Page 37 - संकल्प - दसवां अंक
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दसवी  ं अंक
             वै जी क  पास सनीचर नाम का एक नौकर भी है जो एक सरोगेट क   प म  काम करता है िजसक  ज़ रए और िजसक  इद -िगद
            वह स ा का िनमा ण करता है। एक िब क ल अलग  पे  म पर, लंगड़ है जो उिचत तरीक  से काम करने पर जोर देता है और
            अंततः   ट नौकरशाही का िशकार बन जाता है। वै जी क  दोन  बेट    पन और ब ी वै जी की सामािजक और राजनीितक
            श  त क   ं  को दशा ते ह ।   पन अपनी अ लील राजनीितक श  त का इ तेमाल अपने िपता की ओर से और अ सर उनक

            कहने पर करता है। बड़ा बेटा ब ी एक बॉडी िब डर है जो खुद राजनीितक लेन-देन म  बहुत  यादा शािमल नह  है। वह अपने
            िपता क  िलए िनगरानी एज ट क   प म  सि य  प से काम करता है, और एक सि य मोिबलाइज़र और संकटमोचक क   प म
            काय  करता है। उप यास म  समाज  वतं ता क  बाद गाँव क  जीवन म  नैितक मू य  क   ास को बहुत अ छी तरह से दशा ता है
            और इसे बहुत ही बुि  और काले हा य क  साथ पेश करता है।


            राग दरबारी हम  बताता है िक राजनीितक स ा पर भरोसा िनरपे  नह  होना चािहए। भारत क  आ मिनभ र बनने और गांव  और
            लोग  क  गौरवा  वत होने क  तमाम दाव  क  बावजूद, एक आम आदमी की रोजमरा  की िजंदगी 'उ टी बात ' से गुजरती है। यहां
              टाचार को झूठ  बहान  से उिचत ठहराया जाता है और यहां तक   िक  याय  यव था और यहां तक   िक पुिलस भी डक त  जैसी
            लगती है। साव भौिमक वय क मतािधकार की अवधारणा एक ऐसा िवचार है िजसका उ े य सरकार को इस िव वास क  साथ
            जवाबदेह बनाना है िक स ा पर भरोसा िकया जा सकता है।  हालांिक,  वतं ताक  बाद क  भारत म , पैसा और बाहुबल अ सर

            नौकरशाही की संरचना और काय  णाली म  हेरफ र करते ह । ऐसी   थित म , राजनीितक काया लय धन संचय करने का एक
            तरीका बन जाते ह  और चुनाव 'बेहतर बुरे' या अवसरवादी होने क  बारे म  अिधक हो जाते ह । यहां स ा का खेल राजनेता और
            आम आदमी दोन  को   ट करता है। राग दरबारी यहां भारत क   ामीण  े   म  लोकतं  की िवफलता पर िट पणी करता है और
            सवाल पूछता है िक “लोग उन लोग  पर भरोसा  य  करते ह  और उ ह  वोट  य  देते ह  िजनक  बारे म  उ ह  पता है िक वे यो य
            नह  ह ? यह हम  बताता है िक लोग  थानीय  ािधकरण  की ओर  य  आकिष त होते ह ,  य िक वे उ ह  संर ण और संर ण  दान
            करते ह , तथा धन और वफादारी क  बदले म  काम करवाते ह ।


            उप यास म  जो संपूण  अवधारणा दी गई है, वह   ड रक क पर क  तक  की याद िदलाती है िक िवकास क  पूंजीवादी और
            समाजवादी आ यान  क  बीच बहस भारत क   ामीण इलाक  जैसे  थान  म  मौजूद स ा क  आंत रक संरचना मक मॉडल पर
            िवचार करने म  िवफल रहती है। यह स ा संरचना बिह कार, भेदभाव, शोषण और द र ता पैदा करती है, और इसक  बजाय
            गरीबी को लागू करती है। यहां क   थानीय अिभजात वग  शोषण क  सां क ितक आिधप य को बनाए रखते ह , जो अभी भी बहुत
             ासंिगक है। ठीक इसी तरह, राग दरबारी उस थीिसस क  मुंह पर वा तिवकता का तमाचा है जो  ामीण भारत को अपराध और

            स ा से मु त िदखाती है और दूसरी थीिसस जो इसे एक उपेि त अिवकिसत और द र  भूिम क   प म  िचि त करती है। उप यास
            इस बात पर जोर देता है िक  वतं  भारत म  नए िवकास ने गांव क  िवकास म  योगदान नह  िदया है, इसक  बजाय, इसने ि िटश
            शासन को एक  वदेशी शासन से बदल िदया है जो उसी तरह काम करता है।


            उप यास मानवीय कमज़ो रय  क  िच ण क  ज़ रए इस अंतिन िहत श  त-खेल पर अंतदृ   ट  दान करने का एक शानदार काम
            करता है। यह िन  चत  प से आपको ज़ोर से हंसाएगा, िफर से पढ़ गा और िफर एहसास म  मु क राएगा। लेखक ने मजािकया
            लेखन क  मा यम से जो एहसास का ह का झटका िदया है, वह आपको  ट ड-अप कॉमेडी     ट पढ़ने जैसा महसूस कराता है।
            हालाँिक, यह देखते हुए िक  ट ड अप कॉमेडी क  िलए संदेश को  य त करने क  िलए     ट को िलखना,   तुित का लहज़ा और
            बॉडी ल  वेज की आव यकता होती है। राग दरबारी उन बहुत कम गैर-समकालीन उप यास  म  से एक है जो संचार क  एक ही

            मा यम: लेखन क  मा यम से अपनी  ासंिगकता और बुि  को बनाए रखते ह । तुलना क  कई अ य उदाहरण (जैसे िक िम टर ख ा
            का मािल न मुनरो क  साथ) आपको वा तव म  यह इ छा िदलाएंगे िक आप पु तक क  मूल सं करण को पढ़ने क  िलए पया  त िहंदी जानते
            ह ।
                                                                                           रचना एच
                                                                               ु
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                                                                              सप ी ह रक न आर एस
                                                                                       ं
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                                                                                 िहदी नोडल अिधकारी
                                                                                   ं
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