Page 53 - आवास ध्वनि - सातवाँ अंक
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आवास   न
               2025-26








                                                    न  य और योग
                                                       ृ

                                                                                    ृ
                  ृ
                                          ै
                                               े
                न  य  एक  ज  मजात    तभा  ह   जस  अ भ  य    क          मनोरंजन:  -  न  य  एक  लोक  य  मनोरंजन  का
                                  े
                एक  सव तम   वधा  क   प  म  जाना  जाता  ह  ।  हमारी     साधन ह ।
                                                                              ै
                                                     ै

                                                                                                          ृ
                             ै
                        ृ
                 ाचीन  न  य  श लय   एक  अम  य  सा  क तक  धरोहर         धा म क  और  सां  क तक  अन  ठान:-  न  य  का
                                                                                                 ु
                                          ू
                                                                                        ृ
                                                ं
                                                  ृ
                     े
                       ृ
                            ै

                                                     े
                                                                                               े
                  ै
                ह । य न  य श लय  हम हमारी पर  पराओं स जोड़ कर           उपयोग   ाचीन  काल  स  ही  धा म क  और
                                                                                    ु
                                                                         ं
                                                                            ृ

                रखने  मे  सहायक   ई  ह   ।  चाहे  उ  साह  से  भरा  भांगड़ा  सा  क तक अन  ठान  म  कया जाता ह ।
                                                                                                       ै
                  ृ
                                                         ं
                                                                                         ृ
                                             ृ
                न  य  हो,  या  मनमोहन  बल  न  य,  या  रोमा टक          सामा जक उ  सव:- न  य सामा जक उ  सव  और
                                          े
                                        ै

                                                         ं
                                                                                                  ै

                                                                                              ं
                                 ृ
                सालसा-य  सभी  न  य  अनठ  ह  और  हम  आनद  स   े         समारोह  का एक अ भ  न अग ह ।
                         े

                                        ू
                              ै
                                         े
                           े
                             े
                                           े
                                 ृ
                                                                                               ृ
                 वभोर कर दत ह। न  य करन स तन   व    य रहता ह, ै        कला  मक  अ भ  य  :-  न  य  एक  कला  मक
                                                                                         ै
                मन   स  न  हो  जाता  है  और  हम   तनाव  से  राहत  भी   अ भ  य    का   प  ह,जो  भावनाओं  और   वचार
                                                                                     े
                 दलाता ह।                                              को   य  त करन का एक श  शाली तरीका ह।
                                                                                                             ै
                        ै

                                                                                          े
                                                                                    ृ
                                                                                         ै
                  ृ
                न  य योग, शारी रक   यायाम व सास क    याओं का        भारतीय शा   ीय न  य जस  क भरतना यम, कथक,
                                             ं
                                                                                                   ु
                                                                                  ु
                    ू
                                                           ं
                              ै
                                                                              ु
                अनठा  म ण ह जो शरीर को   व    य व मन को शात         कथकली,  क चपड़ी,  ओ डसी,  म णपरी,  स  या  और
                                                                                                 ं
                                                                                           ृ
                रखने म  सहायक है । इससे शरीर लचीला व आकष क          मो हनीअट म  अपनी  सम   सा  क तक   वरासत
                                                                                                   ृ
                बनता है । इस लए कहा जाता है “योग एक  कार का         और कला  मक उ  कृ   टता के   लए जाने जाते ह  ।
                               ृ
                                   ै
                धीमी  ग त  का  न  य  ह  जो  शरीर  क   आव  यकता  क े
                समय अ धक श   व  मता  दान करता ह” ।
                                                    ै

                                             ै
                यह  एक  कला  मक  ग त व ध  ह   जसम  शरीर  क
                लयब   ग त व धय   का  उपयोग   कया  जाता  ह,  ै
                आमतौर पर संगीत के  साथ नृ  य का उपयोग  व भ  न
                उ े  य  के   लए  कया जाता है जैसे :-
                                                                    लोक न  य
                                                                          ृ

                                                                    न  य  मानवीय  अ भ  य  य   का  रसमय   दशन  ह। ै
                                                                     ृ
                                                                    भारतीय    यौहार   म  अलग-अलग   ात  क  लोग
                                                                                                          े
                                                                                                     ं


                                                                      यौहार  एव शादी  ववाह म अपनी  स  नता, गीत और
                                                                             ं
                                                                                                  े
                                                                    न  य क मा  यम स ही  द श त करत ह जो हम जीवन
                                                                         े
                                                                     ृ
                                                                                   े



                                                                          े
                                                                                          े

                                                                                           े
                                                                                     े
                                                                    म  आग  बढ़न  क    रणा  दत  ह  और  हमारे  मा न सक
                                                                               े
                                                                       ु
                                                                    सतलन को बनाए रखत ह ।
                                                                     ं
                                                                                       े


                                                                                                   े
                                                                   अत: न  य हम अपन  च तनशील मन स म  त करता ह,
                                                                                   े
                                                                                                     ु
                                                                         ृ
                                                                               ू
                                                                                       े
                                                                     य  क हम परी तरह स अपन आप म  वलीन हो जात    े
                                                                                            े


                                                                                                              े
                                                                   ह  और  साथ  ही  उस  भावना  का   वकास  भी  करत  ह
                                                                    जस यनानी लोग “ए    टो सस” कहत ह, या न खद स  े

                                                                       े
                                                                         ू
                                                                                                            ु
                                                                                                   े
                                                                                             े
                                                                                     े
                                                                            े
                                                                   और अपन रोजमरा क जीवन स बाहर  नकलना ।

                                                                                                          सनीता
                                                                                                           ु
                                                                                       व र. ब  धक (आई.टी.), हडको
                                                                                                                 53
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