Page 34 - संकल्प - दसवां अंक
P. 34

दसवी  ं अंक

                                                                                              ै

                                                                े

             1. िव पोषण: बुिनयादी ढांचा प रयोजना  क िलए बड़ पैमान पर िनवेश की आव यकता होती ह, और धन जुटाना
            एक मह वपूण  चुनौती बनी हुई है। साव जिनक-िनजी भागीदारी (पीपीपी) अ सर िविनयामक बाधा , िवलंिबत
            अनुमोदन और भूिम अिध हण की सम या  जैसे मु   क  कारण अपे ा  को पूरी तरह से पूरा नह  कर पाई है।


            2. िविनयामक और नीितगत बाधाए: जिटल िविनयामक ढाँच, नौकरशाही देरी और नीितगत असंगितया अ सर
                                                                                                        ँ
                                                                  े
                                           ँ
            प रयोजना िन पादन को धीमा कर देती ह । पया वरण मंजूरी, भूिम अिध हण और पुनवा स और पुनवा स क  मु े देरी का
            कारण बनते रहते ह ।


                                             े
                                       े
                                                          े
            3. शहरीकरण का दबाव: तेजी स हो रह शहरीकरण न शहरी बुिनयादी ढांच पर भारी दबाव डाला है। शहर  को यातायात
                                                                           े
            की भीड़,  दूषण, अपया  त साव जिनक प रवहन और अपया  त आवास से संबंिधत चुनौितय  का सामना करना पड़ता है।
            शहरी- ामीण िवभाजन भी एक चुनौती है,  य िक  ामीण  े  बुिनयादी ढांचे क  िवकास म  िपछड़  हुए ह ।



            4. तकनीकी उ यन: हालाँिक  गित हुई ह, लेिकन बुिनयादी ढाँच म उ त तकनीक  को अपनान क मामल म भारत

                                                                                                        े

                                                                    े
                                                 ै
                                                                                               े
            अभी भी िवकिसत देश  से पीछ  है। उदाहरण क  िलए,  माट  ि ड,  ीन िब  ड ग और िटकाऊ िनमा ण  थाएँ अभी भी
             ारंिभक अव था म  ह ।
                                                                                             ै

                                              े
            5. रखरखाव और मर मत    : बुिनयादी ढांच क रखरखाव को अ सर नजरअंदाज कर िदया जाता ह, िजसस समय क साथ
                                                                                                    े

            संपि  खराब हो जाती है। सड़क , रेलवे और शहरी बुिनयादी ढांचे क  खराब रखरखाव क  प रणाम व प लंबी अविध की
            लागत बढ़ जाती है और द ता कम हो जाती है।
            आगे की राह :  इन चुनौितय  का समाधान करने और भारत की मह वाकां ा  का समथ न करने वाले एक मजबूत

            बुिनयादी ढांचे का िनमा ण करने क  िलए, एक बहुआयामी दृ  टकोण आव यक है।
            1. अिभनव िव पोषण मॉडल: िव पोषण िवक प  म  िविवधता लाना मह वपूण  है। घरेलू और अंतरा   ीय दोन  िनवेशक
            को आकिष त करने क  िलए बुिनयादी ढांचा िनवेश   ट (InvITs),  रयल ए ट ट िनवेश   ट (REITs) और  ीन बॉ ड

            का पता लगाया जा सकता है। िनजी िखलािड़य  की िचंता  को दूर करक  PPP ढांचे को मजबूत करना भी पूंजी को
            अनलॉक करने म  मदद कर सकता है। प रयोजना  की िनगरानी क  िलए िडिजटल  लेटफ़ॉम  क  साथ

            2. नीित सुधार और िविनयामक सु यव  थतता: िविनयामक ढांचे को सरल बनाना और नीित   थरता सुिन  चत करना
            तेजी से प रयोजना िन पादन की क  जी है। पारदश  और समयब  अनुमोदन  ि याएँ देरी को कम कर सकती ह ।

            3. सतत िवकास: सतत बुिनयादी ढांचे पर जोर देना ज री है। इसम  नवीकरणीय ऊजा , ह रत भवन और पया वरण क
            अनुक ल प रवहन िवक प  को बढ़ावा देना शािमल है। बुिनयादी ढांचे म  IoT और AI जैसी  माट  तकनीक  को अपनाने से

            द ता म  सुधार हो सकता है और पया वरणीय  भाव कम हो सकता है।

            4. शहरी शासन को मजबूत करना: शहरी  थानीय िनकाय  को अिधक िव ीय और  शासिनक  वाय ता क साथ सश त
            बनाना शहरी िनयोजन और सेवा िवतरण म  सुधार कर सकता है। साव जिनक प रवहन, िकफायती आवास और ह रत

             थान  पर  यान क ि त करने क  साथ एकीक त शहरी िनयोजन, शहर  को अिधक लचीला और रहने यो य बना सकता
            है।


                                                            34
   29   30   31   32   33   34   35   36   37   38   39