Page 32 - चिरई - कोलकाता क्षेत्रीय कार्यालय की पत्रिका
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मेेराा सफरानामेा                                      जन्म संे मत्यु तकु, जिज ं दगी एकु संफूरा है...
                                                                        ृ
                                                                                          ँ
                                                               गम संे ख़ुुशी पानाे तकु ...। राोनाे संे हसंनाे तकु
                                                                       संबे एकु संफ़रा है जी�ना
                                                       ै
                                                      जसे ही मनाे नाए श्चिक्षफितीज तीलाशीनाे काी अपनाी योंात्रीा शीुरू काी मझे नाहीं पतीा था फिका
                                                             ं
                                                                                                 ु
                                                                    ै
                                                 जीवंना फिकातीनाा बंदेल रहा ह और योंह योंात्रीा फिकातीनाी सुखदे हंगाी। जीवंना स्वयों एका योंात्रीा
                                                                                                       ं
                                                 ह और इंस योंात्रीा कां परा कारनाा हंगाा। इंस योंात्रीा काा श्चिजतीनाा अंशी योंात्रीा मं बंीतीे वंही
                                                                  ू
                                                  ै
                                                 फिहतीकार ह। फिवंश्चिभान्ना स्थाानांं काी योंात्रीा कारनाे से हमारा अनाभावं बंढ़ातीा ह और काष्टा सहना
                                                                                          ु
                                                        ै
                                                                                                   ै
                                                                                      ु
                                                              ं
                                                                                   ै
                                                 कारनाे तीथा स्वावंलबंी बंनानाे काा अवंसर फिमलतीा ह। काछ फिदेनांं का श्चिलए देफिनाका काायोंषचक्र का
                                                                                                   ै
                                                                                             े
                                                                                                              े
                                                 एका रास्ता वंाली श्चिजंदेगाी से मफि� फिमल जातीी ह, श्चिजससे जीवंना मं आनादे और स्फूफिती काी
                                                                                                          ू
                                                                                  ै
                                                                      ु
                                                                                                   ं
                                                                                                            ष
                                                 लहर देौड़ा जातीी ह। योंात्रीा कारनाे से फिवंश्चिभान्ना जाफितीयोंंं वं स्थाानांं का रीतीी-रिरवंाजंं, भाार्षाओंं
                                                              ै
                                                                                              े
                ओंम प्रकाश
                                                 आफिदे से हम परिरश्चिचती हंतीे ह।
                                                                     ै
                         अनंुसंंधानं अधिधकारी
                                                                                                          ै
                       क्षेेत्रीीयी कायीान्वयीनं, कोलेकाताा   जीवंना काा सच्चाा सार सबंसे अप्रत्याश्चिशीती और आकार्षषका तीरीकांं मं फिनाफिहती ह। जबं
                             ब
                                                             े
                                                 हम योंात्रीा का बंार मं संचतीे ह, तीं हम हमशीा उना स्माारकांं का बंार मं संचतीे ह श्चिजन्हो हम
                                                                                                        ं
                                                                                               े
                                                                                           े
                                                         े
                                                                                                            ं
                                                                      ं
                                                                               े
                                                                                ं
                                                       ै
                                                  े
                                                                                                              ै
                                                 देखतीे ह और साहश्चिसका काायोंष जं हम कारतीे ह, लफिकाना योंात्रीा उससे काहीं अश्चि�का बंेहतीर ह।
                                                                                   े
                                                                                                          ं
                                                                                                        े
                                                                    ै
                                                 योंह आत्म-खंज काी योंात्रीा ह और जीवंना काी सूक्ष् बंारीफिकायोंां जं वंास्तवं मं हमार सस्मारणांं
                                                                                         े
                                                                                                       ं
                                                                                                 े
                                                                          े
                                                                       ं
                                                 का कानावंास कां श्चिचफित्रीती कारतीी ह। मर द्वाारा उठाए गाए प्रत्यका कादेम का साथ मनाे पायोंा फिका
                                                                           े
                                                  े
                                                    ै
                                                               ु
                                                                                                              �
                                                 मं देुफिनायोंा द्वाारा प्रस्तती आनादे का सरल लफिकाना गाहना उदेाहरणांं काी ओंर आकाफिर्षती हुई हूँ।
                                                                             े
                                                                       े
                                                                    ं
                                                                                                        ष
                                                 मझे आज भाी योंादे ह अपनाे काॉलेज का फिदेनांं मं जबं मं स्नेातीका मं थी तीबं मनाे एका छंट  े
                                                  ु
                                                                            े
                                                                ै
                                                                                                       ं
                                                                                        े
                                                 से शीहर मं गाई थी अपनाे काॉलेज का फिकासी परिरयोंंजनाा का श्चिसलश्चिसले से।
                                                                          े
                                                                                               े
                                                      मं गांल पत्थरंं से बंनाी एका छंटी सी सड़ाका पर एका छंट आरामदेायोंका का� मं
                                                                                                            े
                                                                                                           ै
                                                                       ु
                                                 गाई। हवंा मं एका अद्भुुती सी सगा� थी..। तीाज़ी बंनाी काा�ी काी। जबं मनाे श्चिखड़ाकाी से
                                                                        ं
                                                                                                     ं
                                                      े
                                                                                                 ं
                                                                                                            ु
                                                 बंाहर देखा तीं मझे काछ फिदेलचस्प ध्याना मं आयोंा। सड़ाका पर एका सगाीतीकाार एका परानाा
                                                                ु
                                                             ु
                                                 फिगाटार श्चिलए खड़ाा था। उसनाे एका मत्रीमुग्ध कार देनाे वंाला सगाीती बंजायोंा, ऐसा लगा रहा
                                                                          ं
                                                                                    े
                                                                                           ं
                                                                                 ै
                                                                                          ै
                                                                    े
                                                 था फिका योंह शीहर का लयों का साथ चल रहा ह। जं आगाे पदेल चल रह थे वंे काछ देर का
                                                                                                              े
                                                                                                        ु
                                                              े
                                                                                                            े
                                                                                                   े
                                                 श्चिलए रुका जसे-जसे वंे सनातीे गाए, उनाका कादेम �ीमे हंतीे गाए। इंससे मझे उस ख़ुुशीी कां
                                                                            े
                                                                                                   ु
                                                          ै
                                                                  ु
                                                       े
                                                             ै
                                                                                                           ं
                                                                                                    ं
                                                 समझानाे मं मदेदे फिमली जबं लंगा इंस तीरह का सा�ारणा क्षणांं काा आनादे लतीे ह, ऐसे
                                                                                  े
                                                                                                        े
                                                                       े
                                                                                                   ं
                                                 क्षणा जं व्यवंक्ट्स्थाती नाहीं हंतीे लफिकाना वंे अप्रत्याश्चिशीती रूप से घोफिटती हंतीे ह सबंकां एका साथ
                                                 लातीा ह। उस पल मझे उस खुशीी काा एहसास हुआ जं योंह छंटी-छंटी चीजंं मं और
                                                                ु
                                                       ै
                                                                                           ै
                                                                 े
                                                 एका व्यफि� द्वाारा आपका श्चिलए फिकायोंे गाए प्रयोंासंं मं फिनाफिहती ह। फि�र मं स्थाानाीयों बंाजारंं मं
                                                 गाई, जं रगांं और सगा�ंं से भार थे। वंहा काई हस्तश्चिशील्प काी देुकाानां थी जं हमार देशी काी
                                                                                                         े
                                                                             �
                                                               ु
                                                                                                           े
                                                        ं
                                                                       े
                                                                ं
                                                              ृ
                                                 सुन्दरतीा और सस्कूफिती काा प्रफितीफिनाश्चि�त्व कारतीी थीं। जबं देुकाानादेार अपनाे ग्राहकांं का साथ
                                                            ं
                                                                                                          े
                                                                        े
                                                                                   े
                                                               े
                                                  ं
                                                 हसी-मजाका कार रह थे तीं उनाका चेहर श्चिखल उठ।
                                                                            े
                                                                        े
                                                                                                        ं
                                                                               ष
                                                                           े
                                                      मं आगाे चली और एका हर-भार पाका मं गाई जं घोास काी फिमटटी काी सगा� से भारी
                                                                                                       ु
                                                                                                              ष
                                                                                       ू
                                                                                                           े
                                                                                                   ु
                                                 हुई थी। पत्तंं काी सरसराहट नाे दृश्य कां सुखदे पृष्ठभाफिम प्रदेाना काी। मझे उस हर पाका
                                                                              े
                                                 नाे पानाी ओंर श्चिखंच श्चिलयोंा, व्यस्त शीहर का बंीच योंह शीांफिती कां स्वगाष प्रतीीती हं रहा था।
                                                                                          ं
                                                                           ं
                                                      ं
                                                                                      े
                                                                                                ं
                                                                                                            ं
                                                             े
                                                 तीभाी मनाे बंच्चांं का एका समूह कां पतीगा उड़ाातीे हुए देखा, रगाीना पतीगां आसमाना मं ऊची
                                                                           े
                                                                                                         े
                                                 उडाना भार रही थीं। और उनाका चेहर पर ख़ुुशीी इंतीनाी काीमतीी थी। उनाका चेहर प्रत्याशीा
                                                                       े
                                                                                                    े
           32 32                                                                                                                                                                                                                         33
                                        र
                                        ाष्ट्भााषाा
                                     ह
                                  "हिंहंदेी भााषाी प्रदेशा केंी जनता साे वोटु लना और उनकेंी भााषाा तथा सााहिंहत्या केंो गाशिलया�
                                   "हिं ं
                                                      े प्र
                                       ी
                                                        त्या
                                                 साशिलय
                                      दे
                                                                                ी
                                                                                 कें
                                                                              ा
                                                                              सा
                                                            व्य
                                                                                    सा
                                                                                  ो इ
                                                             े
                                                                            व
                                                                       कें
                                                                       े
                                                                     त्या
                                                                  ो, प्र
                                                              �
                                                              नि
                                                                कें
                                                                         भाारत
                                               ै
                                                          े
                                                                                        खान
                                             े
                                              ह
                                                                                           ा
                                                          कें
                                                                                      सा
                                                                                      े
                                               , इ
                                                                                        ी
                                                         ए।" - र
                                                                    र
                                        े
                                                   �
                                                                     शा
                                                      चाा
                                                                   ै
                                                       हिंह
                                               े
                                       देना कें ु छो नताओं केंा देनिनकें व्यवसााय ह।" - (डेॉ.) रामनिवलासा शामा व
                                                       ै
                                                                       ुक्ल
                                                               निवशा�कें
                                                                                                                                                                                                                                  ष
                                                                                                                                                                                                                                    े
           चि�रई, अंंक-4                                                                                                                                                                                                 हााउसिं�ंग एण्ड अंर्बन डेवलपमांट कॉपोरेशन सिंलसिंमाटडे े
           चि�रई, अंंक-4
                  �ष
                   , 2025
        वर्षष : 2024-25, माा�ष, 2025                                                                                                                                                                                      क्षेेत्रीीय कााया�लय, काोलकााताा काी वाार्षि�िका हि�न्दीी पत्रित्रीकाा
        वर्षष : 2024-25, माा
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