Page 53 - पूर्वांचल - गुवाहाटी क्षेत्रीय कार्यालय की पत्रिका
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हित्रीपाुरा काा ‘झीील महल’, नाीर-महल
महोले देो भाागुं मं निवंभाानिजते होै। महोले क पनि�मी निहोस्से को अंदेरा महोले
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क �ाम से जा�ा जातेा होै। इसे शाहोी परिरावंारा क निलेए बं�ाया गुया
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थाा। पूवंी निहोस्से मं एक ओंप�-एयरा निथाएटीरा होै जहोा महोारााजाओंं औरा
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उ�क शाहोी परिरावंारां क आ�ंदे क निलेए �ाटीक, रांगुमंच, �ृत्य औरा अन्य
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सांस्कृनितेक काय�म आयोनिजते निकए जाते था। महोले मं क ु ले 24 कमरा े
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श्रीी रााणीा देवंबंम� �ीरामहोले क अंदेरा देो सीनिढ़या हों जो रुद्रसागुरा झीले क पा�ी परा उतेरा� े
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प्रबंंधकु (आई टी), हडकुो निवंकुासं कुायालय, आगरातला क निलेए �ीचे जातेी हों। महोारााजा ‘रााजघााटी’ से होाथा से चले� वंालेी �ावं
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से महोले मं जाते था। छेते परा, महोले मं भााराते क सबंसे खूबंसूराते छेते
�ीरामहोले का शानिब्देक अथा होै जले महोले। यहो स्थाा� रुद्रसागुरा झीले वंाले बंगुीचं मं से एक होै, होालेानिक खरााबं राखराखावं औरा पयटीकं क
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क बंीच मं निस्थाते एक सुंदेरा शाहोी होवंलेी होै जो अगुरातेलेा से 53 निकमी संपक मं कमी क कारार्ण सुंदेरातेा औरा वंभावं म कमी आई होै।
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देनिक्षर्ण मं होै। नित्रीपुराा का ‘झीले महोले’ शाहोी परिरावंारा क ग्रेीष्मकालेी�
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नि�वंास क रूप मं बं�ाया गुया थाा। ‘मानिर्णक्य रााजवंंश’ क महोारााजा होरा साले अगुस्ते क महोी� मं स्थाा�ीय लेोगुं द्वााराा �ीरामहोले जले
बंीरा निबं�म निकशोरा महोोत्सवं �ामक एक
मानिर्णक्य देेबंबंमा, उत्सवं म�ाया जातेा
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निजन्हों आज देुनि�या होै। यहो उत्सवं 3 निदे�ं
मं देूसराा सबंसे लेंबंा तेक चलेतेा होै औरा
बंचा होुआ रााजवंंश शाम को कई रांगुारांगु
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मा�ा जातेा होै, � े सांस्कृनितेक काय�म
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1921 मं इस महोले औरा काय�म होोते े
का नि�मार्ण करावंाया हों। �ीरामहोले जले
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थाा। महोोत्सवं का एक
आकषा�र्ण झीले मं
1921 मं, महोारााजा � े होो� वंालेी �ावं देौड़े
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निब्रानिटीश क ं प�ी मानिटी� होै। प्रनितेयोनिगुतेा मं
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एंड बंन्स� को रुद्रसागुरा झीले क बंीच मं एक अ�ोखा जले महोले बं�ा� े निवंनिभान्� प्रकारा की �ावंं भाागु लेतेी हों। इसक अलेावंा, उत्सवं क देौराा�
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का काम संपा। झीले महोले को महोारााजा क खुदे क निवंस्तेृते नि�देेशं तेरााकी प्रनितेयोनिगुतेा भाी आयोनिजते की जातेी होै।
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क अ�ुसारा निडजाई� औरा बं�ाया गुया थाा औरा इसमं निहोंदेू औरा मुगुले
स्थाापत्य शैलेी का निमश्रृर्ण निकया गुया थाा। संगुमरामरा औरा बंलेुआ पत्थारा *****
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का बंड़े पमा� परा इस्तेमाले निकया गुया थाा औरा आज भाी, बंालेक�ी,
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टीावंरा, मंडप औरा पुलें की प्रचुरातेा सबंसे अलेगु होै। देूरा से निदेखाई देे� े
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वंालेी गुुंबंदे क आकारा की मी�ारा भाी �ीरा महोले को निकले जसा रूप
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देेतेी हों। कहोा जातेा होै निक इस महोले को बं�� मं �ौ साले लेगुे था। े
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यहो महोले भााराते मं अप�ी तेराहो का सबंसे बंड़ेा औरा पूवंी भााराते मं
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एकमात्री होै। भााराते मं कवंले देो जले महोले हों, देूसराा रााजस्थाा� मं जले
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महोले होै। होालेानिक, बंादे वंालेा �ीरामहोले से आकारा मं काफीी छेोटीा होै।
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