Page 61 - पूर्वांचल - गुवाहाटी क्षेत्रीय कार्यालय की पत्रिका
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             भारती का े  पावाोत्तर क्षेेत्री मं राजभार्षा हिहन्देी : हिवाकाासं और संहिक्रयतीा


                                                                         �
                                                                 अप� काय क प्रनिते लेगुावं, नि�ष् ठा औरा निमश�राी निस्परिराटी तेथाा इस
                                                                     े
                                                                           े
                                                                           े
                                                                 प्रनितेयोनिगुतेा क युगु मं बंहोुते होी कठोरा परिराश्रृम से निमलेी रााजभााषाा की
                                                                 �ौकराी। पूवंोत् तेरा क निलेए यहो शुभा संकते होै निक रााष् ट्री की मुख् यधाराा
                                                                               े
                                                                                              े
                                                                                                 े
                                                                 मं ऐसे अ�क निहोन् देीतेरा ज�जानिते समूदेाय क युवंा शानिमले होो गुए हों
                                                                         े
                                                                      े
                                                                                                           े
                                                                                                                �
                                                                               े
                                                                 निजन् हों� कभाी पहोले सोचा होी �हों थाा निक उन् हों इस प्रकारा क काय करा�  े
                                                                 का भाी मौका निमलेेगुा।
                                                                 भााराते सराकारा  की सनि�यतेा औरा अनिधकारिरायं औरा कम�चारिरायं मं
                                              श्रीी रााणीा मोसंाहाराी,
                                                                                           े
                                                                                                                  े
                                          वंरिरा. प्रबंंधकु (संनिचंवंीय)  आए भाानिषाक औरा रााष् ट्रीीय जागुरार्ण क फीलेस् वंरूप ‘क’ औरा ‘ख’ क्षत्रीं
                                                                            े
                                                                 की तेराहो ‘गु’ क्षत्री मं भाी कायान् वंय� का परिरार्णाम अंतेोषाज�क कदेानिप
                                                                                       �
           भााराते मं सांस् कृनितेक, भाानिषाक औरा भाौगुोनिलेक निवंनिवंनिधतेा का एक  �हों होै। होॉं, आ�ुपानितेक रूप से कम जरूरा होै। होालेांनिक, तेस् वंीरा के  देूसराे
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                                                   े
           मात्री क्षत्री होै- पूवंोत् तेरा प्रांते । एक समय असम रााज् य क �ाम से ख् याते  पहोलेू परा भाी होम आगुे एक �जरा अवंश् य डालेंगुे। तेथाानिप, इस निवंशाले
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                                                       े
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           वंतेमा� यहो आठ रााज् यं का संगुम होै। असम क अनितेरिराक् ते य रााज् य हों-  क्षत्री को रााजभााषाारूपी डोरा से बंाँध�े का प्रयास धीराे-धीराे सफीलेतेा की
                                                                  े
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           अरूर्णाचले प्रदेेश, �ागुालेड, मनिर्णपुरा, निमजोराम, मेघाालेय,नित्रीपुराा औरा  ओंरा बंढ़ राहोा होै।
           निसनिक्क्म।
                                                                                                              े
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           ज�संख् या क अ�ुपाते मं, प्रचनिलेते भााषााओंं औरा निलेनिपयं की संख् या से   निहन् देी प्रनिशक्षणी: निहोन् देीतेरा भााषाी रााज् यं मं रााजभााषाा निहोन् देी क रूप मं
                                                                                       ै
                                                                 निहोन् देी भााषाा संबंंधी प्रनिशक्षर्ण, जसे- प्रबंोध,प्रवंीर्ण औरा प्राज्ञ की व् यवंस् थाा
           पूवंोत् तेरा मं भाानिषाक निवंनिवंधतेा का अ�ुमा� सहोज होी लेगुाया जा सकतेा   एक महोत् वंपूर्ण� परिराकल् प�ा होै। इस योज�ा क तेहोते निहोन् देी � जा��वंाले  े
                                                                                                े
                                                                                                                े
           होै। आठं रााज् यं मं अभाी कम से कम 125 से भाी ज् यादेा बंोनिलेयॉं बंोलेी   कन् द्रीय सराकारा क कम�चारिरायं को निहोन् देी सीखा� की व् यवंस् थाा पहोले  े
                                                                              े
                                                                  े
                                                                                                     े
           जातेी हों तेथाा मुख् य औरा परिरामानिज�ते भााषाा क रूप मं असनिमया, बंांगुलेा,   क मुकाबंले काफीी मजबंूते बं�ी होै। जहोां तेक इसक निवंस् तेारा की बंाते
                                          े
                                                                                                      े
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                                                                         े
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           मनिर्णपुराी, �पालेी, अंग्रेेजी औरा निहोन् देी का प्रचले� सवंानिधक होै।  होै अबं इसक छेोटी-बंड़े कन् द्र अथावंा एक या देो प्राध् यापकीय कन् द्र
                                                   �
                                                                                    े
                                                                                  े
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           समग्रे पूवंोत् तेरा मं अभाी तेक 1000 से भाी अनिधक छेोटी-बंड़े कन् द्रीय  असम के  अनितेरिराक् ते अन् य रााज् यं, जसे- नित्रीपुराा, अरूर्णाचले, मेघाालेय
                                                          े
                                                        े
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           सराकाराी कायालेय स् थाानिपते हों, निज�मं बंकं वं इंसुरास कम्‍ पनि�यं की  मं भाी खुले गुए हों। मनिर्णपुरा, निमजोराम औरा �ागुालेंड रााज् यं मं भाी इ�की
                                                  ं
                                         ं
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                                                                    े
           शाखाएं,  सावं�जनि�क  उप�म,  अधी�स् था  कायालेयं,  ऑटीो�ोमस  अपक्षाएं बंहोुते हों। इसनिलेए इसे औरा अनिधक निवंस् तेारा निदेया जा�ा ज् यादेा
                                                �
           संगुठ� भाी शानिमले हों (।  इ�क अनितेरिराक् ते, कन् द्रीय निवंश् वंनिवंद्योालेयं,  उनिचते प्रतेीते होोतेा होै।
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                                                ँ
           कन् द्रीय  निवंद्योालेयं,  सैनि�क  बंलें  की  टीूकनि � डया,  पूर्ण�ते:  तेक�ीकी   निहन् देी  आशुनिलनिर्पो/टंकुणी  प्रनिशक्षणी:  निपछेले  बंीस वंषां मं  काफीी
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                                                                                                    े
           कायालेय भाी इस क्षत्री मं कायराते हों। भााराते सराकारा क नि�देेश से स् थाानिपते   तेादेादे मं निहोन् देी मं आशुनिलेनिपक औरा टींककं का प्रनिशक्षर्ण पूराा करा
                                �
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           होो� क कारार्ण इ� कायालेयं परा भाी भााराते सराकारा की रााजभााषाा �ीनिते   निलेया गुया होै। परांतेु अन् य रााज् यं क कम�चारिरायं को इससे फीायदेा �हों
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                                                                                          े
           भाी समा� रूप से औरा पूर्ण�ते: लेागुू होोतेी होै।
                                                                 निमले राहोा होै। असम क गुुवंाहोाटीी मं निहोन् देी निशक्षर्ण योज�ा का जो टींकर्ण/
                                                                                े
           जसा निक होम सबं यहो जा�ते हों निक जबंसे रााजभााषाा निवंभाागु बं�ा तेबंसे  आशुनिलेनिप प्रनिशक्षर्ण के न् द्र होै। उससे गुुवंाहोाटीी औरा उसके  आसपास
            ै
                                े
           निहोन् देी क कायान् वंय� क निलेए ठोस सराकाराी प्रयास शुरू होुए। होालेांनिक  के  कम�चाराी तेो लेाभाानिन्वंते होो राहोे हों परांतेु आइजोले या आगुरातेलेा
                      �
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           इससे पहोले भाी निशक्षा मंत्रीालेय क अधी� यहो काय चले राहोा थाा, परांतेु  के  कम�चाराी उससे वंंनिचते भाी होुए हों। ऐसा महोसूस निकया गुया होै निक
                                                �
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           इसमं उते�ी गुनितेशीलेतेा �हों थाी निजते�ी निपछेले पच् चीस वंषां मं देेखी  इ� के न् द्रं का निवंस् तेारा कम से कम सभाी रााज् यं की रााजधानि�यं तेक
                                              े
           गुई होै। यहो गुनितेशीलेतेा निपछेले देस वंषां से औरा अनिधक सनि�य होुई  स् थाायीरूप से होो�ा आवंश् यक लेगुतेा होै।
                                  े
           होै। इसक मूले मं कारार्ण यहो होै निक रााजभााषाा क प्रचारा-प्रसारा की निदेशा   कुायालयं  कुी  संंराचं�ा:  पूवंोत् तेरा  क्षत्रीमं  निस्थाते  क  अनिधकतेरा
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           मं उभाराते होुए, सनि�य औरा बंुनिद्धशीले युवंा अनिधकारिरायं का प्रवंेश।   कायालेयं की संराच�ा आंचनिलेक स् तेराीय हों। क्षत्री मं मुख् य कायालेयं
                  े
                                                                     �
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