Page 58 - पूर्वांचल - गुवाहाटी क्षेत्रीय कार्यालय की पत्रिका
P. 58
देेह हिवाचुार गुीती
गद्युा�ुवंादे
ओं होरिरा निवंधातेा का निलेख�
ओं होरिरा �रा का निवंधा� ।
�
श्रीीमती रााया देासं ठाकु ु रिराया कोई राहोे अंधक ु प मं
एमटीएसं कोई महोासुख मं
े
े
कोई पड़े क �ीचे राहोतेा पड़ेा
असनिमया लेोक जीवं� मं प्रचनिलेते ‘देेहो निवंचारा’ क गुीते एक निवंशेषा ओं होरिरा निवंधातेा का निलेख�
े
े
े
े
प्रकारा क आध्यानित्मक गुीते होोते हों। य गुीते मा�वं जीवं� क गुहोरा े ओं होरिरा �रा का निवंधा� ।
े
निसद्धांतें औरा देाश�नि�क निवंचारां को व्यक्त कराते हों। देेहो (शराीरा)
े
निवंचारा क गुीतें का मुख्य उद्देेश्य लेोगुं को जीवं� की साथाकतेा औरा एक होी निवंधातेा � े
े
�
आध्यानित्मक मुनिक्त का मागु� निदेखा�ा होै। देो देो पुत्री निदेए
ं
इ� गुीतें की उत्पनित्त प्राची� काले मं होुई थाी। इ� गुीतें का मुख्य एक घाुमे आसमा� म, निवंमा� मं
�
�
े
स्रोोते ‘चयापदे’ हों। चयापदे एक प्रकारा क बंौद्ध भाज� हों। इ� भाज�ं देूसराा धूप मं बंारिराश मं
े
मं आध्यानित्मक निवंचारा औरा देेहो क निसद्धांते की व्याख्या की गुई होै।
े
े
पंद्रहोवंं औरा सोलेहोवंं शतेाब्देी से, य देेहो निवंचारा क गुीते वंैष्र्णवंवंादे भाीख मांगुकरा देरा देरा मं
से प्रभाानिवंते होुए था। े ओं होरिरा निवंधातेा का निलेख�
े
य गुीते आमतेौरा परा सराले भााषाा मं निलेखे जाते हों। गुीतें क निवंषाय- ओं होरिरा �रा का निवंधा� ।
े
े
े
े
शराीरा, आत्मा, परामात्मा औरा संसारा क भ्रम आनिदे हों। गुीतें क सुरा
वंैरााग् य की भाावं�ा व्यक्त करातेी होै। गुीतें मं निवंनिभान्� रूपकं, उपमाओंं औरा ब्राह्मांड क भाीतेरा
े
े
औरा निबंम्बंं का उपयोगु निकया जातेा होै। निहोंदेी मं भाी कबंीरादेास क
े
ै
े
भाज�ं मं कहों कहों ऐसी होी निवंशेषातेाएं देेख� को निमलेतेी हों, जसे- देो फी ू ले निखले हों
े
य
दुलोभा मानाुषा जेनाम हाै, देहा ना बाराम्बारा, एक समय से पहोले मुराझा गुया
े
े
े
तरुवारा ज्यां पं�ा झड़े, बहाुरिरा ना लोागांे डॉारा। रााहो चलेते लेोगुं � उसे क ु चले निदेया
ओं होरिरा निवंधातेा का निलेख�
े
ै
े
े
उपराोक् ते क परिराप्रक्ष् य मं, गुरा-असमीयाभााषाी पाठकं की समझ क निलेए
�
े
�ीचे श्रृीमतेी राया देास ठाक ु रिराया द्वााराा निलेनिखते देेहो निवंचारा क गुीते का ओं होरिरा �रा का निवंधा� ।
गुद्योा�ुवंादे सनिहोते देेवं�ागुराी निलेप् यंतेरार्ण भाी प्रस् तेुते निकया जातेा होै।
58

