Page 64 - आवास ध्वनि - सातवाँ अंक
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आवास न
2025-26
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कर रही थी, पर ता रणी का मन को कह दूर भ व म हज़ार-हज़ार पए तक दन क लए तयार ह। अगर हम
अनजानी ऊचाइय पर वचरण कर था। सबको वदा आपके हाथ से बने खलौने ऑनलाइन बेच तो न
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कर ता रणी झट-स अपनी दादी जी क कमरे म गई। कवल आपक कला को सा रत कर सकग, ब
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दादी जी, मन आपक दए उपहार क लए जो अपश हम अ ा लाभ भी कमा सकत ह। ता रणी न अपना
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योग कए, उनके लए मुझे मा कर दी जए। आपक वचार कया। पर त , य ापार का झझट
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भावनाओं, आपक कला का तर ार करना मरी असान नह है। हमारे घर म कसी को इसका अनुभव
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ब त बड़ी भल थी। ता रणी क आख म ा न क े नह ह। तम अभी ब त छोटी हो और म बढ़ी हो रही , ँ
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स आस दख दादी जी न उस गल स लगा लया। हम ये कै से कर गे?
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फर दोन बड पर बठकर उपहार क बात करन लग ।
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आपको पता है दादी जी, मेरी सभी सहे लय को दादी जी, ापार करन क कोई उ थोड़ी होती ह, ै
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आपका बनाया हस ब त पसद आया। यहा तक क आव कता ह तो कवल ढ़ न य क । हम दोन को
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पायल तो आपस एक बड़ा-सा भालू भी बनवाना इस क ठन डगर पर सहयोग दन क लए एक साथी
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चाहती ह। ता रणी न बताया। अ ा? उसस पछना क भी ह - ए-आई। कहत ए तरंत ता रणी न अपनी जब
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तना बड़ा चा हए। म तो परा दन खाली बठी रहती , ँ स फोन नकला। अब य ए-आई भला कौन ह? इस े
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भालू तो म एक-दो दन म ही बना दूगी। एक-दो ही ापार का अनभव ह ा ? दादी जी न सर खजलात े
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दन म ? और य हस और बाक जानवर बनान म ए पछा। ए-आई, यानी क म मधा एक ऐसी
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आपको कतन दन लग थ? तकनीक ह, जो क टर को इसान क तरह सोचन े
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और सीखन क मता दती ह। इ मन क े
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य तो बस एक दन का काम ही था। य छोट आकार क े अनभव क आधार पर ही तयार कया जाता ह। यह
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खलौन बनान म अ धक महनत नह लगी। दादी जी हमारी मदद करेगा। आप देखते जाइए। ता रणी ने फोन
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न ार स बताया। ता रणी मन ही मन कछ गणना म ए-आई क ऐप खोली और उसम कहा, म अपनी
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करन लगी। "मतलब आप एक महीन म कम दादी जी क साथ ो शए स बनी व ओं का ापार
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स कम बीस खलौन बना सकती ह? हा, शायद। पर करना चाहती ँ। हम ापार का कोई अनुभव नह है,
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तम इतन खलौन का ा करोगी? वह म अभी ा तम हम एक ाई ापार श करन क
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बताती । आप पहल य बताइए क एक खलौना कायनी त बता सकत हो ? दादी जी समझन का यास
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बनान म आपका कतना खचा हो जाता ह? मन ऐस े कर ही रही थ क उ ने देखा क ता रणी के फोन म
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हसाब तो नह लगाया, मरे पास कई नए - परान ऊन कई ब दुओं स हत एक लबा-चौड़ा सदश लखा आ
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और धागे रखे थे, उ से बना लेती ँ। मोटा-मोटा भी गया।
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जोड़ तो प ीस-तीस या ब त तो पचास पए। इसस े
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अ धक खचा तो नह आता होगा। दादी जी न अदाज़ा य द खए। ए-आई न कतनी ज ी हमारी दु वधा हल
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लगाया। कर दी। म इन ब दुओं को एक कॉपी म लख लती ँ
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और हम एक-एक कदम ए-आई क सझाव क अनसार
ता रणी फर सोच म पड़ गई। वह मन म बड़बड़ान े उठाएँ गे। ता रणी ने एक खाली कॉपी म लखना शु
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लगी, बीस खलौन क लागत हो जाएगी एक हज़ार कया – सबस पहल हम यह तय करना ह क हम
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पए और य द उ बेचा जाए तो हर खलौने के एक कस कार क व बचग। य तो हमन तय कर ही
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हज़ार मल सकते ह , यानी बीस खलौन के ...बीस लया ह - हम ो शए स बन मलायम जानवर बचग। े
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हज़ार ! ता रणी उ े जत हो ज़ोर से बोल पड़ी और बीस दूसरा, हम पता करना ह क हमारी तरह और कौन-
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खलौन स ही उ ीस हज़ार का लाभ! वह उछल कर कौन इस कार क व ए बच रह ह - उनक व ओं
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बड स उतर कर खड़ी हो गई और कमरे म चलन लगी। क ा वशषताए ह और ा दाम ह। तीसरा, हम
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मझ भी तो बताओ क तम ा हसाब लगा रही हो ? अपनी व ओं क गण और दाम तय करन ह और पता
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दादी जी न अपनी उलझन कट क । दादी जी, आपको करना ह क हम चार क कौन-कौन स मा म
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पता नह ह आजकल ो शए स बनी चीज़ का फशन अपना सकते ह । चौथा, कसी थोक व े ता से बात कर
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दोबारा आ गया ह और लोग ऐस खलौन क लए धाग और ऊन क खरीद क बात करनी ह। साथ ही
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