हडको ने वित्तीय वर्ष 1989-90 में शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को वित्तपोषित करने के लिए एक विंडो शुरू की जिसे 'अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस विंग' नाम दिया गया है । मुख्य या प्राथमिक क्षेत्र की बुनियादी सुविधाओं में शहरी क्षेत्रों में जलापूर्ति, सीवरेज, जल निकासी, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, सड़कें, बिजली, स्मार्ट शहर, औद्योगिक इंफ्रास्ट्रक्चर आदि से जुड़ी परियोजनाएं शामिल हैं। तत्पश्चात, इसमें सरकारी एजेंसियों द्वारा आसपास के क्षेत्रों में संचालित आवश्यक सामाजिक इंफ्रास्ट्रक्चर सुविधाओं के विकास से जुड़ी ऐसी परियोजनाओं को भी शामिल कर लिया गया जो कि एकल-आधार की परियोजनाएं नहीं थी। सामाजिक इंफ्रास्ट्रक्चर घटक जैसे; प्ले-स्कूल/प्राथमिक विद्यालय, कामकाजी महिला छात्रावास, स्वास्थ्य केंद्र, खेल के मैदान, पुलिस स्टेशन, अदालतें, जेल, श्मशान-घाट इत्यादि जो आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं हैं, उन्हें कम ब्याज दर पर वित्त पोषण का लाभ मिला।
वर्ष 1990 में इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं का वित्त पोषण अपेक्षाकृत नई अवधारणा थी चूँकि इन परियोजनाओं के लिए उच्च पूंजीगत व्यय की आवश्यकता होती थी और परियोजना निर्माण काल लम्बी अवधि का होता था साथ ही बुनियादी सेवाओं के लिए शुल्क अर्जन की कोई राजनीतिक अभिरुचि न होने के कारण पूंजीगत लाभ की वापसी की भी कोई गारंटी नहीं थी l हडको का इस क्षेत्र में प्रवेश हुआ और इसने निर्माण अवधि के दौरान नकदी प्रवाह के आधार पर पूंजी की आवश्यकता और अधिस्थगन को पूरा करने के लिए शहरी स्थानीय निकायों को दीर्घकालिक ऋण (20 वर्ष तक) प्रदान किए । हडको के हस्तक्षेप ने बेहतर सेवाओं के लिए वाज़िब शुल्क अर्जन करने की जागरूकता पैदा की ताकि ऋण के भुगतान के लिए निवेश पर पर्याप्त पूंजीगत लाभ प्राप्त किया जा सके और सेवाओं को सुचारू रूप से जारी रखा जा सके