Page 32 - चंदन वाणी - बेंगलुरु क्षेत्रीय कार्यालय की पत्रिका
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                     कनाटक क गौरवशाली नायक और प्ररणास्रोत
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         नाडाप्रभ कम्पगौड़ा – बगलरु क े जनक
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          नाडाप्रभ कम्पगौड़ा (1510–1570) को बगलरु का दरदर्ी
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         सस्थापक माना िाता ह। ववियनगर साम्राि क े अिीन रहत हुए
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         उन्ोंन कवल बहादरी ही नहीं वदखाई, बल्कि योिनाबि ढग से
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         आिवनक र्हर की नींव रखी। उन्ोंन झील, तालाब, मवदर और
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         र्हर की सीमाओं को दर्ान वाल चार स्तभ बनवाए, िो उनक      े
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         र्हरी वनयोिन क े गहर दृवष्ट्कोण को दर्ाता हैं। उनक सम्मान
         में आि कनाटक क े कई प्रमख पहचान उनक नाम से िड़ी हैं
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         िस की कम्पगौड़ा बस स्टर्न (मिल्कस्टक), कम्पगौड़ा
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         अतरराष्ट् र ीय हवाई अड्डा और वहीं स्थावपत 108 फीट ऊची
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         “स्टच्य ऑफ प्रॉस्पररटी” । यह स्मारक उनक अमर योगदान और
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         कनाटक की प्रगवत में उनक महत्व को उिागर करत ह। वे आि
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         भी “बगलरु क े वपता” और साहस व दृवष्ट् क े अवद्वतीय प्रतीक क े
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         ऱूप में याद वकए िात ह।
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         िर एम. सवश्वश्वरया – इजीसनयररग क े आदश    ग
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         सर मोक्षगडम ववश्वश्वरया (1861–1962) भारत क े महान
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         इिीवनयर, रािनता और दरदर्ी र्। कनाटक में िन्म ववश्वश्वरया
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         ने कष्णराि सागर बाि का वनमाण कर वसचाई और कवष को
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         नया िीवन वदया। मसर क े दीवान (1912–1918) रहत हुए
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         उन्ोंन वर्क्षा, उधॎयोग और साविवनक वनमाण में ऐवतहावसक
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         सिार वकए। 1955 में उन् भारत रत्न से सम्मावनत वकया गया।
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         पर दर् में 15 वसतम्बर को उनकी ियती “इिीवनयर डे” क े ऱूप
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         में मनाई िाती ह।
         फील्ड माशल क े. एम. कररयप्पा – राष्ट् र भत्मि क े प्रतीक
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         फील्ड मार्ल कोडडरा मडप्पा कररयप्पा (1899–1993) स्वतत्र
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         भारत क े पहल कमाडर-इन-चीफ र्। कनाटक क े कग में िन्म      े
         कररयप्पा ने 1947–48 क े कश्मीर यि में सना का नतत्व वकया
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         और भारतीय सना को आिवनक ऱूप वदया। 1986 में उन्ें
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         फील्ड मार्ल की मानद उपावि वमली। “राष्ट् र पहले, सवा स्वय से
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         पहल” उनका आदर् र्ा, िो आि भी सवनकों और नागररकों को
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         प्रररत करता ह।
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