Page 63 - आवास ध्वनि - सातवाँ अंक
P. 63

आवास   न
               2025-26








                                                     ताना - बाना





                                                                                             े
                            े
                                                                                                  ँ

                                                                                                       े
                                                                                       ु
                ता रणी  अपन  18व  ज  दन  क   लए  अ  धक             शाम  को  ता रणी  क   कछ  सह लया  उसक  घर  आ ।
                                             े
                उ ा हत थी। यह भावना अलग ही थी - अब वह ब ी          उसके   माता- पता  ने  के क  और  ना े  क    व ा
                                               े
                                                                                                    े
                                   ु

                                                                          े
                नह  कहलाएगी, अ पत वय  क   णी म शा मल हो            पहल  स  ही  क   कर  ली  थी।  फल   स  सजा  उसका
                                                                                              ू
                                                                       े
                                     े
                   े
                                                                         ं
                                                                                            े
                                                                                े
                                                                                                    े
                                                ू
                                                                                               े
                सकगी।  अब  वह  वोट  द  पाएगी,   टी,  गाड़ी  चला     मनपसद   ॉबरी और चॉकलट कक दखकर ता रणी
                          ँ
                                                                        ुँ
                                                                                                     े
                पाएगी, जहा मन करेगा, वहा जाएगी, जो मन करेगा,       क मह म पानी आ गया और अपनी सह लय  स बात
                                         ँ

                                                                     े
                                                                                                            े
                वह करेगी। उसे ऐसा  तीत हो रहा था मानो उसे एक       कर उसका चहरा  फर स  खल उठा। कक और ना ा
                                                                                                   े
                                                                                        े
                                                                              े
                 तजोरी  क   चाभी   मल  गई  हो,   जसम    दता  थी,   खाकर  सह लय   न  ता रणी  को  अपन-  अपन  उपहार
                                                                                                   े
                                                                                   े

                                                                                                         े
                                                                            े
                                                      ं
                                                                                               े
                अ धकार थे। ता रणी के  पैर  म  तो पंख ही लग गए।      दए  और  उसस  उसक  प रवार  क  उपहार   क  बारे  म
                                                                                े
                                                                                     े
                                                                                                        े
                                                                                                  े
                                                                                         े
                                                                     ू
                                                                                 े
                                                                   पछा।  ता रणी  न   झझकत   ए  अपन  उपहार   दखाए।
                            ँ


                हर वष क  भा त, इस वष भी ता रणी क माता -  पता
                                                 े
                                                                   सभी ने उपहार  क  भू र - भू र  शंसा क  पर ता रणी
                                   ु
                न  ज    दवस  क   सबह  प डत  जी  को  घर  बला  कर
                                                      ु
                                       ं
                  े
                                                                                                       े
                                                                   को सबस अ धक आ य तब  आ, जब सबन  एक मत
                                                                           े

                  ू
                                         े
                                                        े
                पजा  करवाई।   फर  प रवार  क  सभी  सद    न  खीर
                                                                               े
                                                                                                           े
                                                                                     ं

                                                                                                              े
                                                                     े
                                                                                   े
                                                                   स   ो शए  स  बन  हस  को  सभी  उपहार   म  स
                                           े
                           े
                                                        ँ
                खाई और उस उपहार  दए। मा न ता रणी को चादी क
                                         ँ
                                                                   घो षत  कया।
                चौड़ी, घघ  स लदी पायल दी,  पताजी न पचास हज़ार
                                                  े
                       ुँ
                            े
                 पए  क   एफ  डी  क   रसीद  दी,  छोटी  बहन  ता ा  ने  त ारी दादी जी क हाथ स बन  खलौन  का तो जवाब
                                                                                         े
                                                                                  े
                                                                                             े
                                                                     ु

                                                                                        े
                                                                                                          े
                एक  काड  बना  कर   दया  और  उसक   दादी  जी  न े    ही नह  ह, त ।  द ा न कहा। “पता ह,  पछल महीन  े
                                                                           ै
                                                                                                   ै

                                                                                  े
                                                       ु
                          े
                                               ं
                                                                     े
                                            े
                                                                          े
                                         े
                 ो शया  स  बना  एक  छोट-स  हस  का  मलायम           मरे मौसरे भाई क  लए म भी ऐसा  खलौना ढूँढ़ रही

                                                         ँ

                 खलौना  दया। “ ा दादी जी, अब म बड़ी हो गई  , पर     थी। बाज़ार म तो ऐसा  मलना असभव ही था, तो मन   े
                                                                                                ं

                आप  अभी  भी  मुझे  ये  ब    वाले   खलौने  दे  रही  ह ।”  ऑनलाइन  ढूँढ़ा।  एक  वबसाइट  पर  इसी  तरह  क े
                                                                                         े
                                                                          े
                           ुँ
                                 े
                ता रणी न मह बनात  ए कहा।                            खलौन  पता  ह,   कतन  क   मल  रह  थ?  सर भ  न े
                        े
                                                                                                          ु
                                                                                                   े
                                                                                          े
                                                                                                      े
                                                                                        े
                                                                                ै
                                                                                              े
                                                                                     ू
                                                                                   े
                                                                                                       े
                                                                   अपनी सह लय  स पछा।  कतन क? सबन एक  र
                                                                            े
                                                                                                े
                          ं

                                            े
                त ,  इस  हस  का   डजाइन  मन  एक  प  का  म  स े

                                                                   म  उ कता  स  पछा।  परे  एक  हज़ार  क,  सर भ  न े

                                                                                        ू
                                                                                े
                                                                          ु
                                                                                                      े
                                                                                                          ु
                                                                                   ू
                                    ं
                               ै
                दखकर बनाया ह और हस तो सर ती दवी का वाहन
                  े
                                                  े
                                                                                                         े

                                                                   नाटक य  प म बताया और व न तो इतन बड़ आकार
                                                                                            े
                                                                                                      े
                         ै
                              े
                भी  होता  ह,  इस  अपनी  पढ़ाई  क   टबल  पर  सजाना,
                                               े
                                                                                      े
                                                                     े

                                                                   क थ, और न ही इतन आकषक। मझ याद रहता  क
                                                                                                   े
                                                                                                 ु
                                                                        े
                सर ती  माँ  क   कृ पा  सदैव  बनी  रहेगी।  दादी  जी  ने
                                                                                      े
                                                                   त ारी  दादी  जी  इतन  अ    खलौन  बनाती  ह  तो  म
                                                                                                  े

                                                                     ु
                                                                                          े
                            ु

                                  े
                ता रणी को पचकारत  ए कहा। पर आप हर वष मझ      े
                                                           ु
                                                                                  े
                                                                                                            े
                                                                                        ँ
                                                                          े
                                                                   उ    स  बनवा  लती।  हा,  आजकल   ो शया  स  बन े
                                           े

                               े
                                         े
                ज  दन  पर  ऐस  ही   खलौन  दती  ह,  कभी  हाथी  तो

                                                                               े
                                                                    खलौन,  कपड़,  बग  आ द  वापस  फशन  म  आ  रह  ह।
                                                                                  ै
                                                                          े
                                                                                                             े
                                                                                                ै
                कभी  मछली।  मरा  कमरा,  कमरा  नह ,   च ड़या  घर
                               े

                                                                                                  े
                                                                                             े
                                                                   त ारी  दादी  जी  चाह  तो  अ -अ    नमाताओं  को
                                                                     ु

                अ धक लगने लगा है। ता रणी खीझते  ए अपने कमरे
                                                                                             े
                                                                           े
                                                                                               ं
                                                                   ट र  द  सकती  ह।”    च  न  हस  को  सहलात   ए
                                                                                                            े

                म चली गई।

                                                                   कहा।
                अपन हाथ  म ज  दन क उपहार दखकर उ ाह स         े     अपनी दादी जी क  कला क  सराहना सनकर ता रणी
                     े
                                      े

                                               े
                                                                                                    ु
                                                            े
                                                े
                 हलोर   खाता  उसका  मन   नराशा  स  भर  गया।  ‘मरे  का     कोण  भी  धीरे-धीरे  सकारा क  होन  लगा।
                                                                                                          े
                    े

                                                  ु
                           ू
                                                े
                                                           े
                                                                                               े
                इतन मह पण ज  दन पर  कसी न कछ भी  वशष                ा  त ारी  दादी  जी   ो शया  स  एक  बड़ा-सा  भालू
                                                                         ु
                                                                                                           े
                नह    दया।  माँ  ने  इतनी  भारी  पायल  दी  है,  जो  म   न  बना सकती ह ? पायल न पछा। मन एक अ भन ी क े
                                                                                          ू

                                                                                                 े

                                                                                         े
                कॉलज  म  पहन  सकती   ,  न  कह   घमन  जान  क े      घर क  फोटो म दखा था,  ा व उस जसा बना दगी ?
                                       ँ
                     े


                                                                                  े
                                                  ू
                                                     े
                                                                                              े
                                                                                                    ै
                                                          े

                                                                                                ँ
                समय  पहन  सकती   ।   पताजी  क   एफ  डी  म  कहा ँ   म दादी जी स पछकर ही बता पाऊगी।  ीज़ पछकर
                                                                               े
                                                                                 ू

                                                                                                           ू
                                   ँ

                                                    े
                                           े
                सजाऊ ? ता ा और दादी जी क बचकान उपहार तो            बताना। वे जो दाम कह गी मेरे माता- पता वह दे द गे।
                     ँ
                                                                       े
                                                                                         े
                                                                                                 े

                               े
                                                     े
                                                                                     े
                 कसी  को  बतान  यो   भी  नह   ह।  ’सोचत  -  सोचत े  मझ  बस  उसी  अ भन ी  क  जसा  टडी  चा हए।  पायल
                                                                     ु
                                                                                             ै
                           ँ
                ता रणी  आसी हो गई।                                 अपने अ धक धनी होने का सू  संके त देने का  य
                                                                                                                      63
   58   59   60   61   62   63   64   65   66   67   68