Page 67 - आवास ध्वनि - सातवाँ अंक
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आवास न
2025-26
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स पण प वीलोक क नज़ रय स सी मत भाव रहा,
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वह भगवान ी कृ ण महाभारत के यु म ा
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क योग को रोकन क लए हमशा सतक रह य क
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व जानत थ क ा क योग स सपण प वीलोक
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न ट हो जाएगा। आध नक यग (कलयग) म प मी
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और यरोपीय स यताए एव स क तया आध नक
तकनीक ान के मा यम से दु नया को अपनी मु ी
म करन क को शश करती रही ह। वनाशकारी
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आध नक ह थयार और राजनी तक एव आ थ क
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ताक़त क बल पर च न दा दश दु नया पर य या
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अ य प स अ धप य था पत करना चाहत ह।
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पछल कछ वष म, आ ट फ शयल इट लजस (एआई)
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तकनीक तेजी से वक सत ई है। इस तकनीक को
वक सत करन म ओपन एआई, गगल डीपमाइड,
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ए ो पक, माइ ोसॉ एआई, आईबीएम वॉटसन,
एनवी डया, मेटा एआई, एमाजॉन ए.ड यू.एस. एआई,
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ट ला एआई जसी कप नया अ णी भ मका नभा रही
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ह। इ तहास गवाह ह क आध नक तकनीक स सप न
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दश ही आ थ क प स सम रह ह। एआई ा त स े न ट हो जाएगा। वतमान म, आई.टी. ा त म प त-
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पहल सचना ौ ो गक (आई.टी.) ा त न दु नया को प वत ई एआई ां त पी सुनामी संपूण व व
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च काया था। आई.टी. ा त क दौर म ऐसा लगन लगा को अपन आगोश म ल रही ह। क त का नयम ह, जो
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था क इसान क जगह क यटर ल लग और अब जतन मज़बत एव सग ठत होत ह, वो हर आधी,
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एआई ां त के दौर म ऐसा लग रहा है क एआई तफ़ान, च वात, सनामी आ द का सामना कर नई
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इसान क दमाग़ क जगह ल लगा। आई.टी. ा त बाढ़ सबह क सरज क तरह उभर कर आत ह। भारत का तो
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क तरह लगती थी तो वह एआई ां त सनामी क इ तहास ही आधी-तफ़ान स लड़न वाला रहा ह। भारत
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तरह लग रही ह। ै न हमशा इसानी ज दगी को सखमयी एव आरामदय
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बनाने वाली तकनीक का वागत कया है। हर
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भारत एक ऐसा दश ह जसन तीन यग म हीरक काल स क क दो पहलू होत ह, ऐस ही एआई ा त क भी
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तो वह इसी कलयग म वणकाल दखा ह, और 1990- दो पहलू ह। एआई तकनीक मलत: यापक एव ं
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91 के दौर म दवा लयेपन क दहलीज़ तक भी प ँचा त या मक डटा क उपल धता पर आधा रत सटीकता
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था। इ ह उतार-चढ़ाव क बीच, प म स आई.टी. ा त दान करती ह। इस लए, दु नयाभर म साम-दाम-दड-
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क आधी न भारत म खलबली मचा दी थी। इस ां त भद कसी भी तरह स डटा स हण क होड़ लगी ई ह, ै
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क गभ स, ‘क यटर’ का उदय आ था जस ठड-ठड े वह डेटा सं हण के या न डेटा स टर क मांग
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वातानक लत कमरे म वराजमान कया जाता था नरंतर बढ़ रही ह जहां डटा सर त रखा जा सक। डटा
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और लोग च पल-जत उतार कर कमरे म जाया करत े सटर क नमा ण बड़ पमान पर हो रह ह, कई कप नय
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थ। यवाओं को लगन लगा था क य अ ज़ी ’क यटर क पास तो इतना डटा हो गया ह क उस सभालन क े
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बाबा’ हम सबको बरोज़गार करक छोड़गा। ल कन, लए जगह नह ह और य सटर ब त यादा बजली
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ऐसा नह आ, लोग कं यूटर के अ य त होते गए और उपभोग कर रह ह और गम पदा कर रह ह। नामी
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वही मोटा कं यूटर, म कं यूटर म बदल गया। कप नया अपन डटा को बड़-बड़ क सल म सर त
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म क यटर, लपटॉप म बदलत ए माट मोबाइल कर समु क गोद म रख रहे ह । भ व य म , आम
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स पूण पृ वीलोक के नज़ रये से सी मत भाव रहा, उपभोग के लाख टन कचरे के साथ-साथ ड जटल
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वह भगवान ी कृ ण महाभारत के यु म ा कचरा भी इतना यादा होन लगगा क उसक े
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क योग को रोकन क लए हमशा सतक रह य क न तारण ( ड पोज़ल) क लए नए-नए उपाय करन े
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व जानत थ क ा क योग स सपण प वीलोक ह ग। े
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