फाइनेंसिंग, कंसल्टेंसी एवं क्षमता निर्माण
विकसित भारत के लिए संपदा निर्माण में कार्यरत
BUILDING ASSETS FOR VIKSIT BHARAT
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नेशनल बिल्डिंग सेंटरों के भाग के रूप में 655 (577 शहरी +78 ग्रामीण) भवन निर्माण सामग्री केन्द्रों का अनुमोदन दे दिया गया है । इनमें से 442 भवन निर्माण सामग्री केन्द्रा कार्यरत हैं अन्यल कार्य की विभिन्ने अवस्था।ओं में हैं । इन भवन निर्माण सामग्री केन्द्रोंा को किफायती आवास के लिए प्रभावी निर्माण वितरण सिस्टवम में विकसित किया गया है एवं ये केन्द्रद स्था नीय स्तिर पर रोजगार तथा आय उत्पेत्ति में भी योगदान दे रहे हैं । इन केन्द्रों ने 3,10,854 से भी अधिक राजमिस्त्रिरयों को लागत प्रभावी प्रौद्योगिकियों पर प्रशिक्षण प्रदान किया है एवं भवन घटकों के उत्पातदन में प्रौद्योगिकियों से भी परिचय करवाया है तथा 1820 करोड़ रुपये के आवास एवं भवन का निर्माण किया है तथा पारंपरिक लागतों से 15 से 40 प्रतिशत लागत में बचत को भी दर्शाया है इन भवन सामग्री निर्माण केन्द्र मूवमेंट ने यूएनसीएचएस (हैबीटाट) की 1998 की सूची में बेस्टा प्रैक्टिस ग्लो‍बल में अपने समेकन सहित अंतर्राष्ट्रीतय मान्यीता हासिल की है ।

  1. स्व रोजगार उद्यमों की प्रौन्न्ति
  2. अधिकांश भवन सामग्री निर्माण केन्द्रों ने अपने-अपने महत्वदपूर्ण योगदान के लिए मान्यहता हासिल की है एवं छोटे पैमाने के उद्यमों के सृजन में सहायता प्रदान करते हुए उनको सतत् बनाने के लिए नवीन प्रैक्टिस में भी अपने साथ जोड़ा है । उदाहरण के लिए आईएनएसडब्यूए एआरईबी ने अधिकांश स्वै रोजगार उद्यमों को वि‍कसित किया है ।

  3. ठोस/होलो कंक्रीट ब्लॉगक
  4. भवन निर्माण सामग्री केन्द्रों के प्रयास ईंट जैसी पारंपरिक सामग्रियों के स्था न पर ठोस/होलो कंक्रीट ब्लॉसक एवं फुटपाथ टाइलों के उत्पाटदन में अच्छे् परिणाम साबित हुए हैं । इन उत्पाादों का व्या पक रूप में उपयोग समस्ता भारत में निर्माण के क्षेत्र में किया जाता है ।

  5. फेरो सीमेंट, एफएएल-जी उत्पाद एवं लकडी के बदले अन्य उत्पाद
  6. दक्षिणी राज्योंक में फेरो सीमेंट अवयव, एफएएल जी घटक, एमसीआर टाइल्स , आरसीसी दरवाजे/खिडकी के फ्रेम को निर्माण गतिविधियों में व्या पक स्तबर पर उपयोग में लाया जाता है । ये उत्पाजद पारंपरिक भवन निर्माण सामग्रियों के स्थायन पर इस्तेबमाल में लाए जा सकते हैं ।

  7. भवन निर्माण सामग्री उद्योगों को सहयोग
  8. हडको भवन निर्माण सामग्री उद्योगों को ऊर्जा कुशलता तथा पर्यावरण की दृष्टि से समुचित विकल्पों सहित कृषिक एवं ओद्योगिकी कूडे को उपयोग में लाने तथा पारंपरिक विकल्पों में जो नवीन तथा वैकल्पिक हैं, उन भवन निर्माण सामग्रियों तथा घटकों के उत्पा्दन के लिए वितीय सहायता प्रदान करता है । देश के अलग-अलग भागों में फ्लाएश आधारित भवन निर्माण सामग्री उद्योगों को सहयोग देने के लिए एक व्यापक पहल में अब लकडी को लिया गया है । आज तक की तिथि में 29.48 करोड़ रुपये की हडको की सहायता से 30 भवन निर्माण सामग्री उद्योग यूनिटों को शामिल किया गया है ।

  9. कूडे़ से धन
    • फर्टिलाइजर उद्योगों के फास्फोजिप्सम कूड़े से जिप्सम उत्पाद निर्मित किए जा रहे हैं ।
    • थर्मल पावर प्लांटों के फ्लाइएश से तैयार किए जा रहे ईंट, ब्लॉलक, टाइल, पाइप आदि जैसे फ्लाइएश आधारित भवन सामग्री उत्पाद कूड़े से धन तो नही हैं, लेकिन पारंपरिक उत्पादों के स्थान पर इस्तेमाल किए जा सकते हैं ।
    • मार्बल कूड़े से कास्टर पोलीमर उत्पाद निर्मित किए जा रहे हैं ।
    • कृषिक कूड़े से पार्टिशन एवं सीलिंग बोर्ड निर्मित किए जा रहे हैं ।
    • लकडी के स्थान पर अन्य उत्पाद । पारंपरिक लकडी के फ्रेमों के स्थान पर पीवीसी प्रोफाइल्सड।
  10. उत्कृष्टता केन्द्र के बांस
  11. बांस कम ऊर्जा की खपत के रूप में एक बेहद आशाजनक हरी निर्माण सामग्री के रूप में तेजी से उभरा है, साथ ही स्थायी, और पर्यावरण के अनुकूल है इस के बावजूद भी, बांस ने दुसरे अस्थायी हत्मेंट्स की तरह निर्माण क्षेत्र में अच्छी प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं की. हाल के शोध से न केवल यह साबित होता है कि यह एक संरचनात्मक सामग्री के रूप में है, लेकिन यह भी कि उपयुक्त हो मिश्रित सामग्री बनाने के लिए और सक्षम हो प्राथमिक लय विकल्प के लिए, परंपरागत बांस विभाजन, बुना, चपटा और अन्य इंजीनियरिंग के तरीको में प्रयोग किया जाता है

    बांस और बांस संबंधित प्रौद्योगिकी के एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटक प्रौद्योगिकी विकल्प की टोकरी से और महान प्रासंगिकता इस तरह के देश के बढ़ते क्षेत्र हैं विशेष रूप से बांस पूर्वोत्तर में,उड़ीसा,कर्नाटक,केरल,हिमाचल प्रदेश,उत्तराखंड , झारखंड ,आदि बांस विकास अब भारत में NMBA की स्थापना के द्वारा स्पष्ट रूप में एक राष्ट्रीय लक्ष्य है,टी. आई. एफ ए सी / डीएसटी के तहत बांस अनुप्रयोग पर राष्ट्रीय मिशन.हडको सफल प्रयोगों के प्रसार में,देश में अग्रणी अनुसंधान संस्थानों के साथ साझेदारी.विशेष रूप से TRADA द्वारा विकसित मॉडल भूकंप प्रतिरोधी घर का डिजाइन आदि में सहायता देग

    हडको ने आईआईटी दिल्ली के साथ एक समझौता ज्ञापन में प्रवेश किया है जिसमें syne5rgising और बांस प्रौद्योगिकियों के प्रसार के लिए हडको ने ग्रामीण विकास मंत्रालय से अनुदान के रूप में 30 लाख रुपए सहित Rs.71 लाख की लागत के घटक है. अनुदान की राशि को बांस प्रौद्योगिकी पर राष्ट्रीय संसाधन सुविधा स्थापित करने के लिए,कारीगरों के कौशल उन्नयन के द्वारा बांस के उत्पादों पर ध्यान केंद्रित के साथ ग्रामीण औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए तथा वैज्ञानिक तकनीकी और डिजाइन आदानों के माध्यम से उन्नत तकनीकों और प्रक्रियाओं मशीनरी का विकास के लिए आइआइटी दिल्ली के लिए जारी किया है, काम आईआईटी दिल्ली में शुरू हुआ है.

  12. मॉडल गांवों का विकास / बस्ती योजना

  13. हडको ने मॉडल गांवों के विकास के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया है -आदर्श ग्राम और बेहतर मलिन बस्ति मॉडल  / आदर्श बस्ती को सभी राज्यों और देश के सभी संघ राज्य क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं के साथ भारत के स्वतंत्रता समारोह के 50 वें वर्ष के स्मरणोत्सव में अपने कार्यक्रम के रूप में उद्घाटन किया गया. चयनित गांव बस्ती / कम आय आबादी को मुख्यतः कवर किया जाएगा और 35 लाख रुपये से ऊपर की अनुदान सहायता प्रदान की जाएगी, हडको द्वारा केएफडब्ल्यू के 4 और 5 वीं से ब्याज से बाहर धन अर्जित किया गया. मिलान योगदान करने के लिए राज्य / संघ राज्य क्षेत्रों / लाभार्थियों,जिनका केंद्र के अन्य संसाधनों द्वारा ब्योरा किया  गया / अभिसरण दृष्टिकोण के साथ राज्य सरकार की योजनाओं को सामुदायिक भवनों और बुनियादी सुविधाओं के द्वारा प्रदान किया जाता है.

    हडको ने 3891.83 लाख रुपए की कुल अनुदान सहायता से अब तक116 गांव मॉडल / मॉडल बस्ती योजनाए मंजूर की है जिसमें से 2931.06 लाख रुपए की राशि जारी की गई है और उपयोग प्रमाण पत्र केवल 2634.90 लाख रुपये की राशि के लिए ही प्राप्त किया गया है कुल स्वीकृत योजनाओं में से 36 योजनाओं को पहले ही पूरा कर दिया गया है और अन्य योजनाए पूरा होने के विभिन्न चरणों में हैं