Page 66 - आवास ध्वनि - सातवाँ अंक
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आवास न
2025-26
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क म मधा और भारत
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आ ट फ शयल इट लजस (एआई) जस हम ह दी म व व क सव च स थाओं न समय-समय पर कई
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क म मधा कहत ह, जसस वत: ही प ट हो रहा ह ै ऐसी तकनीक वक सत क ह जो दु नया को
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क ऐसी ब जो क म ह और इसान ारा बनाई गई च धयाती रही ह। भारतीय ऋ ष-म न परंपरा म
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ह। इस ब क नमा ण म इसान क भ मका ह, ै यान-योग-साधना क मा यम स व व ही नह ,
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भगवान क नह । यहाँ इंसान ही ा बनकर एक ांड म कह भी घ टत ई या भ व य म घ टत होने
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ऐसी सृ क रचना करना चाहता है जो उसी के इशारे वाली घटना क बारे म सटीक जानकारी द दी जाती
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पर चल। आज का इसान आध नक तकनीक क े थी। शरीर क एक न ज़ को टटोल कर शरीर क े
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मा यम स मशीनी इसान (या न रोबोट/मशीन) तयार वा य क हालत को बता दया जाता था। य या
कर भगवान को चुनौती देते ए दखाई दे रहा है। ा अ य ही ल ग क मा यम स बीमार शरीर को व थ
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जी क रचना (इसान) क म क स उ प न एआई कर दया जाता था। ब म य ान क पो थय को
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तीन लोक पर वजय ा त करेगा या भ मासर बन पढ़कर म क म समा लया जाता था। इस कलयग
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कलयग क अत क न व रखगा, यह सवाल भ व य क े स पहल क तीन यग म ए महाय म इ तमाल
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गभ म प त हो रहा ह। ै कए गए तीर (वतमान म ज ह मसाइल या
ापा कहा जाता ह) अ भम त कर कट कए
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भारतीय स यता और स क त इस प वीलोक पर जात थ। स पण प वी को न ट करन क मता रखन े
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सबस ाचीन ह। भारतीय स यता सतयग, तायग, वाल ा (जो क वतमान क परमाण या
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ापरयग क कालच को परा कर कलयग म मण हाइ ोजन बम स भी कह यादा वनाशकारी थ) े
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कर रही है। भारतीय स यता एवं सं कृ त क न व वेद , भारतीय स यता म मौजद रह ह। कलयग म तीय
उप नषद और पुराण म व ण त ान पर मज़बूती से व वय क दौरान जापान क हरो शमा और
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टक ई ह। भारतीय ान परंपराओं का अ ययन कर नागासाक म परमाण बम व फोट ए जसका
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