Page 31 - संकल्प - दसवां अंक
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दसवी ं अंक
िश ा की पुनक पना: एक िश क का दृ टकोण
अ बट आइं टीन ने एक बार कहा थाः हर कोई ितभाशाली है। लेिकन अगर आप एक मछली को उसक
पेड़ पर चढ़ने की मता क िहसाब से आंक गे तो वो पूरी िजंदगी यही सोचकर िजयेगी िक वो मूख है।
चलो आधुिनक क ली िश ा क बारे म बात करते ह । यह ऐसा है जैसे हम अभी भी मछिलय को पेड़ पर
चढ़ने की कोिशश कर रहे ह , िफर नीचे चढ़ और दस मील दौड़ । कई छा उस मछली की तरह महसूस
करते ह - ऊपर की ओर तैरने क िलए संघष करना, अपनी ितभा को खोजने म असमथ और अपया त
महसूस करना।
यह बदलाव का समय है। रचना मकता को दबाने, य त व को दबाने और बौि क प से दमनकारी होने
क िलए िश ा णाली दोषी है। यह पुराना मॉडल लंबे समय से अपनी उपयोिगता को समा त कर चुका है।
जब हम आज की क ा की तुलना 100 साल पहले की क ा से करते ह , तो एक सदी से अिधक समय क बाद
भी, क छ भी नह बदला है। क छ जोडा ह , लेिकन मूल संरचना अभी भी वही है। आधुिनक िश ा का दावा है
िक वे छा को भिव य क िलए तैयार कर रहे ह , लेिकन इस तरह क सबूत क साथ, मुझे पूछना चािहएः या
आप उ ह भिव य या अतीत क िलए तैयार कर रहे ह ?
इितहास पर एक नजर डालने से पता चलता है िक िश ा णाली को लोग को कारखाने क काम क िलए
तैयार करने क िलए िडजाइन िकया गया था इसिलए ड क की कठोर पं तयाँ, थर बैठने का आदेश,
बोलने क िलए हाथ उठाना, सीिमत ेक और अनु पता पर िनरंतर यान क ि त करना। ेड क िलए
ितयोिगता ने िश ा को गुणवता परी ण म बदल िदया है, बहुत क छ माँस की ेिड ग की तरह बदल िदया है।
म समझता हूं िक उस समय अलग थे, लेिकन आज की दुिनया रचना मकता, नवाचार, मह वपूण सोच और
कने ट करने की मता की मांग करती है। येक म त क अि तीय है, और कई ब वाले िकसी भी
माता-िपता इस बात की पु ट कर गे... तो छा क साथ ऐसा यवहार य कर जैसे िक वे सभी समान ह ,
येक छा क िलए समान अपे ाएं और तर रखते ह ?
यह देखना िनराशाजनक है िक िश क, जो सबसे मह वपूण नौक रय म से एक ह , उ ह कम भुगतान िकया
जाता है। एक महान िश क एक ब े क िदल तक पहुंच सकता है और उ ह वा तव म जीने क िलए े रत कर
सकता है।
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