Page 58 - आवास ध्वनि - सातवाँ अंक
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आवास   न
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                                                अनवाद क     या
                                                       ु

                अनवाद एक ज टल और कला क    या ह  जसम                करता ह, तब अनवाद मौ लक लगता ह।  ोत पाठ क
                                                       ै
                    ु
                                                                                  ु
                                                                          ै
                                                                                                    ै
                                                                                                               े

                                            े
                एक  भाषा  ( ोत  भाषा)  म   लख  गए  पाठ  को  दूसरी   व षण म पाठ को  ोतभाषा क  सरचना तथा व
                                                                        े
                                                                                                  ं

                                              े

                भाषा  (ल   भाषा)  म  इस  तरह  स  प रव त त   कया     वषय  क   र  पर  समझना  होता  ह।  पाठ  क  स श
                                                                          े
                                                                                                         े
                                                                                                 ै
                                                                                                              े
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                       ै


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                                     ै
                जाता  ह   क  मल  अथ,  शली  और  सदभ  बरकरार  रह। े  तक प चन क  लए इन  र  का उ  ाटन आव क
                                                                               े
                                                                          ं
                                                                             े
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                                               े
                यह  कवल  श    को  एक  भाषा  स  दूसरी  भाषा  म      होता ह।    क पाठ का अथ ही नह , उसका अ भ ाय
                                                                         ै

                                                        ृ
                                       ै
                      े
                                                     ं
                बदलन  का  काम  नह   ह,  ब    यह  सा  तक,           भी  भा षक  अ भ     और  उनक   व ास  म   छपा

                                                                                                े
                                                        े
                सामा जक  और  भाषाई  बारी कय   को  समझन  और         होता  ह।  अथ  और  अ भ ाय  कभी  सकत   म  तो  कभी
                                                                                                   े

                                                                                                 ं

                                                                         ै
                उ   सही ढंग से   ुत करने का एक  यास है। कहना       सरचना  म  और  कभी-कभी   योग  तथा   जना  म
                                                                     ं

                                                                                                         ं

                               ु
                                                        ै
                                         ृ
                न  होगा   क  अनवाद  एक  सजना क  काय  ह  और          न हत  होत  ह।  अतः  इ   समझन  क   लए  पाठ  का
                                                                             े


                                                                                                े
                                                                                                  े
                इसम  अनुवादक क  भू मका अ   मह पूण  होती            पठन-मनन आव क होता ह, तभी अनवाद हो पाता
                                                                                             ै
                                                                                                     ु
                ह। उस एक ही समय म पाठक, भाषा  व षक,  वषय           ह जस  :-

                                                   े
                      े
                  ै
                                                                    ै
                                                                        े
                                                                       ै
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                                             ँ
                 वशष  तथा   भाषी क  भ मकाए  नबाहनी पड़ती ह।
                                                                          े
                                                                                                        ु
                फल  प,  उसक   भू मका  ब आयामी  होती  है।               (रमश  पर  बदलाव  का)  रंग  चढ़ना-धन  सवार
                इस लए  अनुवादक  से   ोत  और  ल -दोन   भाषाओं           होना।
                                                                         ु
                                                                                  े
                                                                                     े
                                              ै
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                            े
                क  मम   होन  क     अप ा  होती  ह।     क  य  सारी       (प लस को दखत ही चोर का) रंग उतरना हत भ

                                                          ु
                                                     ँ
                 मताए  अथवा  इनस  स   त  अ मताए  अनवाद                 होना, डरना।
                                   े
                      ँ
                                                                                         े
                                                                                                           ु

                                                                                     े


                क     या को  भा वत करती ह और अ तः इनका                 (कायकता का नता क) रंग म रंगना- अनयायी

                अ ा-बरा  असर  अनवाद  म   दखाई  दन  लगता  ह। ै          होना, आ ावान होना।

                                                   े
                        ु
                                                  े
                                   ु
                                                                         े
                शायद  इसी लए  अनवाद  को  भाषा   वहार  क   एक           (नता  का  बार-बार)  रंग  बदलना-  दलगत,
                                  ु
                                                                                          े
                                                                        ै
                सजना क    या भी माना गया।                              वचा रक आ ा बदलत रहना।
                  ृ
                                                                                      ं
                                                                                                   ै


                                                                       (सभा म) रंग म भग होना- व  पदा होना।
                    ु
                अनवाद क     या क चरण                                श ावली और अनसधान
                                  े
                                                                                   ु
                                                                                     ं
                              ु
                                             े
                                                     ु
                एक  सफल  अनवाद  कई  चरण   स  होकर  गजरता  ह। ै      एक बार जब अनवादक पाठ को समझ लता ह, तो वह
                                                                                                          ै
                                                                                                      े
                                                                                  ु
                यह     या,  चाहे  वह  मानव   ारा  क   जाए  या  मशीन
                                                                    अनुवाद के   लए आव क श ावली और तकनीक
                      ु
                 ारा, कछ  न  त चरण  का पालन करती ह: ै               श   का पता लगाता ह। यह चरण  वशष  प स तब
                                                                                        ै
                                                                                                            े
                                                                                                     े
                                                                    मह पूण   होता  है  जब  पाठ   कसी   व श    े   (जैसे
                                                                                                   ं
                                                                                                 े
                                                                                ू
                                                                                                    ं
                 ोत पाठ का  व षण                                     च क ा, कानन या  ौ ो गक ) स सब धत हो।
                                े

                                          ू
                       ु
                                                        ु
                                                   ै
                                   े
                यह  अनवाद  का  सबस  मह पण  चरण  ह।  अनवादक
                को  पहल  मल  पाठ  को  गहराई  स  समझना  होता  ह। ै
                                             े
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                           ू
                इसम  के वल शा  क अथ  ही नह , ब   लेखक का
                इरादा, ल  त पाठक वग, पाठ का टोन और शली भी
                                                       ै


                         ै
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                शा मल  ह।  अनवादक  को  पाठ  म  मौजद  महावर ,
                कहावत , सां ृ  तक संदभ  और तकनीक  श ावली

                                  ै
                को पहचानना होता ह। य द पाठ म कोई अ  ता ह,   ै
                      े
                                                       े
                तो  उस  दूर  करन  क   लए  शोध  या  लखक  स  सपक
                               े
                                 े
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                                                         ं
                                                     े
                करना पड़ सकता ह। जब अनवादक श   क आवरण
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                                 ै
                को भदकर स  भावनाओं क  र पर प चता ह और
                                                         ै
                                         े
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                                                    ँ
                वहाँ  से  अपनी  भाषा  म   अ भ    होने  का   य
                                                                                                                 58
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