Page 30 - चंदन वाणी - बेंगलुरु क्षेत्रीय कार्यालय की पत्रिका
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         कसचकल फॉल्स
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         भारत का सबस ऊचा िलप्रपात
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         उडपी वज़ल में अगब र्ाट क े पास ल्कस्थत कवचकल फॉल्स भारत का सबस   े
         ऊ ँ चा िलप्रपात है, विसकी कल ऊचाई लगभग 1,493 फीट है। वराही
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         नदी से वनवमत यह प्रपात वषा ऋत में ववर्ष ऱूप से र्ानदार वदखाई दता
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         ह। आसपास का हरा-भरा वषावन और र्ात वातावरण इस प्रकवत प्रवमयों
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         और साहवसक यावत्रयों क े वलए स्वग बना दता ह।
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         सशवनिमद्र – कावरी पर जड़वा झरन     े
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         माड्या वज़ल में ल्कस्थत वर्वनसमद्र, कावरी नदी से ववभावित होकर चट्टानी
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         द्वीप क े चारों ओर बहन से बन िड़वा झरनों – गगनचक्की और भरचक्की
         – क े वलए प्रवसि ह। यह स्थान कवल प्राकवतक सौंदय ही नहीं, बल्कि
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         ऐवतहावसक दृवष्ट् से भी महत्वपण ह। यहीं 1902 में एवर्या का पहला
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         िलववदयत कद्र स्थावपत हुआ, विसन कोलार गोल्ड फील्डस को वबिली
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         उपलभॎध कराई।
         श्रवणबलगोला – आध्यात्मिक िरोिर
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         श्रवणबलगोला ववश्व क े सबस पववत्र िन तीर्ों में से एक ह। इसकी पहचान
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         57 फीट ऊची भगवान गोमतश्वर बहुबली की एकाश्म प्रवतमा से है, विस    े
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         981 ईस्वी में एक ही पत्थर से तरार्ा गया र्ा। हर 12 वष में यहा भव्य
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         महामस्तकावभषक उत्सव मनाया िाता है, विसम दर्-ववदर् से श्रिाल      ु
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         आत ह।
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         उडपी श्री कष्ण मत्मन्दर
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         उडपी श्री कष्ण मल्किर, भारत क े कनाटक राि क े उडपी र्हर में ल्कस्थत
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         कष्ण और द्वत मठ को समवपत एक प्रवसि ऐवतहावसक मल्किर है । इस
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         मठ की स्थापना 13वीं र्ताब्दी में हुई र्ी । इस ववग्रह को प्रारभ में पव श
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         वदर्ा में रखा गया र्ा । इस मठ में एक ववधॎयार्ी कनकदास र्ा। कहा िाता
         है वक कनकदास द्वारा प्रकट की गई गहन भल्कक्त क े कारण, द ेवता
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         पविमावभमख (पविम की ओर मख करक) हो गए र्े । कनकन वकडी
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         (ल्कखड़की) क े माध्यम से ववग्रह क े दर्न वकया िा सकत हैं । आि तक
         यही प्रविया अपनाई िाती है ।
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