      ा
                                                                  ी भााषाा
                                                       कें
                                                               शा
                                                              दे
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                                                           सार
                                                               े
                                                                       कें
                                                  सा
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                                                                                त
                                                  उ
                                                                 कें
                                                                             ी जन
                                                     टु
                                                                            र
                                                    े ह
                                                                शा
                                                              ुदे
                                                                  रण अ
                                                               े
                                                               व
                                         उसाे अवश्य केंायावत्यि�त केंरना चााहिंहए।" - साठी गोनिवंदेदेासा
                                                      ा।" -
                                                                         ाल
                                                ज
                                                 ा
                                                  साकेंत
                                                                        े
                                                            ा
                                                                      ग्राव
                                                           व
                                                             सा
                                                                                                             ंट
                                                                                                              क
                                                                                                         े
                                                                                                         वलप
 चि�रई, अंंक-4                                                                                हााउसिं�ंग एण्ड अंर्बन डेवलपमांट कॉपोरेशन सिंलसिंमाटडे े े  डे
                                                                                                            मा
                                                                                                                 र
                                                                                                                  शन
                                                                                                                  े
                                                                                                                    सिंलसिंमाट
                                                                                                               ॉ
                                                                                                                प
                                                                                                                 ो
                                                                                                       ष
                                                                                                       ष
                                                                                                      र्ब
                                                                                                  ग एण्ड
                                                                                                     अं
                                                                                                       न डे
                                                                                                         े
                                                                                              हााउसिं�ं
                                                                                                                      काा
                                                                                                                  हि�न्
                                                                                               क्षेेत्रीीय काा
                                                                                                                      त्री
                                                                                                                   दीी पत्रि
                                                                                                    य
                                                                                                       का
                                                                                                             ी वाार्षि�ि
                                                                                                            का
                                                                                                                का
                                                                                                     ा�लय,
                                                                                                        ोलकााताा
 वर्षष : 2024-25, माा�ष, 2025                                                                  क्षेेत्रीीय कााया�लय, काोलकााताा काी वाार्षि�िका हि�न्दीी पत्रित्रीकाा
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