Page 29 - चिरई - कोलकाता क्षेत्रीय कार्यालय की पत्रिका
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जेीताे जेी                        ताुम कहाा�



                         बंातीं उनाकाी जांचीं-परखी         शीहर गामष हं रहा ह  ै
                          हंतीी थी, अबं जबं नाहीं रही       गाावं काी गाली भाी          नंवनंीताा पाले
                                                              �
                           झकाझंर रही ह योंादेंं मं           ए.सी. काी गामष हवंाओंं से।       संहाायीक प्रबंधक (संचि�वीयी)
                                     ै
                                                                                                क्षेेत्रीीयी कायीाबलेयी, कोलेकाताा
                            उनाकाी हर बंातीं काही गाई          नामष रंशीनाी चादे कां भाी
                                                                        �
                                             ु
                             बंंला कारतीी खुल्लम खल्ला          तीीखी लगातीी ह ै
                                             ु
                              हर वंार संचकार नापा-तीला           फिका क्यांं भाजा चादे पर योंाना कां
                                                                           �
                                                                       े
                                                                   ु
                               देमखम हंतीा था बंातींं मं          वंायोंयोंाना चन्द्योंाना से
                                रीफिती-रम-नाीफिती मं सनाी हुई           फिनाकालतीी श्चिचंगाारिरयोंां
                                 उनाकाी हर बंातीं काही गाई           खश्चिशीयोंंं काा अवंसर भाी
                                                                   ु
                                                                    ै
                                  बं�ड़ाका बंंलतीी फिदेल कां खंल             ह देूर अपनाी काामनााओंं से।
                                 े
                                   काभाी काहुआ, काभाी मीठी बंंल              तीेज गाफिती घोर जजषर,
                                    अबं मंल समझ मं आनाे लगाा              शीीशीे काी देीवंारंं से आच्छाफिदेती,
                                                                            ै
                                     अबं मंल समझ मं आनाे लगाा                संच मं ह कामी वं� काी.
                                      जबं छंड़ा देुफिनायोंा चली गाई                 व्यथष भाागातीी सभ्यतीाओंं मं।
                                                                        ं
                                       उनाकाी हर बंातीं काही गाई                  सतीरिरयोंंं और शीस्त्ंं से
                                      ष
                                         टर-टर लगातीा, काभाी देुःख हंतीा                  खतीरा है जना-जीवंना कां
                                         ष
                                          जबं खरा बंंलतीा था तींतीा                     अखबंारंं मं प्रचार प्रबंल ह  ै
                                                    े
                                           उड़ा गायोंा छंड़ा फिपंजर कां तीबं                     तीेज कालम कां फिवंपदेाओंं मं।
                                               ं
                                            परिरजना तीौलगाे सही-सही                       फिकातीाबंंं मं जं इंफितीहास ह  ै
                                             उनाकाी हर बंातीं काही गाई                       पृथका उससे इंफिती श्चिलखी जा रही
                                              लगातीा फिकातीनाी थी नाासमझी                        खं ड-खं ड मं बंा�ट रहे हं
                                               फिदेयोंा मंल नाहीं जबं जीतीे-जी     ु
                                                                                  भाफिवंष्य, परातीना मान्यतीाओंं से।
                                             े
                                                उल्ट उलझा कारतीा था, मना
                                                                                   चमका रहा उजाले मं,
                                                                              ू
                                                     ु
                                                 खींझा कारतीा सना खरी-खरी                          सयोंष फिकारणा से शीहर-शीहर,
                                                  उनाकाी हर बंातीं काही गाई                           मानावंतीा फिकान्तःु अं�काार मं
                                                                                      खंज रहा ह जीवंना अभाावंंं मं।
                                                   सच काहा गायोंा ह कामं काा           ै
                                                       ै
                                             ु
                                                    गाणा-देंर्ष प्राणाी का ममो काा
                                                         े
                                                      एहसास हुआ कारतीा जगा कां
                                                       जबं रथी मजी, सांसे ना रही
                                                  ं
                 स्वपनं �न्द् पॉले
                                                        उनाकाी हर बंातीं काही गाई।।
                             संहाायीक, ग्रेेडी-I
                          क्षेेत्रीीयी कायीाबलेयी, कोलेकाताा
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                                                                े
                                                                                     े
                                "भाारतवषाव मं साभाी निवद्याए� सात्यिम्मशिलत परिरवार कें सामान पारस्परिरकें साद्भााव लकेंर रहती
                                                        ं
                                                    आई ह।"- रवंद्रीनाथ ठीाकें ु र
                                                                                                                  े
                                                                                                         वलप
                                                                                                                  शन
                                                                                                       ष
                                                                                                       ष
                                                                                                                 र
                                                                                                             ंट
                                                                                                            मा
                                                                                                         े
                                                                                                         े
                                                                                                               ॉ
                                                                                                  ग एण्ड
                                                                                                                प
 चि�रई, अंंक-4                                                                                हााउसिं�ंग एण्ड अंर्बन डेवलपमांट कॉपोरेशन सिंलसिंमाटडे े े  डे
                                                                                                                 ो
                                                                                                      र्ब
                                                                                                       न डे
                                                                                                     अं
                                                                                                                    सिंलसिंमाट
                                                                                                              क
                                                                                              हााउसिं�ं
                                                                                                                      काा
                                                                                                                      त्री
                                                                                                                  हि�न्
                                                                                                                   दीी पत्रि
                                                                                                     ा�लय,
                                                                                                       का
                                                                                               क्षेेत्रीीय काा
                                                                                                    य
                                                                                                             ी वाार्षि�ि
                                                                                                                का
                                                                                                        ोलकााताा
                                                                                                            का
 वर्षष : 2024-25, माा�ष, 2025                                                                  क्षेेत्रीीय कााया�लय, काोलकााताा काी वाार्षि�िका हि�न्दीी पत्रित्रीकाा
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